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योग प्रशिक्षक श्रीमती ज्योति भदोरिया ने कहा, 365 दिन मनाएं योग दिवस
बुधवार,जून 22, 2022
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आपने कभी भी योग के अंतर्गत आने वाले ध्यान और आसन को नहीं किया है जो यहां प्रस्तुत है कुछ ऐसा आसान तरीकें जिसके माध्यम से योग सीख सकेंगे।
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दोनों के मध्य या सम स्थिति सुषुम्ना कहलाती है, यह वायु प्रधान होती है। इन नाड़ियों का नासिका द्वारों द्वारा श्वास लेना स्वर चलना कहलाता है।
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'ॐ' का निरंतर जाप करने से दिमाग शांत होता है और बहुत-सी शारीरिक तकलीफें दूर होती हैं। इसके नियमित जाप से व्यक्ति के प्रभामंडल में वृद्धि होती है।
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समय का जो अंतराल गर्भधारण और जन्म के बीच मौजूद रहता है। उतना ही समय मृत्यु को जानने का रहेगा। अगर कोई व्यक्ति गर्भ में नौ महीने रहने बाद जन्म लेता है
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योग का उद्भव भारत से ही माना जाता है। भारत में योग का इतिहास लगभग 2000 वर्ष पुराना बताया गया है। भारत में स्वामी विवेकानंद ने योग की शुरुआत बहुत पहले कर दी थी
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अभी लॉकडाउन का समय चल रहा है, ऐसे समय में आप सूर्य नमस्कार को अपना कर अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं-
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हिन्दू धर्मग्रंथों में 2 तरह की विद्याओं का उल्लेख किया गया है- परा और अपरा। यह परा और अपरा ही लौकिक और पारलौकिक कहलाती है। दुनिया में ऐसे कई संत या जादूगर हैं, जो इन विद्याओं को किसी न किसी रूप में जानते हैं। वे इन विद्याओं के बल पर ही भूत, भविष्य ...
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सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ प्रक्रिया है। यह अकेला अभ्यास ही साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचाने में समर्थ है। इसके अभ्यास से साधक का शरीर निरोग
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दैनिक जीवन के विभिन्न कार्यों में स्वरों की स्थिति का बहुत महत्व देखा जाता है। स्वर ज्ञाता ज्योतिषियों की भांति इसका प्रयोग करते हैं। विभिन्न कार्यों की सफलता-असफलता,
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ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन करने के लिए सबसे पहले शांत चित्त होकर शरीर ढीला करके बिल्कुल सीधे होकर बैठें।
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हमारे सनातन धर्म में समाधिस्थ ऋषि मुनियों ने समाधि के कुछ लक्षण बताए हैं। आइए जानते हैं कि समाधि के अष्ट लक्षण कौन से होते हैं-
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ध्यान शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य के लिए बिलकुल निःशुल्क हानिरहित उपचार पद्धति है। जब भी एकाग्र मन से किसी भी विषय में सोचा जाए, मनन किया जाए तो वह शीघ्र फलित होने लगता है,
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'योग' भारत में एक आध्यात्मिक प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है। यह शब्द, प्रक्रिया और धारणा बौद्ध धर्म, जैन धर्म और हिन्दू धर्म में ध्यान-प्रक्रिया से संबंधित है।
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हर कोई चाहता है कि जब तक वह जीवित रहे, स्वस्थ ही रहे। स्वस्थ रहते हुए ही अपने बच्चों को बड़ा होते देखे व अपने नाती-पोतों को भी खिला ले। स्वस्थ शरीर में रहते हुए लंबी उम्र जीना हर किसी की इच्छा होती है। योग से आप तन-मन से स्वस्थ रहने के साथ ही अपनी ...
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योग यानी जुड़ना और जुड़ना जिससे भी सच्चे मन से हो जाए, उससे ही योग लग जाता है। जब किसी को किसी से योग लगता है तब यह सहज ही हो जाता है। जैसे आपको किसी प्रिय को याद करते हुए मेहनत नहीं करनी पड़ती है। उस प्रिय की याद अपने आप में एक सुखद अनुभव होता है। यह ...
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समाधिस्थ ऋषि मुनियों ने समाधि के कुछ लक्षण बताए हैं। आइए जानते हैं कि समाधि के अष्ट लक्षण कौन से होते हैं-
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ज्योतिष, आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक आधार पर तैयार विविध रंगों के चक्र द्वारा मन-मस्तिष्क को संतुलित करने में मदद मिलती है। इसमें रंग-निदान (कलर ट्रीटमेंट) के माध्यमों का भी ध्यान रखा जाता है। सही तरीके से ध्यान लगाने से इच्छाशक्ति का विकास होता है तथा ...
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यूं तो प्राणायाम अनेक प्रकार के हैं, किन्तु यहां हम उन्हीं प्राणायाम की चर्चा करेंगे, जिन्हें गृहस्थी, बाल, युवा, वृद्ध, पुरुष एवं महिलाएं सुविधापूर्वक करके लाभ प्राप्त कर सकें। प्राणायाम करने वाले को कुछ सावधानियों के साथ नियमों का पालन करना आवश्यक ...
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मनुष्य में प्राणमयी शक्तियों को योग द्वारा, ध्यान द्वारा तथा सतत साधना से अति तीव्रता के साथ साध कर परिणाम प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की जा चुकी है। यह शक्ति शरीर की प्रत्येक नाड़ी में पाए जाने वाले द्रवों में सूक्ष्म रूप से रहती है। मनुष्य का ...
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