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Last Modified: बुधवार, 5 जून 2019 (17:55 IST)

28 साल में सिर्फ 6 बार डिफेंड हो सका है 200 से कम का स्कोर , देखें कब हुआ ऐसा विश्वकप में

28 साल में सिर्फ 6 बार डिफेंड हो सका है 200 से कम का स्कोर , देखें कब हुआ ऐसा विश्वकप में - target below 200 defended only 6 times in wc history
लंदन।मंगलवार को खेले गए मुकाबले में श्रीलंका ने पहले 10 ओवरों में 79 रन बना लिए थे। इसके बाद अफगानिस्तान ने वापसी की और श्रीलंकाई टीम को 37 ओवरों में 201 रनों पर समेट दिया।बल्लेबाजी करने उतरी अफगानिस्तान की टीम को नुवान प्रदीप के 4 और लसिथ मलिंगा के 3 विकेट की मदद से टिकने नहीं दिया और लंका ने 34 रनों से जीत दर्ज की। डकवर्थ लुईस पद्धति से मिला 187 रनों का लक्ष्य अफगानिस्तान नहीं छू पायी।
दिलचस्प बात यह है कि ऐसा रंगीन जर्सी के विश्वकप इतिहास में सिर्फ 6 बार हुआ है जब किसी टीम ने 200 रनों से कम बनाए और उस लक्ष्य को डिफेंड कर लिया। आईए जानते हैं यह कारनामा विश्वकप में कब कब हुआ।
 
2011 विश्वकप - पाकिस्तान 184 रन , 46 रनों से जीता
लचर बल्लेबाजी के कारण पाकिस्तान कनाडा के खिलाफ मात्र 184 रन बना सका । लेकिन शाहिद अफरीदी की स्पिन कनाडा बल्लेबाजों के लिए टेढी खीर रही। कनाडा की पूरी टीम 138 रन पर आउट हो गई।
 
2003 विश्वकप- कनाडा 180 रन, 60 रनों से जीता
इससे पहले कनाडा ने ऐसा कारनाम किया था । कागज पर तुलनात्मक मजबूत टीम होने के बावजूद भी 181 रनों का पीछा करने उतरी बांग्लादेश की टीम मात्र 120 रन बना सकी। यह मैच कनाडा 60 रनों से जीत गया। उस समय यह कनाडा के लिए एक बड़ी जीत थी।
 
1999 विश्वकप- बांगलादेश 185, 22 रनों से जीता
इंग्लैंड में खेले गए इस विश्वकप में स्कॉटलैंड के खिलाफ बांग्लादेश मात्र  185 रनों पर आउट हो गया। लेकिन स्कॉटलैंड की अनुभवहीन बल्लेबाजी हरी पिच पर कुछ खास नहीं कर पायी और 163 पर आउट हो गई।
 
1996 विश्वकप-- केन्या 166 रन, 73 रनों से जीता
केन्या ने इस विश्वकप का सबसे बड़ा उलटफेर कर दिया जब पूरी टीम 166 रनों पर आउट होने के बाद भी मैच जीत गई। विरोधी टीम वेस्टइंडीज  100 रन भी नहीं बना पायी और सिर्फ 93 रन बनाकर आउट हो गई। 
 
1992 विश्वकप- जिम्मबाब्वे 134 रन, 9 रनों से जीता
जिम्मबाब्वे के लिए यह सनसनीखेज जीत रही। इयान बॉथम की घातक गेंदबाज के कारण जिम्मबाब्वे सिर्फ 134 रन बना पाया। लेकिन इंग्लैंड की बल्लेबाजी और खराब रही और टीम सिर्फ 125 रन बना पायी। जिम्मबाब्वे ने बड़ा उलटफेर किया औरयह मैच 9 रन से जीत लिया।
 
सफेद जर्सी में भारतीय टीम ने यह कारनामा किया था 1983 के फाइनल में
1983 के फाइनल में वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड ने टॉस जीतकर पहले भारत को बल्लेबाजी के लिए कहा। भारतीय टीम 54.4 ओवरों में केवल 183 रन जोड़कर आउट हो गई।वेस्टइंडीज की पूरी टीम 52 ओवरों में 140 रन पर आउट हो गई और भारत ने यह मैच 43 रनों के अंतर से जीत लिया। मोहिन्दर अमरनाथ को उनके हरफनमौला प्रदर्शन (26 रन और 3 विकेट) के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया।
 
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