खगोल विज्ञान का जगमगाता करियर
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अशोक जोशी खगोल विज्ञान दुनिया का सबसे लुभावना और सबसे पुराना विज्ञान है, जिसका पृथ्वी के वातावरण से परे ब्रह्मांड की वस्तुओं तथा खपिण्डों से संबंध है। यह ब्रह्मांड का वह विज्ञान है, जिसमें सूर्य, ग्रहों, सितारों, उल्काओं, पिण्डों, नक्षत्रों, आकाश गंगाओं तथा उपग्रहों की गति, प्रकृति, नियम, संगठन, इतिहास तथा भविष्य में संभावित विकासों का अध्ययन किया जाता है। खगोल शास्त्री बनने के लिए आमतौर पर डाक्टोरल डिग्री आवश्यक होती है, क्योंकि इसका अधिकांश अनुसंधान तथा विकास से संबंध होता है। जो इस क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले पीसीएम विषय के साथ 10+2 परीक्षा उत्तीर्ण करना चाहिए। थ्योरिटिकल अथवा ऑब्जर्वेशनल एस्ट्रोनॉमी में करियर निर्माण के लिए प्लस टू के बाद विज्ञान विषय लेना आवश्यक है। चूँकि ऐसे कम ही विश्वविद्यालय हैं, जो एस्ट्रोनॉमी में अंडरग्रेजुएट कार्यक्रम ऑफर करते हैं, छात्र अनुषंगी विषयों के रूप में गणित के साथ भौतिक शास्त्र का चयन कर सकते हैं। इसके बाद फिजिक्स अथवा एस्ट्रोनॉमी में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की जा सकती है। |
खगोल विज्ञान दुनिया का सबसे लुभावना और सबसे पुराना विज्ञान है' यह ब्रह्मांड का वह विज्ञान है, जिसमें सूर्य, ग्रहों, सितारों, उल्काओं, पिण्डों, नक्षत्रों, आकाश गंगाओं तथा उपग्रहों की गति, प्रकृति, नियम, संगठन, इतिहास तथा भविष्य का अध्ययन किया जाता है। |
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सफलतापूर्वक एमएससी करने के बाद एस्ट्रोनॉमी में स्पेशलाइजेशन लेकर पीएचडी की जा सकती है, जिसे करने के बाद ज्योतिष विज्ञानी, अंतरिक्ष यात्री, एस्ट्रोफिजिसिस्ट या अंतरिक्ष विज्ञान में वैज्ञानिक अथवा अनुसंधान अधिकारी बनने की राह प्रशस्त हो जाती है। रिसर्च के लिए अनिवार्य पीएचडी करने के लिए छात्रों को ज्वाइंट एंटरेंस स्क्रीनिंग टेस्ट (जेस्ट) देना आवश्यक है। इंस्ट्रूमेंटेशन या एक्सपेरिमेंटल एस्ट्रोनॉमी में करियर बनाने के लिए इलेक्ट्रिकल/ इलेक्ट्रॉनिक्स/ इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशंस में बीई अथवा बीटेक करने के बाद इस क्षेत्र में बतौर रिसर्च स्कॉलर प्रवेश किया जा सकता है।खगोल विज्ञान की शाखाएँकभी भौतिकशास्त्र का एक हिस्सा माने जाने वाले खगोल विज्ञान को कई शाखाओं में वर्गीकृत किया गया है, जिनमें एस्ट्रोफिजिक्स, एस्ट्र्रोमेटेओरोलॉजी, एस्ट्र्रोबायोलॉजी, एस्ट्र्रोजियोलॉजी, एस्ट्र्रोमेट्री तथा कास्मोलॉजी प्रमुख हैं। ये सभी शाखाएँ मिलकर ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने में मदद करती हैं। प्रोफेशनल स्तर पर ज्योतिष को ऑब्जर्वेशनल एस्ट्रोनॉमी तथा थ्योरिटिकल एस्ट्रोफिजिक्स के रूप में विभाजित किया गया है। इसमें जहाँ ऑब्जर्वेशनल एस्ट्रोनॉमी का संबंध टेलीस्कोप, दूरबीन, कैमरों तथा नग्न आँखों से खगोलीय पिण्डों को देखना तथा उपकरण बनाने और उनके अनुरक्षण के लिए आँकड़े एकत्र करने से है, जबकि थ्योरिटिकल एस्ट्रोफिजिक्स का संबंध आँकड़ों के विश्लेषण, कम्प्यूटर पर्यवेक्षणों का निष्कर्ष निकालना तथा ऑब्जर्वेशनल परिणामों की व्याख्या करने से है। इस दृष्टि से थ्योरिटिकल एस्ट्रोफिजिक्स ज्यादा विश्लेषणात्मक है।माँग बढ़ रही है खगोल विज्ञानियों की जिन युवाओं की ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने में दिलचस्पी है, उनके लिए यह एक रोमांचक तथा मजेदार करियर निर्माण क्षेत्र है। चूँकि दुनियाभर के देश अपने यहाँ परमाणु परीक्षण कर रहे हैं, खगोल विज्ञानियों की माँग लगातार बढ़ती जा रही है। इस क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए भौतिकशास्त्र में गहन रुचि आवश्यक है। स्त्रोत : नईदुनिया अवसर
खगोल विज्ञान एक व्यापक क्षेत्र है, जिसमें इंस्ट्रूमेंट बिल्डिंग टीम से लेकर थ्योरिटिकल ब्रांचेस शामिल हैं, जहाँ गणितीय योग्यता तथा फिजिकल इंस्टीट्यूशन अनिवार्य है। इसके लिए अच्छे प्रोग्रामिंग कौशल के साथ-साथ उत्सुकता और अबूझ प्रश्नों के उत्तर खोजने की क्षमता होना भी आवश्यक है। इस क्षेत्र में करियर निर्माण इस बात पर निर्भर करता है कि आप एस्ट्रोनॉमी के किस क्षेत्र में कार्य करने के इच्छुक हैं। जो युवा इंस्ट्रूमेंटेशन या एक्सपेरिमेंटल एस्ट्रोनॉमी करने में दिलचस्पी रखते हैं तो इसके लिए उन्हें इंजीनियरिंग शाखा का चयन करना होगा। इंस्ट्रूमेंटल एस्ट्रोनॉमी विभिन्ना तरंगधैर्य पर ऐसे एस्ट्रोनॉमिकल इंस्ट्रूमेंटेशन की डिजाइन और निर्माण में सुविज्ञता प्रदान करता है, जो भूतल अथवा अंतरिक्ष स्थित वेधशालाओं में प्रयुक्त किए जाते हैं। एक्सपेरिमेंटल एस्ट्रोनॉमी इंस्ट्रूमेंटेशन पर शोधकार्यों के प्रकाशन तथा सभी तरंग धैर्य क्षेत्रों पर एस्ट्रोनॉमी आयोजित करने के लिए आवश्यक आँकड़ों के रखरखाव के माध्यम के रूप में कार्य करता है। जिन्होंने विज्ञान विषय का चयन किया है, वे थ्योरिटिकल एस्ट्रोनॉमी अथवा ऑब्जर्वेशन कर सकते हैं। व्यक्तिगत कौशल खगोल विज्ञानी बनने के लिए उत्सुकता, उत्साह तथा गहन ध्यान अनिवार्य गुण माना जाता है। इस क्षेत्र में करियर बनाने वालों को औसत रूप से बुद्धिमान, कल्पनाशील, समस्याओं को निपटाने में माहिर, विश्लेषणात्मक कौशलयुक्त होने के साथ-साथ गणित और कम्प्यूटर एप्लिकेशंस में माहिर होना चाहिए। चूँकि उन्हें देर रात तक अनियमित कार्यावधि में कार्य करना होता है, इसलिए उनमें धैर्य तथा तनाव से निपटने की क्षमता का होना भी अति आवश्यक माना गया है। उनसे रिसर्च टीम में कार्य करना अपेक्षित है, इसलिए उनमें संप्रेषण कला भी अच्छी होना चाहिए। इसके अलावा वे आसानी के साथ वैज्ञानिक कार्यकलापों तथा सूचनाओं को निर्धारित फार्मेट तथा लैंग्वेज में समझाने में प्रवीण होना चाहिए।जमीन से लेकर आसमान तक करियर निर्माण एस्ट्रानामर का मुख्य कार्य रिसर्च पर आधारित होता है तथा उन्हें इसके लिए आमतौर पर इधर-उधर यात्राएँ करना पड़ती हैं। साथ ही असामान्य माहौल में दिन-रात काम करना पड़ता है। उनके कार्य में ऑब्जर्वेशन तथा सैटेलाइट से ढेर सारे आँकड़े इकट्ठा करना तथा साइंटिफिक पेपर्स बनाना अथवा निष्कर्ष पर रिपोर्ट तैयार करना शामिल होता है, पर जमीन पर बनी वेधशालाओं अथवा अन्य स्रोतों से नेविगेशन, स्पेस लाइट तथा सैटेलाइट कम्युनिकेशंस की समस्याओं का निदान खोजते हैं। शुरुआत में वे बतौर रिसर्चर के काम करते हैं और पीएचडी होल्डर अपना करियर पोस्टडाक्टोरल रिसर्च से आरंभ करते हैं। अपनी विशेषज्ञता के आधार पर वे ऑब्जर्वेशनल एस्ट्रोनामर, स्टेलर एस्ट्रोनामर्स तथा सोलर एस्ट्रोनामर्स के रूप में अपना करियर निर्माण कर सकते हैं। इस क्षेत्र में डाक्टोरल डिग्री तथा पीएचडी धारी बेसिक रिसर्च तथा डेवलपमेंट कार्य में अवसर पाते हैं। पीएचडी करने वाले कॉलेज अथवा यूनिवर्सिटी लेवल पर शिक्षण कार्य कर सकते हैं। स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त छात्र निर्माण क्षेत्र से लेकर एप्लाइड रिसर्च और डेवलपमेंट जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। इस क्षेत्र में बैचलर डिग्रीधारी टेक्नीशियन, रिसर्च असिस्टेंट के रूप में करियर की शुरुआत कर सकते हैं। उनके लिए सरकारी विभागों, रक्षा संस्थानों तथा अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थानों में आसानी से प्रतिष्ठापूर्ण पद मिल जाता है, जहाँ रिसर्च स्कॉलर से करियर आरंभ कर वे निदेशक तक बन सकते हैं। इन दिनों कमर्शियल तथा नॉन-कमर्शियल रिसर्च डेवलपमेंट तथा टेस्टिंग लेबोरेटरियों, ऑब्जरवेटरियों, प्लेनेटोरियमों, साइंस पार्कों आदि में अच्छी संभावनाएँ हैं। इस क्षेत्र में डिग्री/डिप्लोमा/डॉक्टोरेट उपाधिधारी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन-इसरो, विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर, स्पेस फिजिक्स लैबोरेटरीज, स्पेस एप्लिकेशंस सेंटर्स आदि के साथ-साथ लाभ निरपेक्ष संस्थानों यथा एसोसिएशन ऑव बंगलोर अमेच्योर एस्ट्रोनामर्स में कार्य कर सकते हैं। चूँकि इस क्षेत्र से संबंधित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार तथा कन्वेंशंस दुनियाभर में लगातार चलते ही रहते हैं, इसलिए यह क्षेत्र देश ही नहीं, विदेशों में भी अच्छे अवसर उपलब्ध कराता है। पारिश्रमिक खगोल विज्ञान के क्षेत्र में पारिश्रमिक का निर्धारण आमतौर पर कार्य के पहलुओं, संस्थान की प्रकृति तथा इस क्षेत्र में प्राप्त अनुभव के आधार पर निर्धारित किया जाता है। रिसर्च कार्य में शुरुआती तौर पर जूनियर साइंटिस्ट के रूप में लगभग 25 हजार वेतन मिलता है। सरकारी निकायों तथा अनुसंधान संस्थानों में वैज्ञानिकों को अच्छे वेतनमान तथा भत्तों के साथ प्रतिष्ठित पदों पर नियुक्ति प्रदान की जाती है। विदेशों में इस क्षेत्र में सितारों की तरह अपार धन बरसता है। स्त्रोत : नईदुनिया अवसर