Rajasthan Coronavirus Update : संक्रमित संख्या 30 हजार के पार, ऐतिहासिक और परंपरागत मेलों पर कोरोनावायरस का 'ग्रहण'
जयपुर। राजस्थान में कोरोना संक्रमितों की संख्या रफ्तार के साथ बढ़ रही है। 351 नए मामले सामने आए जिससे संक्रमितों की संख्या 30 हजार 741 पहुंच गई। 6 लोगों की और मौत हो जाने से इससे मरने वालों की संख्या भी बढ़कर 574 हो गई। कोरोनावायरस संक्रमण के चलते इस बार कई ऐतिहासिक एवं पारंपरिक मेलों के आयोजनों पर संकट के बादल नजर आ रहे हैं।
अलवर में सबसे ज्यादा 103 मामले : चिकित्सा विभाग के अनुसार नए मामलों में सर्वाधिक 103 मामले अलवर जिले में सामने आए हैं। जालोर में 43, नागौर 32, अजमेर 27, सिरोही 23, जयपुर एवं सीकर में 20-20, दौसा 18, कोटा 15, हनुमानगढ़ 10, टोंक, गंगानगर एवं उदयपुर में 7-7, डूंगरपुर पांच, सवाईमाधोपुर चार, भीलवाड़ा एवं झुंझुनूं तीन-तीन, बांसवाड़ा, बारां एवं बूंदी में एक-एक नया मामला सामने आया है। नए मामलों में 1मामला राज्य के बाहर के व्यक्ति का है।
राजधानी जयपुर में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 4425 हो गई। इसी तरह अजमेर में 1220, अलवर 194, बांसवाड़ा 115, बारां 80, भीलवाड़ा 360, बूंदी 38, दौसा 259, डूंगरपुर 524, गंगानगर 112,हनुमानगढ़ 167, जलोर 927, झुंझुनूं 503, कोआ 1061, नागौर 1137, सवाईमाधोपुर 162, सीकर 756,सिरोही 763, टोंक 233 एवं उदयपुर में 1011 हो गई।
घरों में ही आइसोलेट करने की तैयारी : राजस्थान में लॉकडाउन खुलने के बाद जिस तेजी से कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए अस्पतालों में बेड कम पड़ने की आशंका के मद्देनजर अब संक्रमितों को उनके घरों में ही होम आइसोलेट करने की तैयारी की जा रही है।
सूत्रों ने आज बताया कि इस बारे में आज दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं। समूचे राजस्थान के अन्य हिस्सों के साथ कोटा संभाग में भी लॉक डाउन में छूट देने के बाद और हजारों श्रमिकों के दूसरे राज्यों से लौटने के उपरांत कोटा संभाग में भी अब कोरोना संक्रमितों की संख्या में बड़ी तेजी से इजाफा हो रहा है।
जांच संख्या बढ़ाने से मरीजों की बढ़ोतरी : राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम की दृष्टि से प्रदेश देश में अग्रणी प्रांतों में शामिल है।
डॉ. शर्मा ने आज यहां कहा कि प्रदेश में कोरोना सैंपल जांच की संख्या बढ़ाकर औसतन प्रतिदिन 25000 करने से हालांकि पॉजीटिव लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है लेकिन कोरोना पॉजिटिव का जल्दी पता लगने से समय पर उपचार के परिणामस्वरूप रिकवरी रेट सुधरकर 73.83 प्रतिशत तथा कोरोना से होने वाली मृत्युदर कम होकर 1.90 प्रतिशत रह गई है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा समय-समय पर स्थिति की समीक्षा कर कोविड-19 के कारण होने वाली जनहानि को रोकने के लिए भी हरसंभव प्रयास करने के निर्देश दिए गए हैं। इसी के अनुरूप कोरोना की अधिकाधिक जांच कर कोरोना मरीजों की जल्द पहचान कर चिकित्सा प्रांरभ की जा रही है। समस्त जिलों में र्प्याप्त कोविड केयर सेंटर एवं कोविड केयर अस्पतालों में व्यवस्था सतत रखने के निर्देश दिए गए हैं।
संक्रमितों की बढ़ती संख्या ने चिकित्सा विभाग को भी असहाय कर दिया है क्योंकि यह आशंका जताई जा रही है कि जल्द ही अस्पतालों में रोगियों के लिए बिस्तरों की संख्या कम पड़ने लगेगी। इस स्थिति की अभी से आशंका को देखते हुए राज्य सरकार के निर्देश पर चिकित्सा विभाग ने अब वैकल्पिक तैयारियां करना शुरू कर दी हैं।
कोटा में कोरोना से पीड़ित होने वाले मरीजों के इलाज के लिए कोटा मेडिकल कॉलेज के संलग्न नए अस्पताल में पूरी व्यवस्था की गई है, लेकिन अब अस्पताल की चिंता यह है कि जिस तेजी से बड़ी संख्या में नए संक्रमित आ रहे हैं, उसे देखते हुए अस्पताल में जगह कम पड़ने लगेगी, लिहाजा वैकल्पिक व्यवस्था किए जाने की आवश्यकता है और इसके लिए तैयारियां भी की जा रही है। कोटा मेडिकल कॉलेज के इस नए अस्पताल में अब तक भर्ती कोरोना रोगियों की संख्या 235 है। आज भी 16 नए रोगी सामने आए हैं और प्रतिदिन यह संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है।
मेलों के आयोजन पर संकट : कोरोना के चलते इस बार कोटा का ऐतिहासिक एवं प्रसिद्ध दशहरा मेला सहित कई मेलों का भव्य आयोजन संकट में नजर आ रहा है। कोरोना का कहर जारी रहने से कोटा के कई बड़े त्योहार और ऐतिहासिक एवं परंपरागत मेंलों का भव्य आयोजन खटाई में पड़ सकता है और जिसमें कोटा का ऐतिहासिक दशहरा मेला भी शामिल हो सकता है, जिसे हाड़ौती संभाग की सांस्कृतिक ऐतिहासिक विरासत का शानदार प्रतीक माना जाता रहा है।
कोटा में रियासत काल में इस मेले को आयोजित करने की परंपरा की शुरुआत हुई थी और यह परंपरा पिछले 126 वर्षो से चली आ रही है। कोटा में वर्ष 1989 में 6 सितंबर को दंगा होने के बाद भी नवंबर माह में तत्कालीन कोटा नगर परिषद ने मेले का आयोजन किया था लेकिन कुछ ही दिन के बाद किसी अप्रिय घटना की आशंका को देखते हुए तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट ने बीच में ही मेले को समाप्ति की घोषणा कर दी।
इस बार भी दशहरे मेले के आयोजन पर कोरोना संक्रमण संकट मंडरा रहा है। इस साल देवशयनी एकादशी से पहले कोटा दशहरा मेले के आयोजन के लिए हर साल होने वाली गणेशजी की स्थापना की परंपरा इस बार टूट गई और यह समय अनुसार नहीं हो पाया। यह माना जाता है कि गणपति स्थापना के साथ ही दशहरा मेला आयोजन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
कोटा में दशहरे मेले से पहले बूंदी जिले के नैनवा नगर में दहेलवालजी का एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है और कोटा दशहरा मेला के समापन के बाद झालावाड़ जिले में चंद्रभागा नदी के तट पर एक बड़े मेले का आयोजन होता है लेकिन इस बार यह दोनों मेले भी आयोजित होंगे इस बात को लेकर संशय बना हुआ है।
इसके अलावा दो बड़े आयोजन गणेश चतुर्थी और अनंत चतुर्दशी भी कोटा में होते हैं। इन दोनों धार्मिक अवसरों पर कोटा में खूब धूमधाम रहती है और विशाल एवं भव्य धार्मिक जुलूस निकाले जाते हैं जिनमें हजारों लोगों की भागीदारी होती है।
इस बार गणेश चतुर्थी 22 अगस्त को और काफी संवेदनशील माने जाने वाला अनंत चतुर्दशी पर्व 1 सितंबर को आने वाला है लेकिन इस बार इन दोनों पर्व पर कोटा में हर साल की तरह बड़े पैमाने पर जुलूस-जलसे का आयोजन होगा, कोरोना संकट के कारण यह आयोजन अभी संदेह के घेरे में है।
राज्य सरकार की अनुमति पर जिला मजिस्ट्रेट ही इनके आयोजन का निर्णय कर पाएंगे। इससे पहले कोरोना संक्रमण संकट का असर कोटा में सोमवार को श्रावणी तीज के त्योहार पर देखने को मिल चुका है।
कोटा के भीमगंज मंडी इलाके में स्टेशन रोड पर इस दिन हर साल श्रावणी तीज मेला आयोजन की तकरीबन 52 साल पुरानी परंपरा है, जो इस बार टूटी और न तो शोभायात्रा निकाली गई और न हीं, यहां मेला भरा जबकि यहां इस पावन मौके पर 13 दिन का मेला हर साल भरता रहा है और श्रावणी तीज के दिन भव्य शोभायात्रा निकलती है। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं पूरे उत्साह के साथ भाग लेती हैं, लेकिन इस बार आयोजन समिति ने ईमानदारी से सोशल डिस्टेंसिंग का निर्वहन करते हुए सारे कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया। (वार्ता)