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Last Updated : सोमवार, 6 सितम्बर 2021 (21:47 IST)

'जीनोम सीक्वेंस' में गिरावट की खबरों का सरकार ने दिया यह जवाब, पेश किए आंकड़े...

'जीनोम सीक्वेंस' में गिरावट की खबरों का सरकार ने दिया यह जवाब, पेश किए आंकड़े... - The government gave this answer to the news of the decline in the genome sequence
नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को बताया कि जुलाई और अगस्त में सार्स-सीओवी-2 के नमूनों की जांच के लिए पूर्ण जीनोम अनुक्रमण (डब्ल्यूजीएस) की खातिर 16,000 से अधिक कोविड-19 नमूने भेजे गए थे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कुछ  मीडिया खबरों में आरोप लगाया गया है कि भारत में जीनोम अनुक्रमण और कोविड विश्लेषण में तेजी से गिरावट आई है, जबकि बीमारी के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है।

मंत्रालय ने कहा कि जुलाई के बाद से नमूना विवरणों को सटीक रूप से साझा करने और डब्ल्यूजीएस नतीजों पर संचार के लिए एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच पोर्टल (आईएचआईपी) के माध्यम से आंकड़े साझा किए जा रहे हैं। मंत्रालय के अनुसार जुलाई में निगरानी स्थलों के माध्यम से 9,066 नमूने भेजे गए और अगस्त में 6,969 नमूने साझा किए गए।

सार्स-सीओवी-2 की जीनोमिक निगरानी चिंता पैदा करने वाले स्वरूपों के बारे में जानकारी के लिए महत्वपूर्ण है। मंत्रालय ने कहा कि यह स्पष्ट है कि रिपोर्ट में उद्धृत अनुक्रमों की संख्या भारतीय कोविड जीनोम निगरानी पोर्टल से ली गई प्रतीत होती है।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि विश्लेषण किए गए अनुक्रमण नमूनों की संग्रह तिथि के अनुसार हैं और ये किसी खास महीने में अनुक्रमित नमूनों की संख्या को नहीं दर्शाते हैं। आईएनएसएसीओजी समह की प्रयोगशालाओं द्वारा अनुक्रमित नमूने संबंधित राज्यों द्वारा भेजे गए नमूनों पर भी निर्भर करते हैं।

आईएनएसएसीओजी प्रयोगशालाओं द्वारा नमूनों के प्रारंभिक अनुक्रमण का मकसद विदेशों से आने वाले यात्रियों के बीच घातक स्वरूपों (वीओसी) का पता लगाना था और यह भी देखना था कि क्या वीओसी से संक्रमित किसी व्यक्ति ने पिछले 1 महीने में देश में प्रवेश किया है।
बयान में कहा गया है कि महाराष्ट्र, पंजाब और दिल्ली जैसे कई राज्यों में फरवरी के महीने में मामले बढ़ने लगे और इसके प्रतिक्रिया के रूप में विदर्भ के 4 जिलों, महाराष्ट्र के 10 जिलों और पंजाब के करीब 10 जिलों में अनुक्रमण बढ़ाया गया।
इसके अलावा प्रतिमाह 300 नमूनों या प्रति राज्य 10 निगरानी स्थलों के संबंध में कोई संख्या नहीं निर्धारित की गई है। ये सांकेतिक संख्याएं हैं और राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को सभी भागों से भौगोलिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने वाले अधिक निगरानी स्थलों की पहचान करने का विकल्प प्रदान किया गया है।(भाषा)