दशहरा 2023: दशहरे के दिन कौन से 10 परंपरागत कार्य करने का है महत्व
Dussehra 2023: विजयादशमी यानी दशहरे का उत्सव 24 अक्टूबर 2023 को है। भारत में दशहरा का पर्व बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। दशहरा मनाने का हर प्रांत में अलग-अलग प्रचलन हैं परंतु विजयादशमी के दिन परंपरा से निम्नलिखित 10 कार्य करना जरूरी है। यदि आप दशहरा मनाने जा रहे हैं जो जरूर जान लें 10 परंपराएं।
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दशहरे पर सुबह वाहन, शस्त्र, राम लक्ष्णम, सीता व हनुमान, माता दुर्गा, अपराजिता और शमी वृक्ष का पूजन किया जाता है। इस दिन नए वस्त्र एवं आभूषणों को धारण कर लोग रावण दहन देखने जाते हैं।
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दशहरे के दिन घर से रावण दहन देखने के लिए जाते समय तिलक लगाकर जाएं और रावण दहन का आनंद लें।
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रावण दहन से लौटते समय शमी के पत्ते लें और उन्हें लोगों को देकर दशहरे की बधाई दें। घर लौटने वाले की आरती उतारकर उनका स्वागत किया जाता है।
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रावण दहन के बाद लोग एक-दूसरे के घर जाकर, गले मिलकर, चरण छूकर बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं। दशहरे के दिन सभी स्वर्ण के प्रतीक शमी पत्तों को एक-दूसरे को बांटते हैं।
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इस दिन बच्चों को 'दशहरी' देने का भी प्रचलन हैं। दशहरी के रूप में बच्चों को रुपए, वस्त्र या मिठाई देते हैं।
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इस दिन खासतौर पर गिल्की के पकौड़े और गुलगुले (मीठे पकौड़े) बनाने का प्रचलन है। पकौड़े को भजिए भी कहते हैं।
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इन दिन दुर्गा सप्तशति या चंडी पाठ भी किए जाने की परंपरा है।
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दशहरे के दिन पीपल, शमी और बरगद के वृक्ष के नीचे और मंदिर में दीया लगाने की परंपरा भी है। इस दिन घर को भी दीए से रोशन करना चाहिए।
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इस दिन अपने भीतर की एक बुराई को भी छोड़ने का संकल्प लेने की परंपरा है।
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इन दिन सारे गिले-शिकवे दूर करके अपनों को गले लगाकर उसने पुन: रिश्ता कायम किए जाने का भी प्रचलन रहा है।