• Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. विचार-मंथन
  3. विचार-मंथन
  4. Srinagar NIT clash
Written By Author डॉ. प्रवीण तिवारी

तिरंगा फहराने और भारत माता की जय बोलने की बेरहम सजा!

तिरंगा फहराने और भारत माता की जय बोलने की बेरहम सजा! - Srinagar NIT clash
श्रीनगर में एनआईटी के छात्रों को कैंपस में ही कैद कर लिया गया। क्रिकेट में भारत की हार का जश्न मनाने वालों का विरोध करना इन छात्रों को महंगा पड़ा। अब प्रश्न उठता है कि क्या देशभक्ति की कीमत इन छात्रों को चुकानी पड़ रही है।
 
तिरंगा फहराने और भारत माता की जय बोलने का खमियाजा इन छात्रो को उठाना पड़ रहा है? श्रीनगर में कश्मीर के मूल छात्रों और अन्य राज्यों छात्रों के बीच इस मामले की शुरुआत हुई। बाहर के छात्र इस कैंपस में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और वो बाहर जाने की बात कह रहे हैं। यहां सरकार ने उन्हें भरोसा दिया है कि उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है, लेकिन सुबह जब इन छात्रों ने जब बाहर निकलने की कोशिश की तो इन्हें बेरहमी से पीट दिया गया।
ये वही श्रीनगर है जिसके लाल चौक पर हर जुमे की नमाज के बाद पाकिस्तान का झंडा फहरा दिया जाता है। यहां तिरंगा लेकर निकलना हालात को खराब करने वाला दिखाई पड़ रहा है। वहां की छोड़िए, इसमें भी कोई संदेह नहीं की कश्मीर के बाहर देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐसे कई लोग मिल जाएंगे जो कश्मीर में तिरंगा फहराने के खिलाफ दिखाई पड़े। कश्मीर हमारे देश का अभिन्न हिस्सा है, ये कहने भर से बात नहीं बनेगी। वहां के जमीनी हालात को भी समझना होगा। कश्मीर में भारत माता की जय बोलने वालों के विरोधियों को क्या देशद्रोही कहें जब हमारे बीच बैठे कई लोग ही भारत माता की जय बोलने में धर्म की हानि महसूस कर रहे हैं।
 
कश्मीर में छात्रों के साथ हुई बर्बरता इस बात की ओर इशारा कर रही है कि ये देश का हिस्सा होते हुए भी देशद्रोहियों की फैक्टरी बना हुआ है। आश्चर्य की कोई बात नहीं होगी यदि जेएनयू कैंपस में हुई वारदात पर बहुत बोलने और लिखने वाले इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रहें। हांलाकि हमारी सहिष्णुता का आलम ये हो गया है कि अब लोग इन घटनाओं के समर्थन में भी लिखने में खुद को स्वतंत्र और सुरक्षित महसूस करते हैं।
 
ये है इस देश का फर्क, एक तरफ भारत माता की जय बोलने और तिरंगा फहराने वालों की पिटाई हो जाती है और दूसरी तरफ भारत माता की जय बोलने का विरोध करने वाले हमारी छाती पर चढ़कर बैठे हुए हैं। इनमें सबसे बड़ी जमात उन मनोरोगी विचारकों की है जो अपनी विचारधारा को थोपने के चक्कर में विरोध की किसी भी हद तक जा सकते हैं। हो सकता है कि यूपीए शासन काल में वो ऐसे मुद्दों पर चुप होकर बैठे रहते, लेकिन वर्तमान राजनैतिक दौर में वो हर मुद्दे पर कुछ न कुछ बकवास करते रहना चाहते हैं। यही वजह है कि देश में ही देश का विरोध और मुखर होता जा रहा है।
 
केंद्र सरकार को भी इन मुद्दों पर गंभीर होना पड़ेगा। ये भी सच है कि एनआईटी कैंपस केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है और जम्मू कश्मीर राज्य सरकार भी भाजपा के ही दम पर चल रही है। ये जनता की चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार है। इस सरकार का राज्य में शासन ही इस ओर इशारा करता है राज्य की जनता का लोकतंत्र में पूरा पूरा विश्वास है। ऐसे में राज्य और केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर गंभीर कदम उठाने की जरूरत है।
यदि देश विरोधी नारे लगाने वाले जेएनयू में देश के लिए खतरा हैं तो वो श्रीनगर में भी देश के लिए उतना ही बड़ा खतरा हैं। श्रीनगर में ये खतरा इसीलिए बड़ा बन जाता हैं क्यूंकि वहां पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंक की फैक्ट्रियां उनके लिए मदद करने को तैयार बैठी रहती हैं। एनआईटी जैसे कैंपस रणनीति बनाने के काम आते हैं और पीओके की जमीन पर आतंक की ट्रैनिंग हो जाती है। ये खतरनाक मेल देश में संसद जैसे हमलों को अंजाम देता है।
 
ऐसे हमले जिन्हें अंजाम देने वालों का समर्थन करने के लिए दिल्ली में भी ओछी राजनीति करने वाले बैठे हुए हैं। उन दीवालियों की ज्यादा चिंता नहीं जो अपनी जमीन खोने के बाद हर मुद्दे पर विरोध करने के लिए कुछ भी अनर्गल बोल रहे हैं चिंता तो उन युवाओं की जो इस देश का भविष्य हैं। हां ये भी सच है कि बकवास करने वाले इन युवाओं को संक्रमित कर रहे हैं।
 
सहिष्णुता के नाम पर देश में गंदगी फैलाने की इजाजत किसी को नहीं दी जानी चाहिए। ये छात्र एचआरडी मिनिस्ट्री से बात करना चाहते हैं जाहिर सी बात है कि इन्हें बदले हालात में शायद बोलने की ताकत मिली हो। देखना ये है कि इनके सामने आने और देशभक्ति दिखाने का इन्हें क्या इनाम मिलता है। हांलाकि शुरुआत में ही पुलिस की बेरहमी ने तो इन देशभक्तों को निराश किया ही है।
ये भी पढ़ें
यहां लोगों के दिमाग पर 'पानी का भूत' सवार है