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Last Updated : सोमवार, 14 मार्च 2022 (10:53 IST)

आज रंगभरी एकादशी : आमलकी एकादशी का महत्व, 5 सरल उपाय और शुभ मुहूर्त

आज रंगभरी एकादशी : आमलकी एकादशी का महत्व, 5 सरल उपाय और शुभ मुहूर्त - Amalaki ekadashi 2022
Amalaki ekadashi 2022: 14 मार्च को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। फाल्गुन मास (Phalguna Month) के शुक्ल पक्ष की यह एकादशी आमलकी के साथ ही रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi 2022) के नाम से भी जानी जाती है। यह एक मात्र ऐसी एकादशी है, जिसका संबंध भगवान शिव (Lord Shiva) से भी है। आओ जानते हैं महत्व, 5 सरल उपाय और शुभ मुहूर्त।
 
आमलकी एकादशी का महत्व : आमलकी यानी आंवला। भगवान विष्णु ने आंवले को आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया है। मान्यताओं के अनुसार जब भगवान विष्णु ने सृष्टि के निर्माण के दौरान ब्रह्मा जी को अवतरित किया था, ठीक उसी दौरान आंवले के वृक्ष को भी धरती पर जन्म दिया था।  इस वृक्ष को धर्म ग्रंथों और आयुर्वेद में श्रेष्ठ बताया गया है। इसका हर हिस्से में देवी और देवताओं का वास होता है। पद्म पुराण के अनुसार आमलकी एकादशी के दिन व्रत करने से सैकड़ों तीर्थ दर्शन तथा समस्त यज्ञों के बराबर पुण्य और फल की प्राप्ति होती है। व्रत करने से मोक्ष प्राप्त होता है। इसीलिए इस दिन लोग आंवले के वृक्ष की विधि-विधान से पूजा करते हैं।
 
इसे रंगभरी एकादशी इसलिए कहते हैं क्योंकि भगवान शिव माता पार्वती को उनके द्विरागमन के बाद काशी लेकर आए थे। काशी के लोग इस एकादशी को माता पार्वती के स्वागत दिवस के रूप में बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार करते हैं और इसी दिन से काशी में 6 दिनों तक होली का पर्व शुरू हो जाता है।
 
Angbhari Ekadashi 2022 Muhurat : फाल्गुन शुक्ल एकादशी तिथि की शुरुआत रविवार, 13 मार्च 2022 को सुबह 10.21 मिनट से हो रहा है तथा इसका समापन सोमवार, 14 मार्च 2022 को दोपहर 12.05 मिनट पर होगा। 14 मार्च उदयातिथि के चलते रंगभरी एकादशी सोमवार को मनाई जाएगी।
 
* सर्वार्थ सिद्धि योग का प्रारंभ- प्रात: 06.32 मिनट से रात्रि 10.08 मिनट तक 
* पुष्य नक्षत्र- रात्रि 10.08 मिनट तक रहेगा। 
* रंगभरी एकादशी पूजन का सबसे शुभ मुहूर्त दोपहर 12.07 से 12.54 मिनट तक रहेगा। 
 
5 सरल उपाय : 
 
1. आमलकी एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु को एकाक्षी नारियल अर्पित करें और फिर पूजा करने के बाद एकाक्षी नारियल को एक पीले कपड़े में बांधकर अपने पास रख लें। इससे सुख-समृद्धि बढ़ती है। या एक साफ-स्वच्छ पीला वस्त्र बिछाएं और उस पर कुछ आंवले रखें। इसके बाद उस पर लाल सिंदूर लगाएं, पेठा चढ़ाएं और धूप-दीप जलाकर पूजा करें। फिर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें। इसके बाद उस पीले कपड़े में आंवले लपेटकर घर की तिजोरी में रख दें।
 
2. पीले रंग के 21 ताज़ा फूलों की माला भगवान विष्णु पर चढ़ाएं। आंवले के वृक्ष के तने पर सात बार सूत का धागा लपेटें और घी का दीया जलाएं। नरसिंह भगवान को खोए से बनी मिठाई का भोग लगाएं। ऐसा करने से विवाह में आ रही अड़चने दूर होती है।
 
3. एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की नौ परिक्रमा करने तथा आंवले का सेवन करने से सौभाग्य और अच्छे स्वास्थ्य के योग बनते हैं। 
4. एकादशी की रात्रि में श्री विष्णु जी के समक्ष 9 रुई की बत्तियों का दीपक जलाने से शिव-पार्वती तथा विष्णु-लक्ष्मी का अपार धन का आशीर्वाद मिलता हैं।
 
5. इस दिन शिव-पार्वती, राधा-कृष्ण तथा लक्ष्मी-नारायण के साथ होली खेलना चाहिए। उन्हें रंग, गुलाल अर्पित करके सर्वसुख की कामना तथा प्रार्थना करने से जीवन में शुभ संयोग का निर्माण होता है तथा जीवन के कष्ट दूर होते हैं। 
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