Virus antibodies जांचों से लगाई गईं उम्मीदों का पूरा होना अब भी बाकी
वॉशिंगटन। कोरोनावायरस के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन के चरम पर रहने के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके शीर्ष स्वास्थ्य सलाहकारों ने एक नए परीक्षण की घोषणा की थी, जो अमेरिकियों का जीवन सुधारने में मदद करेगा। एक ऐसी जांच, जो उन्हें बताएगी कि क्या उनमें वायरस पहले से मौजूद था और क्या वे दोबारा इससे संक्रमित होने से बच पाएंगे?
ट्रंप अप्रैल की अपनी नियमित प्रेस वार्ता में दोहराते थे कि इस परीक्षण के आने से अमेरिकी काम पर लौट पाएंगे।
अब कई महीनों बाद अमेरिका परीक्षणों में डूबा पड़ा है लेकिन उनकी उपयोगिता को लेकर जताए गए बड़े-बड़े अनुमानों का सही साबित होना बाकी है।
न्यूयॉर्क सिटी के जन स्वास्थ्य प्रयोगशाला के डॉ. जेनिफर रेकमेन ने कहा कि निश्चित तौर पर इस बात को लेकर बहुत इच्छाएं उत्पन्न हो गई थीं कि एक चमत्कारी जांच होगी, जो हम सबको बचा लेगी लेकिन हम अब तक वहां पहुंचे नहीं हैं। यह जांच खून में एंटीबॉडीज का पता लगाती है, जो शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए बनाता है।
वैज्ञानिक अब भी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कोरोनावायरस के लिए बने एंटीबॉडीज दूसरे संक्रमण से किसी को किस प्रकार बचाते हैं या यह संरक्षण कितने लंबे समय तक रहता है? कुछ शुरुआती अध्ययनों में सामने आया था कि कोई भी प्रतिरक्षा तेजी से समाप्त होती है। पिछले हफ्ते का अनुसंधान ज्यादा ठीक मालूम होता है जिसमें कहा गया कि पता चलने के बाद एंटीबॉडीज कम से कम 4 महीने तक रहते हैं और जल्दी समाप्त नहीं होते हैं।
अभी के लिए रोग नियंत्रण एवं बचाव केंद्र और अमेरिकी मेडिकल एसोसिएशन ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि इन एंटीबॉडी जांचों का इस्तेमाल कामगारों के कार्यालय लौटने या विद्यार्थियों के स्कूल लौटने के संदर्भ में नहीं किया जाना चाहिए लेकिन कुछ लैब अब भी इन्हें इन प्रयोगों के लिए बढ़ावा दे रही है। (भाषा)