शुक्रवार, 27 सितम्बर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. कोरोना वायरस
  4. Eating fruits and vegetables prepared from earthworm manure increases immunity
Last Modified: शनिवार, 13 जून 2020 (15:26 IST)

स्‍पेशल स्‍टोरी : केंचुए की खाद से तैयार फल-सब्जियों के खाने से बढ़ती है प्रतिरोधक क्षमता- डॉ. खलील खान

स्‍पेशल स्‍टोरी : केंचुए की खाद से तैयार फल-सब्जियों के खाने से बढ़ती है प्रतिरोधक क्षमता- डॉ. खलील खान - Eating fruits and vegetables prepared from earthworm manure increases immunity
लखनऊ। देश जहां कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी से लड़ रहा है। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग इस महामारी की चपेट में आ रहे हैं और उनकी मृत्यु तक हो रही है जिसको लेकर जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकारें तक लोगों को प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए तरह-तरह की चीजों का इस्तेमाल करने के लिए जानकारी दे रहे हैं। लेकिन अगर हमारे किसान भाई खेती करने के दौरान केंचुए की खाद का इस्तेमाल करना शुरू कर दें तो इस खाद से उत्पन्न होने वाले सभी प्रकार के फल, सब्जियां इत्यादि के सेवन से मानव की शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।

इसी बीच चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने किसानों से अपील की है कि ज्यादा से ज्यादा केंचुए की खाद का इस्तेमाल खेती-बाड़ी में करें, क्योंकि इस खाद से उत्पन्न होने वाले सभी प्रकार के फल, सब्जियां इत्यादि के सेवन से मानव की शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और इसका इस्तेमाल करने से वातावरण भी शुद्ध रहता है।

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने फोन पर खास बातचीत करते हुए बताया कि कोरोना बीमारी से जूझ रहे हम सभी लोगों के लिए इस समय सबसे अधिक जरूरी चीज है अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना जिसके लिए हम सभी लोग तरह-तरह की चीजों का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। लेकिन अगर हमारे किसान भाई खेती करने के दौरान केंचुए की खाद का इस्तेमाल करना शुरू कर दें तो यह किसान भाइयों के साथ-साथ आम जनमानस के लिए भी अच्छा होगा।

उन्होंने बताया कि केंचुआ खाद में कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर, लोहा, जस्ता, कॉपर आदि सूक्ष्म पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके द्वारा तैयार किया गए फल, सब्जी इत्यादि मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का भी काम करते हैं।

इसके अतिरिक्त इसमें पादप वृद्धि हार्मोन पाया जाता है जो पौधों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।जो मृदा के भौतिक, रासायनिक, जैविक गुणों में सुधार करता है तथा मृदा में जल संरक्षक की भूमिका अदा करता है। यह प्रदूषण पर नियंत्रण के साथ ही वृहद स्तर पर युवाओं को रोजगार का साधन बन सकता है। डॉ. खलील खान ने बताया कि यह टिकाऊ खेती का सर्वाधिक प्राकृतिक एवं सबसे अच्छा विकल्प है।

कैसे तैयार करें केंचुआ खाद : केंचुआ खाद बनाने के लिए किसी भी जगह पर छाया एवं ऊंचे स्थान का चुनाव करना चाहिए।इस जगह पर 5 मीटर लंबाई में तथा 1 मीटर चौड़ाई में और आधा मीटर ऊंचाई में पक्की ईंटों का ढांचा बनाया जाता है। इस ढांचे में 8 से 10 दिन पुराना गोबर डाला जाता है।

डॉ. खान ने बताया कि इस गोबर में 2 से ढाई किलोग्राम केंचुए डालते हैं। उन्होंने बताया कि यह आइसीनिया फोइटिडा नामक केंचुए की प्रजाति होती है, जो सड़े-गले पदार्थों एवं गोबर को खाना पसंद करता है, उन्होंने बताया कि केंचुआ को तपती धूप, वर्षा आदि से सुरक्षा के लिए वर्मी बेड के ऊपर छप्पर डालकर छाया करनी चाहिए। वर्मी बेड का 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान बनाए रखना चाहिए, जिससे केंचुए को कोई नुकसान न हो। इस तरह खाद 60 से 70 दिन में बनकर तैयार हो जाती है।

इतनी मात्रा में करें इस्तेमाल : उन्होंने खाद की मात्रा एवं प्रयोग विधि के बारे में बताया कि खाद्यान्न फसलों के लिए 5 टन खाद प्रति हेक्टेयर प्रयोग की जाती है्, जबकि फलदार पौधों में 1 से 10 किलोग्राम पौधों की उम्र के हिसाब से खाद डालते हैं तथा गमलों में केंचुआ खाद 100 ग्राम प्रति गमला डालते हैं।उन्होंने केंचुआ खाद के पोषक तत्वों के बारे में बताया कि इसमें 3.5 से 3.7% जीवांश कार्बन, 1.5 से 2.5% नाइट्रोजन, 1 से 1.5% फास्फोरस एवं 0.5 से 1% पोटाश पाया जाता है।
ये भी पढ़ें
कोरोना काल में IMA की पासिंग आउट परेड, देश को मिले 333 अफसर