नेत्र दिवस : 26 जून
लो विजन झेल रहे दृष्टिहीनता का अभिशाप
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डॉ. स्मिता मेहता पढ़ने में परेशानी?* क्या आपके परिवार/परिचितों में से किसी को पढ़ने में तकलीफ है?* क्या उनकी आँखों की बीमारी को किसी दवाई, शल्य क्रिया (सर्जरी) या कसरत से ठीक नहीं किया जा सकता?* क्या उन्हें चश्मा नहीं लगता या चश्मा लगाने के बाद भी नजर में सुधार नहीं हो पाता? वे अखबार में शीर्षक तो पढ़ पाते हैं किंतु छोटे अक्षर पढ़ने में तकलीफ महसूस करते हैं?नजर की लाइलाज कमजोरी की इस स्थिति को अल्प दृष्टि (लो विजन) कहते हैं। हर 20 में से एक भारतीय इससे पीडित है। जिस तरह दिन और रात के बीच शाम होती है, वैसे ही आंशिक दृष्टिवानों की नजर सामान्य से तो कमजोर होती है, पर उन्हें थोड़ा तो दिखता है, वे पूरी तरह से दृष्टिहीन नहीं होते। फिर भी, ऐसा मानकर कि 'ये कुछ नहीं कर सकते', सामान्यत: इन कमजोर नजर वाले व्यक्तियों से दृष्टिहीनों की तरह ही व्यवहार किया जाता है। यह विडंबना ही है कि दृष्टिहीन नहीं होते हुए भी दृष्टिहीनता के अभिशाप को पूरी जिंदगी झेलना इनकी नियति बन जाती है, जबकि सच्चाई यह है कि उचित सुविधाओं व मार्गदर्शन से अल्प दृष्टिवान भी अपने बूते पर स्वतंत्र रूप से कार्य करते हुए सामान्य, सार्थक जीवन जी सकते हैं।
अल्प दृष्टि याने अंधत्व नहीं : जी हाँ, यह सच है! आप जानना चाहेंगे कैसे?कमजोर नजर वाले व्यक्ति न सिर्फ आसानी से किताब या अखबार पढ़ सकते हैं, बल्कि अन्य कई कार्य भी अपने आप आसानी से और बगैर किसी नुकसान के कर सकते हैं, जैसे...* पत्र या बहीखाते लिखना।* कम्प्यूटर पर कार्य करना, टाइपिंग करना।* केल्कुलेटर व मोबाइल का उपयोग करना।* ब्लैक बोर्ड, नोटिस बोर्ड, साईन बोर्ड पढ़ना।* ग्राफ, नक्क्षे, चार्ट बनाना व पढ़ना।* चित्र, डिजाइन बनाना, पेंटिंग करना।* लेथ मशीन पर या अन्य यांत्रिक एवं तकनीनी कार्य करना।* सिलाई, कढ़ाई, बुनाई (कपड़े की या ऊन से) करना।* हस्तकला की चीजें बनाना।* अनाज आदि बीनना या साफ करना।* खरीददारी करना या कहीं आना-जाना।* खाना बनाना या घर के अन्य कार्य करना।* दूरदर्शन (टीवी) या वीडियो देखना।* प्रदर्शनी, खेल, संगीत, नृत्य आदि कार्यक्रम देखना या सभा में भाग लेना।* पढ़ना, अन्य नौकरी-व्यवसाय करके आजीविका कमाना आदि।अब तो मान गए आप कि कमजोर नजर के बावजूद व्यक्ति स्वाभिमान के साथ एवं सक्रिय जीवन जी सकता है।किन्हें फायदा?रोगी बच्चा (8 वर्ष का) हो या बुजुर्ग (98 साल का)। तकलीफ नई (6 माह की) हो या पुरानी (36 वर्ष)। रोग कोई भी हो जैसे...* परदे की बीमारियाँ- मेक्यूलर डिजनरेशन, डायेबिटिक रेटिनोपेथी व अन्य।* मोतियाबिंद निकालने व नेत्रमणि लगाने के/ अन्य ऑपरेशन के बाद साफ न दिखना।* आँखों की नस सूखना (ऑप्टिक एस्ट्रोफी)* अत्याधिक निकट दृष्टि (हाईमायोफिया)* जन्मजात छोटी आँख, (माइक्रोप्थेल्मोस या कॉलोबॉम)* रंगविहीनता (अल्बिनिज्म) या अन्य अनुवांशिक विकार।* चोट आदि।
ध्यान रहे कि इससे बीमारी को दूर नहीं किया जा सकता है और ना ही व्यक्ति पूरी तरह से सामान्य नजर पा सकता है, केवल वह अपने कार्य करने में सक्षम हो जाता है।कैसे?अल्पदृष्टी पुनर्वास की बुनियाद है- 'उपलब्ध दृष्टि का सर्वोत्तम और अधिकतम उपयोग। नजर का सही और आसान तरीके से अधिकतम उपयोग करना सिखाने के लिए दृष्टि प्रशिक्षण (नजर के व्यायाम) एवं विशेष दृष्टि सहायक उपकरणों की मदद ली जाती है। अनेकों उपकरणों में से कौन-सा किसी व्यक्ति के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त रहेगा, यह उस रोगी की नजर कितनी है, वह क्या कार्य, कितनी देर तक करना चाहता है, उसकी बीमारी नजर पर किस-किस तरह से असर डालती है, इन सब और अन्य कई बातों पर निर्भर करता है।कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं :इस तरह के प्रशिक्षण या उपकरणों के उपयोग से व्यक्ति की आँख या नजर को कोई हानि नहीं होती है।आप क्या कर सकते हैं?आपके परिचित कमजोर नजर वाले व्यक्तियों के बताएँ कि भले ही उपचार संभव नहीं हो अपनी नजर का सही तरीके से अधिकतम उपयोग कर वे अब भी अपनी जिंदगी संवार सकते हैं। कभी भी उनकी उपेक्षा करके उन्हें दृष्टिहीनों की तरह जीने व भाग्य को कोसने के लिए मजबूर मत कीजिए बल्कि दृष्टिवानों की तरह जीने के संघर्ष हेतु प्रेरित करें। हम सब साथ हैं, यह भरोसा दिलाएँ।(
लेखिका अल्प दृष्टि पुनर्वास विशेषज्ञ है)