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पांच पूर्व बाल मजदूरों का उच्च शिक्षा के लिए एसआरएम विश्वविद्यालय में हुआ चयन
रविवार,नवंबर 14, 2021
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Pandit Jawaharlal Nehru पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। उनके पिता मोतीलाल नेहरू थे, जो एक धनाढ्य परिवार के थे और माता का नाम स्वरूपरानी था। पिता पेशे से वकील थे।
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गर्मी की छुट्टियां वैसे हमारे लिए लॉक डाउन का ही एक प्रकार हुआ करती थी। बल्कि ये कह सकते हैं कि अघोषित कर्फ्यू ही लगता था। ननिहाल हो या ददिहाल सभी जगह यही आलम। शाम घाम(धूप) जब कम होती तब घर से बाहर निकल के धमा-चौकड़ी मचा सकते थे।
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पुरानी सेल, माचिस के डिब्बियां, पुराने डब्बे या ऐसी ही मिलती-जुलतीं चीजों से रेलगाड़ी बना लेते। ज्यादा हुनरमंद तो इनमें छोटे ढक्कन या कोल्डड्रिंक की झब्बियों के पहियें भी लगा देते। पुराने दीपकों, डब्बों, झब्बियों के तो मंजीरे और तराजू बनाना प्रिय शगल ...
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खिलौने वही सच्चे होते हैं जिनके साथ खेलते समय उनके टूटने का भय न हो।नए युग के अधिकांश महंगे खिलौनों के साथ ये डर मुफ्त में चला आता है। खेलने से ज्यादा इन्हें सम्हालकर खेलने की हिदायत का जोर आनंद में बाधा बना रहता है। बच्चे निडर भाव से खेलें, आनंद ...
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आज अपन याद करते हैं गर्मी में कैसे पंखे बनाया करते थे। कागज का पंखा, पत्तों का पंखा, नाचता पंखा। इन्हें जितने बड़े पंखे बनाना हो उसी नाप का कागज लेते, डबल बनाना हो तो डबल नाप का कागज लेते। बारीक़ चुन्नट सी प्लेट बना कर उन्हें प्रेस करते हुए एक तरफ से ...
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विरासत में मिले ये खेल अपने बच्चों को प्रयोग करके सीखने की कला के साथ साथ रचनात्मकता का गुण भी विकसित करते हैं। चूंकि खिलौने उनके द्वारा निर्मित किए गए हैं तो उनकी कमियों को सुधारने के लिए जिज्ञासु होते हैं जो उन्हें नए अविष्कार की ओर प्रेरित करते ...
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बचपन आज भी भोला और भावुक ही होता है लेकिन हम उन पर ऐसे-ऐसे तनाव और दबाव का बोझ डाल रहे हैं कि वे कुम्हला रहे हैं। उनकी खनकती-खिलखिलाती किलकारियां बरकरार रहें इसके ईमानदार प्रयास हमें ही तो करने हैं। Children's Day 2021
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बच्चे जो हमेशा से उत्सुकता से भरे नजर आते हैं..हर चीज को लेकर हजारों सवाल रहते हैं...कितनी मर्ताबा वह बड़ों -बड़ों को सोच में डाल देते हैं उनके छोटे-छोटे सवाल। ये बहुत चंचल मन के होते हैं..लेकिन दिल के साफ होते है..जो मन में आता है कह देते ...
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भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को भला कौन नहीं जानता। वे एक विनम्र, विनोदप्रिय व्यक्ति थे। यहां पढ़ें उनके जीवन के 5 प्रेरक किस्से...
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14 नवंबर को संपूर्ण देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन बाल दिवस के रूप में मनाते हैं। जवाहरलाल नेहरू को बच्चों से अत्यधिक प्रेम था। बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे। बच्चों के प्रति उनकी चिंता बहुत अधिक थी। वह बच्चों के ...
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अक्सर देखा गया है कि किसी बच्चे की खराब आदतों को देखकर लोग फब्तियां कसते हैं कि इस बच्चे को अच्छे संस्कार नहीं मिले। क्या संस्कारों को जबरन किसी बच्चे पर थोपा जा सकता है या कॉपी-पेन लेकर यह संस्कार उन्हें रटाए जा सकते हैं?
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प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का 14 नवंबर को जन्म हुआ था। उन्हें बच्चों से बेहद लगाव और प्रेम था। इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रति वर्ष उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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यहां पाठकों के लिए पेश हैं पंडित जवाहर लाल नेहरू के 12 अनमोल वचन :-
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नेहरू के कार्यकाल में लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करना, राष्ट्र और संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को स्थायी भाव प्रदान करना और योजनाओं के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को सुचारु करना उनके मुख्य उद्देश्य रहे।
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एक बार एक बच्चे ने ऑटोग्राफ पुस्तिका नेहरूजी के सामने रखते हुए कहा- साइन कर दीजिए। बच्चे ने ऑटोग्राफ देखे, देखकर नेहरूजी से कहा- आपने तारीख तो लिखी ही नहीं!
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भारत के पहले प्रधानमंत्री रहे पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 इलाहाबाद में हुआ था। उनका जन्मदिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था, जो एक धनाढ्य परिवार के थे और माता का नाम स्वरूपरानी था.....
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भारत में प्रतिवर्ष 14 नवंबर को प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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जीवन में उम्र के लम्हे जितने बढ़ते जाते हैं हम धीरे-धीरे समझदार होने की कवायद में लग जाते हैं। एक बच्चे को कभी छल कपट की जरूरत नहीं पड़ती।
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खाली नहीं बैठना हमको,
कुछ न कुछ करते रहना है।
गरमी की छुट्टी में रम्मू,
प्यारे-प्यारे चित्र बनाता।
उन्हें बेचकर मजे-मजे से,
रुपए रोज कमाकर लाता।
इन रुपयों से निर्धन बच्चों,
की उसको सेवा करना है।
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