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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : बुधवार, 3 जून 2020 (10:39 IST)

मानसून बन सकता है कोरोना का कैरियर,संक्रमण के और तेजी से फैलने का मंडराया खतरा

मानसून के साथ बढ़ेगी कोरोना को लेकर चुनौतियां

मानसून बन सकता है कोरोना का कैरियर,संक्रमण के और तेजी से फैलने का मंडराया खतरा - Monsoon can be made career of COVID-19
भारत में मानसून ने अपने तय समय पर दस्तक दे दी है। हर साल ब्रेसबी से मानसून का इंतजार करने वाले लोग इस बार मानसून आने से थोड़ा चिंतित नजर आ रहे है इसकी वजह उनका पहले से कोरोना के संकट से जूझना। 
 
महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश जैसे राज्य जो कोरोना के संक्रमण से सबसे अधिक जूझ रहे है वहां की सरकारों के लिए मानसून की दस्तक किसी मुसीबत से कम नहीं है। मानसून के साथ ही निसर्ग तूफान की दस्तक ने भी सरकारों की चुनौती को कई गुना और बढ़ा दिया है। आमतौर पर मानसून आने के साथ अस्पतालों में अचानक से डेंगू, मलेरिया और जापानी इंसेफेलाइटिस के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है लेकिन इस बार चुनौती दोतरफा है।
 
इस बीच वैज्ञानिकों ने नई चेतावनी जारी की है कि मानसून कोरोना महामारी को और बढ़ाने का काम कर सकता है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरू और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च मुंबई के शोधकर्ताओं ने अलर्ट जारी करते हुए कहा कि मानसून के चलते कोरोना वायरस के संक्रमण का दूसरा दौर शुरू हो सकता है। 
 
बारिश में वायरल बीमारियों का खतरा – देश में हर साल बारिश के साथ कई वायरल बीमारियों का संक्रमण तेजी से बढ़ता है। बारिश के दौरान डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियां तेजी से फैलती है और लोगों को अपना शिकार बनाती है। सामान्य तौर पर डेंगू और मलेरिया भी शरीर को उन्हीं अंगों को प्रभावित करता है जिनपर सबसे ज्यादा अटैक नोबल कोरोना वायरस का होता है। ऐसे में अगर किसी को बारिश में भीगने से साधारण सर्दी जुकाम और बुखार होता है तो वह भी कोरोना होने की आंशका से डर जाएगा ।
मध्यप्रदेश स्टेट टेक्निकल एडवाइजर कमेटी - कोविड -19 के डॉक्टर लोकेंद्र दवे  वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं कि “कोरोना नोबल वायरस तो नया है और इसका नेचर नहीं पता है कि ये वायरस कैसा रिएक्ट करेगा लेकिन बारिश के समय सारी वायरल बीमारियां बढ़ती है तो ये भी बढ़ सकता है। इसलिए आने वाले समय फीवर क्लीनिक में डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों की भी जांच होना चाहिए ऐसा मेरा अनुमान है”। 
 
वेबदुनिया से बातचीत में डॉक्टर लोकेंद्र दवे कहते हैं कि आम तौर पर अगर किसी को फीवर आता है तो आज के समय उसकी जांच होनी चाहिए ऐसी रिकमेन्डेशन है, इसलिए फीवर क्लीनिक बनाए गए है। कोरोना संक्रमण के बाद बुखार आने के बाद लोग थोड़ा चिंता करते है इसलिए फीवर क्लीनिक के नाम से इसको बढ़ावा दिया जा रहा है। 
 
 
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