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Written By संदीपसिंह सिसोदिया

टाइगर ईयर में खत्म होते बाघ

टाइगर ईयर बाघ वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर एशिया
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दुनिया भर के बाघ संरक्षकों को बहुत बड़ा झटका तब लगा जब इस माह वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर ने बाघों की वर्तमान आबादी महज 3500 बताई। गौरतलब है कि इसके पहले डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने दुनिया भर में बाघों तादाद 4000 के करीब बताई थी।

घटते बाघ: एशिया में पाए जाने वाले इस राजसी प्राणी के भविष्य पर मनुष्य की काली नजर बहुत पहले से पड़ चुकी है। प्रकृति के इस भव्य, ताकतवर, अद्भुत और शाही प्राणी को बचाने के लिए अब तक जितनी भी योजनाएँ बनी उन्हे ठीक प्रकार से पालन नहीं करने से और लगातार बढ़ती मानव जनसंख्या से जंगलों पर इतना दबाव पड़ रहा है कि कमोबेश हर क्षेत्र में जंगल पिछले एक दशक में अपनी वास्तविक सीमाओं से 47 प्रतिशत तक सिकुड़ चुके हैं। भारत और चीन जैसे ज्यादा आबादी वाले देशों में तो स्थिति भयावह हो चुकी है।

संकटग्रस्त प्रजाति: एशिया में बाघों की कुल नौ प्रजातियाँ हैं, जिन्हे क्षेत्र के आधार पर बाँटा गया है। इसमें साइबेरियन बाघ, जो रुस के सुदूर और दुर्गम साइबेरिया के बर्फीले जंगलों में अब शायद सिर्फ 450 के करीब बचे हैं। रॉयल बंगाल टाइगर, जो भारत, नेपाल, बांग्लादेश और म्याँमार के जंगलों में पाया जाता है। इनकी संख्या कुल 1800 के आस-पास है।

बंगाल टाइगर की सबसे निकटतम प्रजाति है इंडोचाइनीज टाइगर, जो कभी लाओस, वियतनाम, कम्बोडिया और मलेशिया में पाया जाता था, इनकी संख्या अब सिर्फ 300 बची है। इसके अलावा मलय टाइगर जो थाईलैंड और मलेशिया में पाया जाता है। यह अब सिर्फ 500 बचे हैं जिनमे से अधिकतर मानव निर्मित पशु शिविरों में पाए जाते हैं।

इसके अलावा सुमात्रा टाइगर जो सुमात्रा द्वीप समूह में पाया जाता है और इसकी संख्या अब 400 बताई जा रही है। हिंद महासागर में बसे जावा और बाली द्वीपों में पाए जाने वाले जावा टाइगर और बाली टाइगर जो आकार में सबसे छोटे माने जाते थे अब विलुप्त मान लिए गए हैं। किसी जमानें में उत्तर एशिया में मंगोलिया से लेकर कजाकिस्तान, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ईरान, इराक से लेकर तुर्की तक पाया जाने वाला कैस्पियन टाइगर भी अब विलुप्त हो चुका है।

उम्मीद की किरण: हाँ, दक्षिण चीन में साउथ चायना टाइगर के होने की सिर्फ खबरें ही आती रही है। पिछले दो दशकों से उसे देखा नहीं गया है। इसके अलावा अभी कुछ दिनों पहले डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने इंडोनिशिया में अपने दो शावकों के साथ एक मादा बाघिन का वीडियो भी दिखाया है, जो इस बात की दिलासा देता है कि अभी भी कुछ उम्मीद बाकी है।

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बचाने की कवायद: भारत और नेपाल ने अपने-अपने इलाकों में टाइगर रिजर्व में इस प्राणी को बचाने की कुछ कोशिशें शुरू की हैं। जैसे भारत में सरकार ने जंगलों की सुरक्षा के लिए टाइगर टास्क फोर्स बनाने और रिजर्व में बसे लोगों को अन्यत्र विस्थापित करने के लिए विश्वबैंक के साथ 2000 करोड़ से भी अधिक की योजना बनाई है।

नेपाल ने तराई के इलाके में रिजव का क्षेत्रफल बढ़ाने की घोषणा कर बाघों के क्षेत्रफल को काफी विस्तारित कर दिया है। इसके अलावा डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और विश्व बैंक के साथ हर साल टाइगर कांफ्रेस करने की घोषणा भी इस दिशा में एक अच्छा प्रयास है।

अवैध कारोबार के शिकार : चीन में इस साल टाइगर वर्ष मनाया जा रहा है और दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इस कारण से इस वर्ष बाघ के अंगों की माँग में जबरदस्त इजाफा हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार मध्य एशिया और चीन में बाघ के लिंग की कीमत 80 हजार डॉलर प्रति 10 ग्राम है, बाघ की खाल 10 हजार से लेकर 1 लाख डॉलर तक, बाघ की हड्डियाँ 9000 डॉलर प्रति किलो तक बिक जाती हैं। हृदय ह्रदय और अन्य आंतरिक अंगों की कीमत भी हजारों-लाखों में है। इसके बावजूद खरीदारों की कोई कमी नहीं है।

चीनी मान्यता के अनुसार मनाए जाने वाले टाइगर ईयर में सभी को इस साल इस विलक्षण प्राणी को बचाने की प्रार्थना करनी चाहिए वरना आने वाले सालों में बाघ भी ड्रैगन की तर्ज पर किस्से-कहानियों में देखा-पढ़ा जाएगा।