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Last Modified: मंगलवार, 27 अप्रैल 2021 (14:43 IST)

बढ़ते कोरोना मामलों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- राष्ट्रीय संकट पर मूक दर्शक बने नहीं रह सकते

बढ़ते कोरोना मामलों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- राष्ट्रीय संकट पर मूक दर्शक बने नहीं रह सकते - Supreme court says, can not be slient spectator on national crises
नई दिल्ली। कोविड-19 मामलों में बेतहाशा वृद्धि को राष्ट्रीय संकट बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह ऐसी स्थिति में मूक दर्शक बना नहीं रह सकता। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि कोविड-19 के प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार करने पर उसकी स्वत: संज्ञान सुनवाई का मतलब उच्च न्यायालय के मुकदमों को दबाना नहीं है।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर महामारी की स्थिति पर नजर रखने के लिए बेहतर स्थिति में है। पीठ ने कहा कि कुछ राष्ट्रीय मुद्दों पर शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप की आवश्यकता है क्योंकि कुछ मामले राज्यों के बीच समन्वय से संबंधित हो सकते हैं।
 
पीठ ने कहा कि हम पूरक भूमिका निभा रहे हैं, अगर उच्च न्यायालयों को क्षेत्रीय सीमाओं के कारण मुकदमों की सुनवाई में कोई दिक्कत होती है तो हम मदद करेंगे।
 
देश के कोविड-19 की मौजूदा लहर से जूझने के बीच सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर स्थिति का गत गुरुवार को स्वत: संज्ञान लिया था और कहा था कि वह ऑक्सीजन की आपूर्ति तथा कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए आवश्यक दवाओं समेत अन्य मुद्दों पर राष्ट्रीय योजना चाहता है।
 
शीर्ष अदालत ने वायरस से संक्रमित मरीजों के लिए ऑक्सीजन को इलाज का आवश्यक हिस्सा बताते हुए कहा था कि ऐसा लगता है कि काफी घबराहट पैदा कर दी गई है जिसके कारण लोगों ने राहत के लिए अलग अलग उच्च न्यायालयों में याचिकायें दायर कीं। (भाषा)