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Written By WD

ओशो का 'सक्रिय ध्यान'

Meditation | ओशो का ''सक्रिय ध्यान''
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यह ध्यान विधि ओशो द्वारा अविष्कृत है। दुनिया भर में इस ध्यान विधि की धूम है। बहुत से धार्मिक और योग संगठन अब इस ध्यान विधि को थोड़ा-सा बदलकर नए नाम से कराते हैं और उन्होंने इसके माध्यम से करोड़ों रुपए का व्यापार खड़ा कर रखा है। हम यहाँ सक्रिय ध्यान पद्धति को संक्षिप्त में लिख रहे हैं।

पाँच चरणों में किया जाने वाले इस सक्रिय ध्यान को खड़े होकर किया जाता है। जिसकी अवधि कुल एक घंटा है। प्रत्येक चरण 10-10 मिनट का होता है, लेकिन आप चाहे तो इसे शुरुआत में आधा घंटा अर्थात 5-5 मिनट का कर सकते हैं।

1. प्रथम चरण : महा भस्रिका
शुरुआत होती है तेज, गहरी तथा अराजकपूर्ण भस्रिका से भी अधिक तीव्रता से ली गई श्वास-प्रश्वास की स्थिति से। श्वास का यह झंझावात तन-मन को झकझोर देता है।

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2. दूसरा चरण : भाव रेचक
चीखें, चिल्लाएँ, नाचें, गाएँ, रोएँ, कूदें, हँसें या फिर शरीर को इस कदर हिलाएँ-डुलाएँ की जैसे कोई भूत आ गया हो। पूरी तरह से पागल हो जाएँ।

3. तीसरा : हू...हू...ह
अब बाजू ऊपर उठा कर रखें और जितनी गहराई से संभव हो 'हू' की ध्वनि करते हुए ऊपर-नीचे कूदें। पूरी लय और ताकत से 'हू' का उच्चारण करते हुए कूदें, उछलें।

4. चौथा चरण : स्टॉप ध्या
एकदम रुक जाएँ। स्थिर रहें। हिले-डूलें नहीं। जो भी आपके साथ घट रहा है उसके प्रति साक्षी रहें, क्योंकि एकदम रूकने के बाद ऊर्जा पुन: संग्रहित होने लगेगी।

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5. पाँचवाँ चरण : उत्सव मनाए
जैसे थकने के बाद जो शांति मिलती है उसका उत्सव मनाएँ। नृत्य करें या मौन होकर ध्यान मुद्रा में बैठ जाएँ। इस अनुभव को दिन भर की अपनी चर्या में फैलने दें।

सावधानी : यह ध्यान सर्वप्रथम समूह में ही किया जाता है फिर जब इसे करना सिख जाएँ तो अकेले भी कर सकते हैं। इससे पूर्व इस लेख को पढ़कर अकेले करने का प्रयास कदापी न करें। गंभीर रोग से ग्रस्त व्यक्ति ध्यान प्रशिक्षक या चिकित्सक की सलाह लें।

लाभ : कोशिका में विद्युत का संचार होता है तथा फेफड़ों में जमा हुई जहरीली हवा बाहर निकल जाती है। दमित भावनाओं से मुक्ति मिलती है। मन की ग्रंथियाँ खुलती है। शरीर की अनावश्यक चर्बी घटकर शरीर ऊर्जा और फूर्ति से भर जाता है। शरीर के सभी रोगों में यह लाभदायक माना जाता है। यह ध्यान विधि व्यक्ति को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

सक्रिय ध्यान के लाभ हेतु किसी भी ओशो ध्यान शिविर में शामिल हुआ जा सकता है, क्योंकि सक्रिय ध्यान को समूह में ही किए जाने का लाभ है। (वेब‍दुनिया डेस्क)