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Last Updated : गुरुवार, 2 अप्रैल 2020 (13:32 IST)

Corona को हराने के लिए इंदौर को अब इस स्तर पर लड़नी होगी लड़ाई, नहीं तो हो जाएगी देर!

Corona को हराने के लिए इंदौर को अब इस स्तर पर लड़नी होगी लड़ाई, नहीं तो हो जाएगी देर! - Indore fight with Corona virus
इंदौर में कोरोना से लगातार लोगों की मौत का बढ़ता आंकड़ा और स्वास्थ्य विभाग की टीम पर जानलेवा हमले के बाद अब हालत बिगड़ते जा रहे है। शहर में लगातार बिगड़ती स्थिति को काबू करने के लिए अब प्रशासन अर्धसैनिक बलों का सहारा लेने जा रहा है। देश में कोरोना के हॉटस्पॉट के रूप में पहचाने जाने वाले इंदौर में पिछले एक हफ्ते में बुधवार को   तीसरी बार स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की टीम पर लोगों ने हमला किया। 
 
कोरोना को लेकर जब इंदौर में हालात दिन प्रतिदिन भयावह होते जा रहे है तब भी लोग प्रशासन का सहयोग नहीं कर रहे है। ऐसे में सोशल मीडिया पर इंदौर की घटना को लेकर लोगों में काफी गुस्सा और नाराजगी देखी जा रही है। ऐसे समय में जब लोग जान बचाने वालों के ही जान के दुश्मन बन बैठे हो तो चुनौतियों काफी जटिल हो जाती है और इससे निपटने के लिए एक साथ कई मोर्चो पर लड़ाई लड़ने की जरुरत आ पड़ती है।   
 
इंदौर में लगातार लोगों के उग्र होने को लेकर मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी चिंता जताते हुए कहते हैं कि यह बहुत ही नाजुक समय है और इस समय लोगों की मनोदशा समझ कर   मनोवैज्ञानिक स्तर पर इससे मुकाबला करना होगा। वह कहते हैं कि  ऐसे समय प्रशासन के साथ-साथ राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर इनके नुमाइंदी करने वालों की भूमिका बहुत बढ़ जाती है। वह कहते हैं कि आज जरुरत इस बात की है लोगों से लगातार संवाद कर उनमें विश्वास पैदा किया जाए और यह तभी हो पाएगा जब संवाद में प्रशासन के साथ-साथ, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि और धर्मगुरु भी शामिल हो। 

बातचीत में डॉक्टर सत्यकांत कहते हैं कि कल की घटना के बाद मशूहर शायर राहत इंदौरी जिस तरह लोगों को समझाने के लिए आगे आए है उसकी तरह वहां के स्थानीय स्तर पर लोगों को आगे आकर अपनी भूमिका निभानी चाहिए।   
 
डॉक्टर सत्यकांत कहते हैं कि जिस तरह डॉक्टरों और पुलिस के खिलाफ अचानक से लोगों के हिंसक होने के मामले तेजी से सामने आ रहे है उससे यह बात साफ तौर पर पता चलती है कि लोगों मानसिक स्तर पर काफी डिप्रेशन में है। वह कहते हैं कि इन दिनों उनके पास लगातार ऐसे लोगों के फोन कॉल आ रहे है जो कोरोना के चलते ही अवसाद में चले गए है और इसका सीधा असर सामाजिक ताने बाने पर भी पड़ रहा है। 

वह इंदौर का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि जिस तरह वहां हालात बिगड़े रहे है उसके बाद अब वह वक्त आ गया है कि प्रशासन को अपने आखिरी विकल्पों को इस्तेमाल करने से परहेज नहीं करना चाहिए नहीं तो आने वाले दिनों में स्थिति भयावह हो जाएगी कि उसको नियंत्रण कर पाना अंसभव तो नहीं लेकिन संभव भी नहीं हो पाएगा। 
 
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