भारतीय क्रिकेट में दस्तक देते नए चेहरे
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प्रवीण सिन्हाशिखर की ओर कदम बढ़ा रही भारतीय क्रिकेट टीम में बढ़ती उम्र और अनुभवी खिलाड़ियों की संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है। इसकी वजह यह नहीं है कि सीनियरों का प्रदर्शन खराब हो रहा है। दरअसल, उभरते हुए युवा खिलाड़ी अब इतना अच्छा प्रदर्शन करने लगे हैं कि उनकी ज्यादा समय तक अनदेखी नहीं की जा सकती है। अगले साल ट्वेंटी-20 का विश्व कप होना है, जबकि न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसे मजबूत प्रतिद्वंद्बियों का भी टीम इंडिया को सामना करना है। भारत अपने खिताब को बरकरार रखने के क्रम में कई ऐसे खिलाड़ियों को मौका दे सकता है जो औरों के लिए तो अनजान होंगे, लेकिन घरेलू टूर्नामेंटों में वे लगातार शानदार प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय टीम में आने की दस्तक दे रहे हैं। उनमें से कुछ प्रमुख खिलाड़ियों का लेखाजोखा : चेतेश्वर पुजारा : सौराष्ट्र के मध्यक्रम के बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने इस सत्र में रणजी क्वार्टर फाइनल मैच ने पहले तक सात मैचों की 10 पारियों में 83. के औसत से 54 रन बनाए। इसमें तीन शतक शामिल हैं जिसमें उन्होंने उड़ीसा के खिलाफ एक तिहरा शतक (नाबाद 302) भी ठोका था। सौराष्ट्र के लिए पुजारा की छवि काफी हद तक उसी दीवार की तरह है जो कुछ समय पहले तक राहुल द्रविड़ की टीम इंडिया के लिए थी।अजिंक्या रहाणे : मुंबई के 20 वर्षीय अजिंक्या ने सात मैचों की 2 पारियों में 69.84 के औसत से 924 रन बनाए हैं। इनमें चार शतक और चार अर्द्धशतक शामिल हैं। वह निरंतर अच्छी बल्लेबाजी कर रहे हैं। उन्हें एक आकर्षक स्ट्रोक प्लेयर माना जाता है। देर-सबेर उनका भारतीय टीम में शामिल होना लगभग तय है। जरूरत है उन्हें अनुभव दिलाने की ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी वह अपनी चमक बिखेरने में सफल रहें।भाविन ठक्कर : 26 वर्षीय भाविन ठक्कर ने मुंबई टीम में अच्छे बल्लेबाजों की भरमार को देखते हुए हिमाचल प्रदेश का रुख किया। उनका यह निर्णय कारगर साबित हुआ और उन्होंने रणजी ट्रॉफी के प्लेट डिवीजन के 6 लीग मैचों की 9 पारियों में से 586 रन बनाए। इनमें चार शतक शामिल हैं। उन्होंने उम्दा प्रदर्शन करते हुए हिमाचल को नाकआउट दौर में जगह दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।मोहनीश परमार : गुजरात के परमार को राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के प्रमुख डेव व्हाटमोर ने तेजी से उभरता हुआ गेंदबाज बताया था। उन्होंने इस बात को साबित करते हुए रणजी के मैचों में 34 विकेट झटक लिए। उनका एक्शन करिश्माई ऑफ स्पिनर मुथैया मुरलीधरन से मिलता-जुलता है। उन्होंने उड़ीसा के खिलाफ 2 विकेट झटके और अपनी टीम को क्वार्टर फाइनल में प्रवेश दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अगर उनके एक्शन पर उंगली नहीं उठी तो वह जल्द ही राष्ट्रीय टीम के हिस्सा बन सकते हैं।धवल कुलकर्णी : मुंबई को पिछले कुछ वर्षों में एक स्ट्राइक तेज गेंदबाज की कमी महसूस होती रही है। धवल में पारी की शुरुआत में ही विकेट झटक लेने की अद्भुत कला है। उनकी इसी काबिलियत की वजह से मुंबई के दूसरे स्ट्राइक गेंदबाज रमेश पोवार जब आक्रमण पर लगाए जाते हैं तो उन्हें विकेट पर आए नए बल्लेबाजों का शिकार करने का मौका मिल जाता है। धवल ने रणजी के 6 मैचों में 32 विकेट लेकर अपनी सार्थकता साबित की। उन्होंने आईपीएल में भी मुंबई इंडियंस के लिए बेहतरीन गेंदबाजी करते हुए काफी प्रभावित किया था।रविंद्र जडेजा : सौराष्ट्र के लिए खेलते हुए मैचों में 636 रन बनाए और 30 विकेट भी झटके। रविंद्र जडेजा के इस आंकड़े को देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि इस ऑलराउंडर ने सौराष्ट्र को नाकआउट दौर में पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बाएँ हाथ के इस स्पिनर ने महज 29 रन पर सात विकेट झटककर हैदराबाद की कमर तोड़ दी थी। उन्होंने रणजी सत्र में तीन बार पाँच या उससे अधिक विकेट झटके। बल्लेबाजी में भी उन्होंने दो शतक और दो अर्द्धशतक ठोके, जबकि फील्डिंग में चीते सी फुर्ती उनकी उपयोगिता और बढ़ा देती है।अशोक डिंडा : आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स की ओर से खेलते हुए अचानक सुर्खियों में आए। इसके बाद बंगाल की टीम अगर प्लेट से सुपरलीग क्वार्टर फाइनल में जगह बनाने में सफल रही तो उसमें तेज गेंदबाज अशोक और रणदेब बोस की अहम् भूमिका रही। डिंडा ने 6 मैचों में 3 विकेट लिए। अगले सत्र में उन्हें राष्ट्रीय टीम के साथ ड्रेसिंग रूम शेयर करने का मौका मिल जाए तो आश्चर्य की बात नहीं होगी।इसी तरह, तमिलनाडु के ए. मुकुंद ने छह मैचों की आठ पारियों में 96.85 के औसत से 68 रन बनाए। इसमें एक तिहरा शतक समेत तीन शतक शामिल हैं। गुजरात के एस. त्रिवेदी ने भी मैचों में 33 विकेट लेकर खासा प्रभावित किया।