कश्मीर में Corona के 14 नए मामलों के साथ संख्या 368 के पार
कश्मीर में 14 नए मामलों के साथ ही प्रदेश में कोरोना कोरोना वायरस (Corona virus) पॉजिटिव की संख्या बढ़कर 368 को पार कर गई है। सबसे ज्यादा मामले कश्मीर के बांडीपोरा से आ रहे हैं। बावजूद इसके प्रशासन इसे कम्युनिटी ट्रांसमिशन के तौर पर लेने को राजी नहीं है।
कश्मीर में आज 14 नए संक्रमित मामले सामने आए हैं। ये सभी मामले कश्मीर संभाग से हैं जबकि लगातार दूसरे दिन जम्मू से कोई कोरोना संक्रमित मामला नहीं आया है। कश्मीर में लॉकडाउन के बीच संक्रमितों की लगातार बढ़ती संख्या ने प्रशासन की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। हालांकि प्रशासन यह दावा कर रहा है कि कश्मीर में परिस्थितियां नियंत्रण में हैं। आज आए नए मामलों को मिलाकर पूरे प्रदेश में कुल संक्रमित मामलों की संख्या बढ़कर 368 हो गई है।
जम्मू कश्मीर सरकार के प्रवक्ता रोहित कंसल ने अपने टि्वटर हैंडल पर इसकी जानकारी देते हुए कहा कि आज कश्मीर संभाग में 14 नए संक्रमित मामले आए हैं। इसी के साथ घाटी में संक्रमितों का आंकड़ा 300 को पार कर 313 तक पहुंच गया है। जम्मू संभाग में दूसरे दिन कोई पॉजिटिव मामला सामने नहीं आया है। इसी के साथ जम्मू में अब तक संक्रमित मामलों की संख्या 55 जबकि कश्मीर में 313 हो गई है।
उत्तरी कश्मीर के हालात बता रहे हैं कि यह अब समुदाय में फैलता जा रहा है। बांडीपोरा पूरे प्रदेश में कोरोना वायरस की राजधानी बन चुका है, जहां 84 पॉजिटिव मरीज हैं। उत्तरी कश्मीर में ही नहीं सेंट्रल कश्मीर में भी सामने आ रहे नए मामले यह स्पष्ट कर रहे हैं कि यहां भी यह संक्रमण बांडीपोरा से ही पहुंचा है। वहीं प्रदेश प्रशासन अभी सामुदायिक प्रसार को नकारते हुए यही कह रहा है कि स्थिति नियंत्रण में है।
जम्मू कश्मीर में सोमवार की सुबह तक संक्रमित मरीजों की संख्या 354 थी जो शाम को बढ़कर 368 हो गई। इनमें से 313 कश्मीर घाटी में हैं। घाटी के दस जिलों में सबसे ज्यादा 84 मामले बांडीपोरा से हैं। बांडीपोरा के साथ सटे बारामुल्ला में 43 और कुपवाड़ा में 31 मरीज हैं। सेंट्रल कश्मीर जिला गांदरबल जो बांडीपोरा के साथ सटा है, में भी 14 मरीजों के साथ रेड जोन का हिस्सा बन चुका है।
बांडीपोरा में यह संक्रमण सबसे पहल तब्लीगी जमात के सदस्यों के जरिए ही पहुंचा। उनके संपर्क में आए लोगों ने इसे आगे बढ़ाया। ट्रैवल हिस्ट्री छिपाने वालों ने भी इसमें योगदान दिया, लेकिन सात अप्रैल को संक्रमित स्थानीय मरीज की मौत ने सभी को सकते में डाल दिया। मरने वाला न तब्लीगी जमात से जुड़ा था और न कहीं बाहर यात्रा से लौटा था। उसका किसी संक्रमित से भी कोई संपर्क नहीं था।