दिल्ली चुनाव : ओखला में विकास, बटला मुठभेड़ अहम मुद्दे
नई दिल्ली। कॉलोनियों को नियमित किए जाने जैसे विकास के मुद्दे, बटला हाउस मुठभेड़ का साया और गुज्जर समुदाय के कुछ उम्मीदवारों के साथ मुस्लिम उम्मीदवारों की मौजूदगी ने संवेदनशील ओखला निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव को काफी जटिल बना दिया है।इस निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव अभियान लगातार जोर पकड़ता जा रहा है, जहां पर 50 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। इसके साथ ही गुज्जर (15 फीसदी) और ओबीसी (11 फीसदी) की भी मौजूदगी है।नामी-गिरामी मुस्लिम नेताओं के मैदान में उतरने से मुकाबला काफी रोचक होने की उम्मीद है। भाजपा और बसपा ने गुज्जर नेताओं को उतारा है। ओखला से बसपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष ब्रह्म सिंह लड़ रहे हैं जबकि भाजपा ने धीर सिंह बिधूडी को टिकट दिया है। 2009
में उपचुनाव में ब्रहम सिंह हार गए थे जब कांग्रेस के विधायक परवेज हाशमी ने राज्यसभा सदस्य बनने के लिए इस सीट से इस्तीफा दे दिया था। बटला मुठभेड़ के पांच साल बाद भी ओखला निर्वाचन क्षेत्र में नेता इस मुद्दे को उठा रहे हैं और उन्हें लगता है कि अतीत की तरह इस बार भी लाभ मिल सकता है।ब्रह्म सिंह को राजद से चुनाव लड़ने वाले आसिफ मोहम्मद खान ने मात दी थी, जो इस बार कांग्रेस के टिकट पर भाग्य आजमा रहे हैं। 2009 उपचुनाव में आसिफ ने बटला मुठभेड़ मुद्दे को काफी जोरशोर से उठाया था, हालांकि इस बार उनका रुख कुछ अलग है।आसिफ को बसपा के सिंह, आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार इरफानुल्ला खान, कांग्रेस छोड़कर जनता दल (यूनाइटेड) से जुड़ने वाले शोएब दानिश, लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार अमानतुल्ला खान और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अमिरूद्दीन से जबर्दस्त चुनौती मिल रही है। विपक्ष की ओर से आसिफ को निशाना बनाया जा रहा है। बचाव में आसिफ कहते हैं, मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि बटला हाउस मुठभेड़ मामला लोकसभा चुनावों (2008) में एक मुद्दा था, तब नहीं जब मैंने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की। उन्होंने कहा, मैं अपने शब्द पर कायम हूं कि मुठभेड़ फर्जी थी लेकिन अब यह मामला अदालत में है और न्यायिक जांच के लिए कहने का कोई मतलब नहीं है। मुठभेड़ निश्चित ही फर्जी थी और मुस्लिम युवक बेकसूर थे। ओखला में पानी की कमी और अवैध कॉलोनियों को नियमित किए जाने सहित विकास के कई मुद्दे हैं।आप के उम्मीदवार इरफानुल्ला ने कहा, हमारा मुख्य लक्ष्य राजनीति को साफ-सुथरा और पारदर्शी बनाना है। चुनाव आयोग के नजरिए से दो सबसे संवेदनशील इलाके हैं, जिसमें एक ओखला है। यहां पर विकास शून्य है और दक्षिण दिल्ली में होने के बावजूद इसे नजरंदाज किया गया। (भाषा)