क्या वाकई कोरोना से जुड़े पोस्ट शेयर करने पर हो सकती है सजा...जानिए सच...
सोशल मीडिया पर एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि आज रात से देशभर में डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू हो रहा है और इसके बाद कोरोना वायरस को लेकर किसी भी तरह की जानकारी शेयर करना अपराध होगा।
क्या है वायरल-
एक पुलिस अधिकारी का वीडियो शेयर कर कई ट्विटर यूजर्स लिख रहे हैं- 'आज रात्रि 12 बजे से डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट पूरे देश में लागू होगा। जिससे सरकारी विभाग के अलावा किसी भी नागरिक को कोरोना संबंधित कोई भी जानकारी-अपडेट, सोशल मीडिया में शेयर व पोस्ट करना दंडनीय अपराध है।'
फेसबुक पर भी कई यूजर्स यही दावा कर रहे हैं।
क्या है सच-
हमने पाया कि वायरल वीडियो में पुलिस अधिकारी ने कहीं भी कोरोना का जिक्र नहीं किया है। वह कहते सुनाई दे रहे हैं कि कोई किसी भी तरह का आपत्तिजनक पोस्ट करता है तो उसके ग्रुप एडमिन को आवश्यक रूप से आरोपी बनाया जाएगा। ग्रुप एडमिन यह सुनिश्चित कर लें कि कम से कम उनके जो मेंबर हैं, उन पर उनका नियंत्रण होना चाहिए। वरना ऐसे मेम्बर्स को तुरंत बाहर कर दें। यदि कोई भी विषय ऐसा आता है तो उस पर तुरंत प्रकरण दर्ज होगा। इसमें जिसने मैसेज फॉरवर्ड किया उसके साथ ही ग्रुप एडमिन के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
आपको बता दें, कि भारत सरकार आपदा प्रबंधन अधिनियिम को 2005 में ला चुकी है। 24 मार्च को पीएम मोदी के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा साथ ही यह आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 लागू कर दिया गया था। इसका मकसद सोशल डिस्टेंसिंग के उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाना है। इस बाबत गृह मंत्रालय का 24 मार्च, 2020 का एक नोटिफिकेशन
यहां देख सकते हैं।
साथ ही, हमें पीआईबी फैक्ट चेक का एक ट्वीट भी मिला। इसमें पीआईबी ने स्पष्ट किया है कि कोरोना वायरस से संबंधित किसी भी पोस्ट को शेयर करना दंडनीय अपराध नहीं है। वायरल दावा फेक है, लेकिन कोरोना वायरस पर आधिकारिक और सटीक जानकारी को ही साझा करके आप अपनी और अपने परिजनों की सुरक्षा कर सकते हैं।
आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 54 के तहत झूठी सूचना देने वालों पर कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे लोग जो आपदा के बारे में झूठी खबर, बेबुनियाद बातें फैलाएं और उससे लोगों में पैनिक हो तो उन पर आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 54 के तहत केस दर्ज होगा और उन्हें एक साल तक की जेल और जुर्माना दोनों हो सकता है।
वेबदुनिया की पड़ताल में पाया गया है कि वायरल दावा फेक है। कोरोना वायरस को लेकर जानकारी शेयर करना अपराध नहीं है, लेकिन यह अप्रमाणिक या भ्रामक हुई तो पुलिस कानूनी कार्रवाई कर सकती है।