सचिन रमेश तेंडुलकर, जिन्हें क्रिकेटप्रेमी मास्टर-ब्लास्टर के नाम से पुकारते हैं और उनके कुछ करीबी लोग उन्हें तेंदल्या के नाम से भी जानते हैं।
सर डॉन ब्रेडमैन के बाद सचिन इतिहास के महान बल्लेबाजों में से एक हैं। सचिन की महानता न केवल टेस्ट क्रिकेट में है, बल्कि वे एकदिवसीय क्रिकेट में भी सर्वाधिक रनों और शतकों का रिकॉर्ड बना चुके हैं।
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मोहाली टेस्ट के दौरान सचिन ने टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने का विश्व रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने जैसे ही अपनी पारी का 15वाँ रन पूरा किया, वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज ब्रायन लारा के 11953 रनों का रिकॉर्ड टूट गया।
सचिन विश्व क्रिकेट में ऐसे पहले बल्लेबाज हैं, जिन्होंने एकदिवसीय क्रिकेट में सबसे पहले 10,000 रन बनाए, साथ ही वे ऐसे बल्लेबाज भी हैं, जिसने क्रिकेट के दोनों संस्करणों में सबसे ज्यादा शतक बनाए हैं।
इसके अलावा वे भारत के ऐसे पहले बल्लेबाज हैं, जिसने टेस्ट मैचों में 11 हजार से ज्यादा बनाए हैं। वे अब दुनिया में एकमात्र ऐसे बल्लेबाज हैं, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट और एकदिवसीय क्रिकेट में सर्वाधिक रन भी बनाए हैं और क्रिकेट के दोनों संस्करणों में उनके सबसे ज्यादा शतक हैं। सचिन के रिकॉर्ड के आसपास भी अगर कोई बल्लेबाज पहुँच पाया तो वह महान बल्लेबाज होगा।
शुरुआती दौर- सचिन ने अपने करियर की शुरुआत मात्र 16 वर्ष की उम्र में की। उस वक्त किसी को पता नहीं था की यह छोटा-सा बल्लेबाज एक दिन क्रिकेट की दुनिया का इतना बड़ा नाम बनेगा।
सचिन जब पाकिस्तान के खिलाफ अपनी पहली टेस्ट सिरीज खेल रहे थे, तब वकार यूनुस की एक गेंद उनके मुँह पर आकर लगी, लेकिन सचिन ने आवश्यक उपचार लेने के बाद खून से सने कपड़ों में ही अपनी पारी आगे बढ़ाई। तब इमरान खान, जावेद मियाँदाद सहित अन्य पाकिस्तानी क्रिकेटरों ने इस किशोर खिलाड़ी के साहस की दाद दी थी।
अपने स्कूल के समय में सचिन अपने कोच रमाकांत अचरेकर के साथ एमआरएफ फांडडेशन गए, जहाँ वे तेज गेंदबाजी सीखना चाहते थे, लेकिन वहाँ के कोच डेनिस लिली ने सचिन की गेंदबाजी देखकर कहा कि वे गेंदबाज नहीं बन सकते, बेहतर होगा कि वे अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान केन्द्रित करें।
सचिन जब अपने कोच के साथ बल्लेबाजी की प्रैक्टिस पर रहते थे तो गेंदबाजों के जल्दी थकने के कारण वे ठीक से प्रैक्टिस नहीं कर पाते थे। अचरेकर ने इस समस्या का एक शानदार हल निकाला। उन्होंने स्टंप पर एक रुपए का सिक्का रखकर कहा कि जो गेंदबाज सचिन का स्टम्प गिराएगा उसे यह सिक्का मिलेगा और अगर सचिन पूरे समय नाबाद रहकर प्रैक्टिस पूरी करते हैं तो यह सिक्का सचिन का हो जाएगा। सचिन के पास आज भी इस तरह जीते हुए 13 सिक्के रखे हैं, जो उन्हें उनके कोच ने पूरे समय नाबाद रहकर प्रैक्टिस करने पर दिए थे।
पहला टेस्ट शतक- सचिन ने अपने टेस्ट करियर का पहला शतक मात्र 17 वर्ष की उम्र में लगाया था और जब वे 25 वर्ष के हुए तब तक 16 टेस्ट शतक लगा चुके थे। सन् 2000 तक सचिन विश्व के पहले ऐसे बल्लेबाज बन गए थे, जिसने टेस्ट और एकदिवसीय क्रिकेट में सर्वाधिक 50 शतक मारे थे।
सचिन के रिकॉर्ड में एक खास बात यह थी कि उन्होंने अपना पहला एकदिवसीय शतक ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध कोलंबो में 9 सितंबर 1994 को लगाया था और उन्हें अपना पहला शतक मारने के लिए 78 मैचों का इंतजार करना पड़ा।
सचिन ने अपना पहला टेस्ट शतक इंग्लेंड के खिलाफ मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रेफर्ट मैदान पर 14 अगस्त 1990 को लगाया था। सचिन स्टीव वॉ और गैरी कर्स्टन के बाद तीसरे ऐसे बल्लेबाज हैं, जिसने टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले हर देश के खिलाफ शतक लगाए हैं।
सचिन (151 टेस्ट) ने भारत की तरफ से सर्वाधिक टेस्ट खेलने का भी रिकॉर्ड है। सचिन के बाद कपिल देव का नाम आता है, जिन्होंने 131 टेस्ट मैच खेले हैं।
सचिन ने 28 जुलाई 2007 को नार्टिंघम टेस्ट के दूसरे दिन 11,000 रन पूरे किए और वे टेस्ट क्रिकेट में इतने रन बनाने वाले विश्व के तीसरे बल्लेबाज बने।
5 फरवरी 2008 को कॉमन वेल्थ बैंक ट्राई सिरीज में खेलते हुए सचिन श्रीलंका के खिलाफ एकदिवसीय मैचों में सर्वाधिक 16,000 रन बानाने वाले विश्व के पहले बल्लेबाज बने।
वैसे तो सचिन की हर पारी अपने आप में खास है, लेकिन फिर भी 19 वर्ष की उम्र में ऑस्ट्रेलिया के वाका मैदान पर खेली शतकीय पारी उनकी कुछ सबसे शानदार पारियों में शुमार होती है। सचिन ने 1996 में भारतीय टीम की कमान संभाली, लेकिन उनकी कप्तानी में टीम वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाई, जैसी उम्मीद की जा रही थी।
सचिन संभवत: भारत के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं, जो प्रदर्शन के आधार पर कभी भी टीम से बाहर नहीं हुए। सचिन चोट के कारण कई बार टीम से बाहर होते रहे, लेकिन हर बार उन्होंने अपनी वापसी शानदार तरीके से की। सचिन को भारतीय क्रिकेट का भगवान कहा जाता है। भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान के लिए उन्हें 1997-98 में राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार, 1994 में अर्जुन पुरस्कार, 1997 में विस्डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर, 1999 में पद्मश्री, 2003 विश्वकप में शानदार प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट, 2004 व 2007 में आईसीसी वर्ल्ड इलेवन पुरस्कार और सन् 2008 में पद्मविभूषण जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के महान लेग स्पिनर शेन वार्न ने अपनी पुस्तक में विश्व में अब तक के 50 महान बल्लेबाजों के नाम लिए हैं, उनमें सचिन का नाम सबसे ऊपर है।