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International Happiness Day 2023: क्‍या है खुशी नाम की चिड़िया, क्‍यों कुछ देश ज्यादा खुश हैं तो कुछ हैं नाखुश

Happiness
दुनिया के सबसे लोकप्रिय कॉमेडियन और एक्‍टर चार्ली चैप्‍लिन ने कहा था- हंसी के बिना गुजारा गया दिन एक बर्बाद दिन है। कुछ ऐसा ही मशहूर कैनेडियन एक्‍टर जिम कैरी ने कहा है। जिम कैरी ने कहा है- हर किसी को अमीर और प्रसिद्ध होना चाहिए और वह सब कुछ करना चाहिए, जिसका उन्‍होंने कभी सपना देखा था ताकि वे जान सकें कि यह जिंदगी का मकसद नहीं है। वहीं, प्रसिद्ध आध्‍यात्‍मिक गुरु आशो ने कहा है--अगर आप खुश हैं तो कोई आपको युद्ध में नहीं धकेल सकता।

लब्‍बोलुआब यह है कि दुनिया की सबसे कामयाब हस्‍तियां भी धन, दौलत, कामयाबी और प्रसिद्धि सबकुछ होने के बाद यह मानती रहीं हैं कि खुशी का कोई पर्याय नहीं है। खुशी एक चिड़िया की तरह है जो फुदकती हुई कभी भी, कहीं से भी आ सकती है, तो वहीं कई बार ये सबकुछ होने के बाद भी कहीं नहीं मिलती।

आज 20 मार्च को International Happiness Day 2023 है। इस खास दिन वेबदुनिया ने यह जानने की कोशिश की है कि आखिर ये खुशी नाम की चिड़िया है क्‍या। भारत Happiness Index (खुशी का स्‍तर) में किस स्‍तर पर है और दुनिया में वो कौन से देश से जहां के लोग सबसे ज्‍यादा खुश क्‍यों और कैसे रहते हैं। आखिर कैसे मिलती है खुशी और क्‍यों ये इतनी जरूरी है। आइए करते हैं भारत में खुशी की पड़ताल।
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दरअसल, भारत में धर्म, राजनीति, बायकॉट और सहमति-असहमति सोशल मीडिया ट्रेंड के चार्ट में सबसे ऊपर रहता है। गुस्‍सा, नफरत और आंदोलन भी चरम पर होते हैं। इस बीच खुशी के चार्ट यानी Happiness Index में हम कहां हैं, यह हम में से किसी को नहीं पता है।

हालांकि वर्ल्‍ड हैप्‍पीनेस इंडेक्‍स की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत इस साल 136वें पायदान पर है। यानी खुश होने के मामले में दुनिया में हमारा नंबर 136वां है। वहीं, फिनलैंड को लगातार 5वीं बार दुनिया का सबसे खुशहाल देश घोषित किया गया है। जिंदगी में खुशी का कितना महत्‍व है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मध्‍यप्रदेश सरकार ने 2016 में आनंद मंत्रालय की शुरुआत की थी, जो नागरिकों की खुशी, आनंद समेत जीवन के कई आयामों पर माड्यूल संचालित करता है।

भारत में खुशी का चार्ट
खुशहाली के मामले में मार्च 2023 में 150 देशों की सूची में भारत 136वें पायदान पर है। जो स्पष्ट तौर पर यह दिखाता है कि भारत में लोग उतना खुश नहीं हैं, जितने कि अन्य देशों के लोग हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार भारत खुशहाली के मामले में 118वें नंबर पर था। 2019 में भारत को 140वां स्थान मिला। भारत 2020 में 144वें स्थान पर रहा। 2021 में दुनिया की खुशी की 9वीं वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट की रैंकिंग में भारत 139वें नंबर पर आया था। रिपोर्ट में तालिबान के शासन के बाद अफगानिस्तान सबसे निचले पायदान पर है। दिलचस्‍प है कि भूटान में 70 के दशक से ही नेशनल हैप्पीनेस इंडेक्स की अवधारणा लागू है।

भारत में खुशी का बढता ग्राफ
2023 में भारत 136वें नंबर पर है
2022 में भारत 136वें नंबर पर था
2021 में भारत 139वें नंबर पर था
2020 में भारत 144वें स्थान पर था 
2019 में भारत 140वां स्थान पर था
(World Happiness Report 2022)
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दुनिया के सबसे खुशहाल देश
लिस्ट में लगातार पांचवे साल भी फिनलैंड को दुनिया का सबसे खुशहाल देश माना गया है। जबकि दूसरे पर डेनमार्क, तीसरे पर स्विट्जरलैंड, चौथे पर आइसलैंड, पांचवें पर नीदरलैंड, छठे पर लक्जमबर्ग, सातवें पर स्‍वीडन,  आठवें पर नॉर्वे, नौवें पर इजरायनल और दसवें न्‍यूजीलैंड है।

वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट के मुताबिक 2022 के टॉप 10 खुशहाल देश
1.फिनलैंड
2. डेनमार्क
3. स्विट्ज़रलैंड
4. आइसलैंड
5. नीदरलैंड्स
6. लक्जमबर्ग
7. स्वीडन
8. नॉर्वे
9. इज़राइल
10. न्यूजीलैंड
(World Happiness Report 2022)
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आखिर क्‍या है खुशी?
अगर कोई व्यक्ति जोर-जोर से हंस रहा है, या हंसने का दिखावा कर रहा है इससे यह बिल्कुल भी सिद्ध नहीं होता कि वह खुश है,अक्सर उन चेहरों के पीछे दुख छुपा होता है जो सामने तो मुस्कुराते हैं, लेकिन‌ अकेले में काफी उदास हैं। हालांकि किसी की शारीरिक, मानसिक और सांसारिक इच्छाएं पूरी होती है तो मोटेतौर पर उसे सुखी व्यक्ति माना जाता है। हालांकि हर आदमी के खुशी के पैमाने और मायने अलग-अलग होते हैं। किसी को यह एक चॉकलेट भेंट करने में मिल जाती है तो कई बार सबकुछ होने के बाद भी कोई खुश नहीं रह पाता है। हो सकता है इसके कोई वैज्ञानिक तर्क भी हो। लेकिन आमतौर पर किसी की खुशी सांसारिक भोगों में है तो कोई आध्‍यात्‍मिक आनंद की तलाश में है। किसी के लिए सफलता मायने रखती है, जिसमें पैसा, घर, कार शामिल हैं तो किसी के लिए परिवार के साथ रहने का सुख ही खुशी है।

भारत में खुशी की क्‍लास
इस अत्‍याधुनिक और तकनीकी क्रांति वाले युग में बढती अराजकता, नफरत और अहसमति के बीच भारत में कई मोटिवेशनल गुरु, थिंकर, आध्‍यात्‍मिक गुरु, धार्मिक गुरुओं की भरमार हो रही है। वे पॉजिटिव स्‍पीच देते हैं। सकारात्‍मकता सिखाने की सीख दे रहे हैं और कामयाब होने के गुर सिखा रहे हैं। सोशल मीडिया के दौर में इनके फॉलोअर्स लाखों में हैं। इसका साफ अर्थ है कि कितना ज्‍यादा लोग शांति और खुशी की तलाश में हैं।
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खुशी का मंत्रालय: खुशी के लिए क्‍या कर रही मप्र सरकार   
मध्‍यप्रदेश सरकार ने साल 2016 में बढती निराशा, अवसाद और आत्‍महत्‍या के मामलों को देखते हुए आनंद मंत्रालय की शुरुआत की थी। प्रदेश सरकार राजधानी भोपाल में राज्‍य आनंद संस्‍थान चलाती है, जिसके सीईओ अखिलेश अर्गल ने वेबदुनिया को चर्चा में बताया कि ये विभाग खुशी, आनंद, क्षमा, तनाव, संवेदनशीलता और मदद जैसे कई मॉड्यूल पर काम कर रहा है। इसमें हम ‘अल्‍पविराम’ ‘आनंद उत्‍सव’ ‘जॉय ऑफ गिविंग’ ‘आनंद सभा’ आदि माड्यूल पर काम कर रहे हैं। सब में मिलाकर अब तक 20 लाख से ज्‍यादा लोगों की भागीदारी हो चुकी है।

ये मॉड्यूल चला रहा मप्र का आनंद विभाग
अल्‍पविराम और आनंद उत्‍सव है जो सामाजिक समरसता बढाने का काम करता है। इन कार्यक्रमों में पूरे प्रदेश में 10 हजार से ज्‍यादा स्‍थानों पंचायतों पर गावों आयोजन हो चुका है। इसमें करीब 20 लाख लोगों की भागीदारी रही।

जॉय ऑफ गिविंग के तहत हमने आनंदम केंद्र स्‍थापित किए इसमें कपडे, खिलोने साइकिल, कार, स्‍कूटर या कोई दूसरा सामान रख देते हैं इन केंद्रों में किताबें है जरूरत मंद ले जाते हैं। प्रदेश में इसके तहत 172 केंद्र हैं।

आनंद सभा कक्षा 9 से 12वीं तक के बच्‍चों के लिए है। जो जीवन कौशल, मदद, आत्‍मविश्‍वास, क्षमा, संवेदनशीलता आदि मॉड्यूल पर काम करता है।

आनंद क्‍लब के तहत राज्‍य सरकार की आनंद संस्‍थान की वेबसाइट पर कोई भी अपना क्‍लब गठित कर सकता है। जिसकी मदद से कोई भी आम नागरिक लोगों के लिए काम कर सकता है। हमारे साथ 400 क्‍लब हैं। 4 हजार सदस्‍यों की संख्‍या है। यह क्‍लब युवाओं के लिए है। हमारा कोई स्‍टाफ नहीं है। ये सारे प्रोग्राम वॉलिटिंयर की मदद से संचालित होते हैं। हमारे साथ इस वक्‍त 75 हजार वॉलिंटेयर हैं।
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इतिहास : कब हुई इस दिन की शुरुआत
दुनियाभर के लोगों में खुशी के प्रति जागरुकता करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 12 जुलाई 2012 को इसे मनाने का फैसला लिया था। इस दिन को मनाने के पीछ मशहूर समाज सेवी जेमी इलियन के प्रयासों का नतीजा था। उन्हीं के विचारों ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव जनरल बान की मून को प्रेरित किया और 20 मार्च 2013 को इंटरनेशल डे ऑफ हैप्पीनेस घोषित किया गया।

कौन हैं जेमी इलियन?
अंतर्राष्ट्रीय खुशी दिवस की स्थापना से 32 साल पहले जेमी इलियन एक अनाथ थे, जिन्हें मशहूर समाज सेविका मदर टेरेसा की संस्था ने कलकत्ता की सड़कों से उठाया था। बाद में जेमी को एना बेल इलियन नाम कि एक सिंगल अमेरिकी महिला ने गोद ले लिया। जेमी यूएन के सलाहकार रह चुके हैं।