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Last Modified: बुधवार, 14 दिसंबर 2016 (20:24 IST)

भ्रष्ट बैंककर्मियों से मोदी की नोटबंदी की सफलता पर संदेह

भ्रष्ट बैंककर्मियों से मोदी की नोटबंदी की सफलता पर संदेह - Demonetization, corrupt banker, Narendra Modi
नई दिल्‍ली। एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार की कालाधन बाहर निकालने की योजना शुरू की है तब से देश के बहुत से भागों में लाखों, करोड़ों रुपए की नकदी पकड़ी जा रही है। इसके साथ एक अहम सवाल भी खड़ा हो गया है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी की नोटबंदी जैसी सफल हो सकेगी या नहीं? ऐसा सोचने का कारण भी साफ है क्योंकि इस महत्वाकांक्षी योजना को बैंक और अन्य सरकारी कर्मचारी ही असफल बनाने में लगे हुए हैं जिन पर पर सरकार की योजना को सफल बनाने की जिम्मेदारी है।
यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि जब आम आदमी घंटों लाइन में लगकर मुश्किलों से मात्र दो ढाई हजार रुपए का इंतजाम कर पा रहा है, तब कुछेक लोगों के पास नए नोटों के बंडल कहां से पहुंच रहे हैं? आयकर विभाग और पुलिस के छापे में रोज रोज पकड़ी जा रही नए नोटों की करोड़ों की खेप आखिर आ कहां से रही है? निश्चित रूप से यह सवाल आम आदमी के साथ ही सरकार को भी परेशान कर रहा है। 
 
सवाल यह भी है कि नोटबंदी के बाद फुलप्रूफ व्यवस्‍था का दावा कर रही सरकार का मैनेजमेंट आखिर कहां फेल हो रहा है? कैसे कालेधन के ठेकेदार सरकार की नाक के नीचे अपनी ब्लैकमनी को व्हाइट कर रहे हैं। उस कालेधन को जिसकी रोकथाम का दावा सरकार लगातार कर रही है और जिसकी रोकथाम के लिए रोज नियम बदले जा रहे हैं, लेकिन बड़ी मात्रा में नई, पुरानी नकदी का पकड़ा जाना जारी है। 
 
सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि क्या बैंक और सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत के बगैर यह काम संभव है? कुछ दिन पहले ही दिल्‍ली के एक्सिस बैंक के दो मैनेजरों को पुलिस ने करोड़ों के कालेधन को सफेद करने के आरोप में पकड़ा था, जो पुराने नोटों को बदलकर आम आदमी के हिस्से के नए नोटों को कुछ प्रभावशाली लोगों तक पहुंचा रहे थे।
 
कुछेक बैंकों में इस काम के बदले में मैनेजर सोने की ईंटें लिया करते थे। अब ऐसे में महत्वपूर्ण सवाल यह खड़ा हो गया है कि क्या व्यवस्‍था में हो चुके इस बड़े छेद के बीच प्रधानमंत्री मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना का सफल होना संभव है? आखिर इन सवालों के जवाब कौन देगा?
 
चेन्नई में मनी एक्सचेंजर के यहां आयकर विभाग के छापे में 90 करोड़ और तीस किलो सोना बरामद किया गया और दस करोड़ के नए नोट भी मिले। इसी तरह बेंगलुरू में आयकर विभाग ने दो इंजीनियरों के यहां से छ: करोड़ की नकदी बरामद की, इनमें से 4.7 करोड़ की नकदी नई नोटों के रूप में थी। सरकारी की ऐसी ही एक बड़ी पहल के अंतर्गत दिल्‍ली में एक लॉ फर्म के दफ्तरों में छापे में 13.56 करोड़ नकद बरामद किए गए थे। साथ ही दो करोड़ के नए नोट भी बरामद हुए हैं।
जयपुर में सोमवार को आयकर विभाग ने अरबन को-ऑपरेटिव बैंक से 156 करोड़ की नकदी बरामद की जिसमें 132 करोड़ के नए नोट मिले थे।
 
ऐसा लगता है कि सरकार को बैंकों के अधिकारियों पर पहले से ही शक था और इसके चलते 
कालाधन को सफेद में बदलने के खेल में शामिल 425 बैंकों के 200 से भी अधिक अधिकारी स्टिंग के फंदे में उलझ गए हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर खुद आईबी ने बीते करीब 20 दिन के दौरान 625 बैंकों का स्टिंग किया। बताते हैं कि इस स्टिंग ऑपरेशन में 425 बैंकों में कालाधन को सफेद बनाने की प्रक्रिया कैमरे में कैद हुई। इसमें 200 से अधिक बैंक अधिकारी, हवाला कारोबारी, नेता और व्यापारी शामिल हैं।
 
बीते रविवार को पीएमओ ने स्टिंग से जुड़ी सीडी और इससे संबंधित आईबी की रिपोर्ट के अध्ययन के बाद इसे भावी कार्रवाई के लिए वित्त मंत्रालय को भेज दिया है। नोटबंदी के कारण पहले से जारी अफरा-तफरी और न बढ़ जाए, इसके लिए इनके खिलाफ कार्रवाई फरवरी महीने के बाद शुरू होने की संभावना जताई जा रही है।
 
माना जा रहा है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस खुलासे को सार्वजनिक करेंगे। सूत्रों ने बताया कि 8 नवंबर को नोट बंदी के फैसले के बाद व्यापक मात्रा पर पकड़ी जा रही नकदी से सतर्क पीएमओ, गृह मंत्रालय ने आईबी को नवंबर के तीसरे हफ्ते की शुरुआत में बैंकों की स्टिंग के मिशन पर लगाया था और इस क्रम में आईबी की कई टीमों ने देशभर के करीब 600 बैंकों का स्टिंग किया। इस ऑपरेशन में 425 बैंकों में कालाधन को सफेद बनाने की हेराफेरी सामने आई।
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