शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
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Written By मनीष शर्मा

यदि न होती नारी तो पुरुष रहता अनाड़ी

यदि न होती नारी तो पुरुष रहता अनाड़ी -
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एक कंपनी में एक विभाग के सदस्य न तो नियमों का पालन करते थे, न सलीके से कपड़े पहनते थे और न ही आपसी बातचीत में शालीन भाषा का प्रयोग करते थे। उनकी टेबलों पर सामान बिखरा रहता था। इस कारण किसी भी अतिथि को उस विभाग में नहीं लाया जाता था।

जब उन्हें मैनेजर चेतावनी देता तो हफ्ते-दस दिन तो सब कुछ ठीक चलता, लेकिन फिर वही ढर्रा चालू हो जाता। सहकर्मियों के रवैये से मैनेजर बहुत तनाव में रहता था, क्योंकि अपनी टीम के सभी सदस्यों के काम और व्यवहार की जिम्मेदारी उसी की थी। इसके लिए उसे आए दिन अपने बॉस की नाराजी भी झेलना पड़ती थी।

लेकिन अच्छी बात यह थी कि उसकी टीम के सभी सदस्य अनुभवी, मेहनती और कार्यकुशल थे। एक दिन जब वह मुँह लटकाकर घर लौटा तो पत्नी ने उदासी का कारण पूछा। वह अपनी परेशानी का कारण बताते हुए बोला- तुम्हीं बताओ, अब ऐसी स्थिति में मैं क्या करूँ? कहीं किसी दिन मुझे अपनी नौकरी से ही हाथ न धोना पड़े।
  एक कंपनी में एक विभाग के सदस्य न तो नियमों का पालन करते थे, न सलीके से कपड़े पहनते थे और न ही आपसी बातचीत में शालीन भाषा का प्रयोग करते थे। उनकी टेबलों पर सामान बिखरा रहता था। इस कारण किसी भी अतिथि को उस विभाग में नहीं लाया जाता था।      


इस पर वह मुस्कराते हुए बोली- तुम इतनी जल्दी हार कैसे मान सकते हो? इसका एक आसान-सा उपाय है। पहले तो यह बताओ कि तुम्हारी टीम में कितने लड़के और कितनी लड़कियाँ हैं। वह बोला- मेरे विभाग में लड़कियाँ हैं ही कहाँ, सभी तो लड़के हैं। पत्नी बोली- यही तो तुम्हारी समस्या का कारण है। तुम अपनी टीम में लड़कियों को शामिल करो और फिर देखो अंतर।

पत्नी की बात में उसे उम्मीद की किरण दिखाई दी। अगले ही दिन उसने अपने अधिकारी से अनुमति लेकर दो लड़कियों को अपनी टीम में शामिल कर लिया। उसके बाद तो कुछ ही समय में उसके विभाग का कायाकल्प हो गया। हर चीज व्यवस्थित नजर आने लगी। सभी सहकर्मियों की भाषा संयमित हो गई और उनका गेटअप भी सुधर गया। अब उनका विभाग भी साफ-सुथरा और अनुशासित हो गया। जल्द ही कंपनी में उस विभाग की मिसाल दी जाने लगी।

दोस्तो, कहते हैं कि पुरुष को व्यवस्थित रखने में नारी से बढ़कर किसी का योगदान नहीं हो सकता। यह बात यहाँ चरितार्थ होती दिखाई देती है। यदि नारी नहीं होती तो आदमी अनाड़ी रहता, जंगली की तरह व्यवहार करता। नारी ही उसे जीवन जीने का सलीका सिखाती है। फिर वह चाहे माँ के रूप में हो, बहन के, पत्नी के, भाभी के या फिर सहकर्मी के रूप में ही क्यों न हो।

हमारी बात का विश्वास न हो तो सोचिए, आप किससे बात करते समय अधिक शालीन रहते हैं, किसी महिला से या किसी पुरुष से। निश्चित ही महिला से। यह कोई विचित्र बात नहीं बल्कि मानवीय स्वभाव है और हम सभी ऐसा करते हैं। कहते हैं पुरुष के पास यदि दृष्टि होती है तो नारी के पास अन्तर्दृष्टि, जिसे 'सिक्स्थ सेन्स' भी कहा जाता है। इसी सेन्स के सहारे वह महत्वपूर्ण मामलों में सही निर्णय लेने में सफल होती है।

इसलिए ऐसे मामलों में अकसर नारी से सलाह लेना उपयोगी सिद्ध होता है। और उस मैनेजर को इसी का लाभ मिला। उसकी सफलता के पीछे थी उसकी पत्नी की सलाह। हम देखते हैं कि आज की नारी अब घरों में बैठकर केवल गृहस्थी के कामों में ही अपनी जिंदगी नहीं गुजारना चाहती, वह तो कुछ कर दिखाना चाहती है।

और यही भावना नारी को निरंतर आगे भी बढ़ा रही है, जिसका अंदाजा हमें हर वर्ष परीक्षा परिणामों से लग ही जाता है। आज ऐसा कौन-सा काम है, जो महिलाएँ नहीं कर सकतीं। उन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर हर क्षेत्र में दस्तक दे दी है। इसका सबसे प्रमुख कारण यह है कि उनके अन्दर सफलता के लिए आवश्यक सभी गुण जैसे धैर्य, विनम्रता, ईमानदारी, संघर्षशीलता, कर्मठता, लगन आदि जन्मजात होते हैं।

और अंत में, आज विश्व महिला दिवस है। इस अवसर पर आपसे अनुरोध है कि यदि आपके घर की बहू-बेटियाँ जीवन में कुछ कर दिखाना चाहती हैं तो उन्हें रोकें नहीं बल्कि आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें।

आपके प्रोत्साहन से मिले आत्मविश्वास से वे अपनी कल्पनाओं को साकार करने में सफल होंगी, होती हैं। फिर इससे आपका सम्मान भी तो बढ़ेगा ही, बढ़ता ही है। ओ भिया, जल्दी में हो क्या? लाइन में लगो। अरे मैडम हैं! अच्छा-अच्छा, कोई बात नहीं। आप आगे आइए, लेडीज फर्स्ट।