देहरादून।उत्तराखंड में 27 नवंबर को चारों धामों से जुड़े तीर्थ पुरोहित और साधु-संत आक्रोश रैली के लिए चार धाम से 8 संयोजक बनाए गए हैं। 27 को दून में प्रस्तावित आक्रोश रैली की तैयारियों के क्रम में चार धाम तीर्थ पुरोहित हकहकूकधारी महा पंचायत की बैठक बुधवार को देहरादून के एक होटल में आयोजित की गई, जिसमें 27 नवंबर को आयोजित की जाने वाली आक्रोश रैली पर विस्तार से चर्चा की गई।
बैठक की अध्यक्षता चार धाम महापंचायत के संयोजक व गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने तथा संचालन पुरुषोत्तम उनियाल ने किया। बैठक में रैली को सफल बनाने के लिए चारों धाम से दो-दो पदाधिकारियों को संयोजक बनाया गया।
बैठक की जानकारी देते हुए चार धाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के प्रवक्ता डॉ. बृजेश सती ने बताया कि आगामी 27 नवंबर को चारों धाम के तीर्थ पुरोहित काला दिवस के रूप में मनाएंगे। इस दिन गांधी पार्क से सचिवालय तक आक्रोश रैली का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए चारों धाम के 8 पदाधिकारियों को संयोजक बनाया गया है।
डॉक्टर सती ने बताया बद्रीनाथ धाम से श्री बद्रीश पंडा पंचायत समिति के अध्यक्ष प्रवीण ध्यानी व ब्रह्मकपाल तीर्थ पुरोहित पंचायत समिति बद्रीनाथ धाम के अध्यक्ष उमेश सती, केदारनाथ धाम से आचार्य संतोष त्रिवेदी एवं संजय तिवारी को संयोजक नियुक्त किया गया है।
इसके अलावा यमुनोत्री धाम से मंदिर समिति के सचिव लखन उनियाल व सह सचिव अमित उनियाल तथा गंगोत्री धाम से चार धाम महा पंचायत समन्वयक राजेश सेमवाल व गंगोत्री धाम के रावल मुकेश सेमवाल को संयोजक बनाया गया। सती ने बताया कि 27 नवंबर को आक्रोश रैली गांधी पार्क से सचिवालय तक की जाएगी।
बैठक में महा पंचायत के संरक्षक अनुरुद्ध उनियाल, केदार सभा के चंडी प्रसाद तिवारी, गणेश तिवारी, सौरभ शुक्ला, गंगोत्री मंदिर समिति के सह सचिव निखिलेश सेमवाल, संतोष त्रिवेदी, रावल मुकेश सेमवाल, उमेश सती, पुरुषोतम उनियाल, प्रवीन ध्यानी, सर्वेश भट्ट, अमित उनियाल, लखन उनियाल आदि मौजूद रहे।
रोपवे बनने से अब सिर्फ 9 मिनट में पहुंच सकेंगे यमुनोत्री धाम : खरसाली से यमुनोत्री के बीच रोपवे के बनने से श्रद्धालु महज नौ मिनट में यमुनोत्री धाम तक पहुंच सकेंगे। प्रदेश सरकार खरसाली से यमुनोत्री तक रोपवे निर्माण की कवायद तेज करने के संकेत हैं। खरसाली से यमुनोत्री की दूरी पैदल तय करने में लगभग तीन घंटे का वक्त लगता है।
183 करोड़ की लागत वाली इस रोपवे परियोजना के लिए पर्यटन विभाग जल्द ही एक फर्म के साथ एग्रीमेंट की कार्रवाई करने जा रहा है। पर्यटन व तीर्थाटन के मद्देनजर आवागमन को सुगम बनाने पर राज्य सरकार का खास फोकस है। इस दिशा में पौने पांच वर्षों में कई रोपवे परियोजनाओं को लेकर कदम बढ़ाए गए। इनमें देहरादून-मसूरी, कद्दूखाल-सुरकंडा देवी, तुलसी गाड- पूर्णागिरि, गौरीकुंड-केदारनाथ, घांघरिया-हेमकुंड साहिब जैसी परियोजनाएं शामिल हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लंबित रोपवे परियोजनाओं के कार्य में तेजी लाने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। यमुनोत्री धाम तक पहुंचने के लिए खरसाली से छह किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई तय करनी पड़ती है। इसे देखते हुए वर्ष 2008 में यमुनोत्री के लिए रोपवे का खाका खींचा गया। तब टेंडर हुए, मगर बात आगे नहीं बढ़ी। वर्ष 2010 में फिर पहल हुई और रोपवे निर्माण का जिम्मा एक फर्म को सौंपा गया।
खरसाली में रोपवे के लिए चार हेक्टेयर भूमि ग्रामीणों ने पर्यटन विभाग को दी। वर्ष 2014 में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इसके लिए अनापत्ति जारी की। बाद में यात्रियों की आवाजाही कम होने की बात कहते हुए फर्म ने रोपवे निर्माण से हाथ खींच लिए थे।
बीते तीन साल से यह मामला लटका हुआ था। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने बताया कि जून 2013 में आई आपदा और पिछले साल कोरोनावायरस (Coronavirus) संकट से निपटने के बाद इस बार कम समय में ही चारधाम यात्रा ठीक चली है तो इससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा है।
एक फर्म ने यमुनोत्री रोपवे के निर्माण में रुचि ली है और अब उससे एग्रीमेंट की कार्रवाई चल रही है। उन्होंने बताया कि पूर्व में जिस फर्म को कार्य दिया गया था, उसके देयकों आदि का मामला लगभग निस्तारित होने को है। अब रोपवे निर्माण के मद्देनजर पूर्व में बनाई गई कंपनी नई फर्म को सौंपी जाएगी।