बोस्टन। अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने दावा किया कि कोरोनावायरस (Coronavirus) जांच के लिए स्वास्थ्य कर्मियों के बजाय खुद से नाक से लिया गया नमूना अधिक सटीक और सुरक्षित होता है।
‘जर्नल ऑफ दि अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में प्रकाशित इस अनुसंधान के नतीजे 30 प्रतिभागियों पर अधारित है। पूर्व में कोरोनावायरस से संक्रमित इन लोगों ने नमूना लेने के तरीके को बताने वाले लघु वीडियो देखने और एक पन्ने के दिशानिर्देश पढ़ने के बाद जांच के लिए खुद अपना नमूना एकत्र किया था।
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि नाक से लिए गए नमूने का अध्ययन करना मौजूदा समय में नाक में ऊपरी हिस्से से लिए जा रहे नमूने से अधिक आसान है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि कोरोनावायरस से संक्रमण के संदिग्धों को स्वयं नमूने एकत्र करने देने के कई फायदे हैं।
उन्होंने कहा कि नमूना एकत्र करने के लिए बड़े पैमाने पर किट बांटे जा सकते हैं, जिससे अधिक लोगों की जांच संभव होगी। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि जो लोग किट का इस्तेमाल करेंगे, उन्हें प्रयोगशाला तक जाने की जरूरत नहीं होगी। इससे यात्रा के दौरान अन्य लोगों और स्वास्थ्य कर्मियों के संक्रमित होने का खतरा कम होगा।
उन्होंने कहा कि खुद नमूना एकत्र करने से स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) की बचत होगी। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर यवोन्ने माल्डोनाडो ने कहा, वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने की गति कम करने के लिए हमें जांच क्षमता तुरंत बढ़ाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, नमूना एकत्र करने की प्रक्रिया को मरीज खुद अपनी कार और घर में पूरा कर सकता है। इससे स्वास्थ्य कर्मियों के संक्रमित होने का खतरा कम होगा और अधिक से अधिक लोग जांच के लिए नमूना जमा करा सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों के स्टैनफोर्ड स्वास्थ्य केंद्र में मार्च में कोरोनावायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। अनुसंधान के दौरान माल्डोनाडो और उनकी टीम ने घर पर रह रहे प्रत्येक मरीज से फोन से संपर्क किया और उन्हें खुद नमूना एकत्र करने के लिए लिखित दिशानिर्देश के साथ प्रक्रिया को समझाने के लिए एक वीडियो भेजा।
इन मरीजों को जांच के लिए स्टैनफोर्ड स्वास्थ्य केंद्र बुलाया गया। स्वास्थ्य केंद्र आने पर उनसे खुद नाक से नमूने एकत्र करने को कहा गया। अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि इसके बाद चिकित्सकों ने इन संक्रमितों के गले और नाक से अतिरिक्त नमूने लिए और फिर तीनों नमूनों की जांच की गई।
अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि 30 प्रतिभागियों में से 29 प्रतिभागियों के तीनों नमूनों की जांच रिपोर्ट (पॉजिटिव या निगेटिव) एक रही। अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक 11 प्रतिभागियों की रिपोर्ट पॉजिटिव रही जबकि 18 प्रतिभागियों की रिपोर्ट नेगेटिव आई। वहीं एक प्रतिभागी की खुद से एकत्र किए गए नमूने में संक्रमण की पुष्टि हुई जबकि चिकित्सकों द्वारा संग्रहित दो नमूनों की रिपोर्ट निगेटिव आई।
अनुसंधानकर्ताओं की रुचि यह भी जानने में थी कि पहली बार लक्षण सामने आने के कितनों दिनों बात तक व्यक्ति की जांच रिपोर्ट पॉजीटिव आती है।
अनुसंधान में शामिल प्रतिभागियों ने बताया कि प्रयोगिक जांच के लिए आने से चार से 37 दिनों पहले उनमें लक्षण उभरे थे। माल्डोनाडो ने कहा, यह हमारे लिए समझना जरूरी है कि संक्रमित व्यक्ति कितने दिनों तक संक्रमित होता है और उनके घर में संक्रमण की परिपाटी क्या है।
उन्होंने कहा, यह सूचना स्वास्थ्य कर्मियों के लिए दिशानिर्देश बनाने में सहायक होगी, मसलन कोविड-19 मरीज को कितने दिनों तक पृथक-वास में रखना चाहिए और परिजन और सहकर्मियों को कब संक्रमितों से दोबारा मिलना-जुलना सुरक्षित होगा।(भाषा)