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Last Updated : सोमवार, 1 मार्च 2021 (13:15 IST)

Covid 19: इंदौर में 65 वर्षीय व्यक्ति ने लगवाया पहला टीका, अन्य से भी की टीका लगवाने की अपील

Corona vaccine | Covid 19: इंदौर में 65 वर्षीय व्यक्ति ने लगवाया पहला टीका, अन्य से की भी टीका लगवाने की अपील
इंदौर। मध्यप्रदेश में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित इंदौर जिले में इस महामारी से बचाव के लिए टीकाकरण के दूसरे चरण की सोमवार से शुरुआत हुई। इससे यह टीका इसकी पात्रता रखने वाले आम लोगों की पहुंच में आ गया है। अधिकारियों ने बताया कि दूसरे चरण में 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों के साथ 45 साल से अधिक आयु के उन लोगों को टीका लगाया जा रहा है, जो गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। उन्होंने बताया कि शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवायएच) में रवि कुमार जैन (65) को पहला टीका लगाया गया। जैन पेशे से दंत चिकित्सक हैं।
जैन ने टीकाकरण के बाद कहा कि मैं पूरी तरह ठीक महसूस कर रहा हूं। मैं अपनी पत्नी को टीका लगवाने के लिए सोमवार को ही अस्पताल लेकर आ रहा हूं। कोविड-19 के टीके को लेकर फैली भ्रांतियों को सिरे से खारिज करते हुए जैन ने कहा कि बतौर जागरूक नागरिक हमें टीकाकरण को लेकर सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए और सभी पात्र लोगों को टीका लगवाना चाहिए।
अधिकारियों ने बताया कि जिले में एमवायएच समेत 3 सरकारी अस्पतालों में कोविड-19 के खिलाफ निःशुल्क टीकाकरण शुरू किया गया है। इसके अलावा अरविंदो मेडिकल कॉलेज, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज, चोइथराम अस्पताल, वर्मा यूनियन, भंडारी अस्पताल, मेडिकेयर और सेंट फ्रांसिस अस्पताल में लगेगा सशुल्क टीका। टीका लगवाने के बदले हर व्यक्ति को 250 रुपए चुकाने पड़ रहे हैं।

चश्मदीदों ने बताया कि अस्पतालों में सोमवार सुबह जुटे कई वरिष्ठ नागरिकों ने बताया कि उन्हें टीकाकरण के लिए ऑनलाइन पंजीयन कराने में समस्या आई। अस्पताल के कुछ कर्मचारी इस पंजीयन में उनकी मदद करते भी देखे गए। उन्होंने बताया कि टीकाकरण के प्रति उत्साह दिखाते हुए कई वरिष्ठ नागरिक अपने जीवनसाथी के संग अस्पतालों में पहुंचे थे।
 
अधिकारियों ने बताया कि करीब 35 लाख की आबादी वाले इंदौर जिले में कोविड-19 के प्रकोप की शुरुआत पिछले साल 24 मार्च से हुई, जब पहले 4 मरीजों में इस महामारी की पुष्टि हुई थी। उन्होंने बताया कि जिले में गत 24 मार्च से 28 फरवरी तक कोरोनावायरस संक्रमण के कुल 59,758 मरीज मिले हैं। इनमें से 933 मरीजों की मौत हो चुकी है।