विभिन्न योग परंपरा और अलग-अलग योग शिक्षकों की परंपराओं के भीतर ध्यान (meditation mudra) के लिए अलग-अलग शारीरिक मुद्राओं का सुझाव दिया जाता है। कई लोग लेटकर और खड़े होकर भी ध्यान करते हैं तो यह भी ध्यान मुद्रा ही मानी जाती है। हालांकि पद्मासन और सिद्धासन में बैठकर किया जाना वाला ध्यान ही सबसे प्रसिद्ध हैं।
ध्यान मुद्रा (meditation pose or posture) के दो अर्थ है पहला कि हम कौन से आसन में बैठें और दूसरा कि यह एक प्रकार की हस्त मुद्रा का नाम भी है जिसे ध्यान मुद्रा कहते हैं। पद्मासन या सिद्धासन में आंखें बंदकर बैठना ध्यान आसन कहलाता है।
*ध्यान ज्ञान मुद्रा (dhyaan gyan mudra) : आप पद्मासन में बैठकर दोनों हाथों की कोहनियों को घुटनों पर रखते हुए दोनों हाथों के अंगूठे के प्रथम पोर को तर्जनी अंगुली के प्रथम पोर से मिला दें अर्थात अंगूठे को तर्जनी (इंडेक्स) अंगुली से स्पर्श करते हुए शेष तीन अंगुलियों को सीधा तान दें।
यह ध्यान ज्ञान मुद्रा है। इसमें हाथों की आकृति ज्ञान मुद्रा जैसी बनती है इसीलिए इसे ध्यान ज्ञान मुद्रा कहा जा सकता है।
*अमिट आभा (amit abha dhyan) : बाएं हाथ की हथेली पर दाएं हाथ को रखकर जो ध्यान की मुद्रा बनती है उसे अमिट आभा के अलावा अमिताभ ध्यान मुद्रा भी कहते हैं। जिसको भी ध्यान में अधिक समय तक बैठना है उसके लिए यह ध्यान मुद्रा उचित है।
यह मुद्रा बौद्ध धर्म के वज्रयान में अमिताभ नाम से जानी जाती है। भगवान बुद्ध व महावीर की मूर्ति आपने इसी अवस्था में देखी होगी। ध्यानियों के लिए यह सर्वश्रेष्ठ है।
इसका लाभ : इससे ध्यान में स्थायित्व आता है और हाथों का वर्तुल बनने से ऊर्जा का संचार भी होता रहता है। इस मुद्रा में बैठने के कारण धीरे-धीरे शरीर का भारीपन समाप्त हो जाता है। खासकर आपने जो भोजन किया है उससे जो उर्जा उत्पन होती है उस उर्जा या ओज को अमिट आभा में बदलने के लिए यह मुद्रा सर्वोत्तम है। ऊर्जा का संवरक्षण करना जरूरी है तभी ध्यान में गति मिलेगी।