• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. करियर
  3. गुरु-मंत्र
Written By मनीष शर्मा

टाइम पास करने के चक्कर में कहीं हो न जाए टाइम पास

फन एट वर्क डे टाइम पास करने के चक्कर में कहीं हो न जाए टाइम पास
ND
एक बार एक ठेकेदार ने मजदूरों का हिसाब करते समय एक मजदूर को ज्यादा और दूसरे को कम मजदूरी दी। इस पर दूसरा मजदूर बोला- बाउजी, आपने पैसे उसे ज्यादा क्यों दिए हैं जबकि रोज देर तक रुककर काम तो मैं करता हूँ। मेहनत मैं ज्यादा करूँ और मजूरी उसे ज्यादा मिले, ये तो नाइंसाफी है।

ठेकेदार- तू देर तक लेकिन कम काम करता है, इसलिए तुझे कम पैसे दिए हैं। पूरे दिन तो तू घड़ी-घड़ी कभी चाय, कभी बीड़ी पीने के बहाने से काम छोड़कर इधर-उधर हो जाता है और बाद में लाइट जलाकर देर तक काम करता रहता है ताकि मुझे लगे कि तू ज्यादा मेहनती है।

लेकिन मैं भी ठेकेदार हूँ। कहता कुछ नहीं हूँ लेकिन नजर तो सब रखता हूँ। एक तो तू वैसे ही काम कम करता है और ऊपर से बिजली का खर्चा भी बढ़ाता है। तो फिर तुझे ज्यादा पैसे देकर उसके साथ नाइंसाफी कैसे कर सकता हूँ। ठेकेदार की बात सुनकर मजदूर को समझ में आ गया कि उसकी होशियारी पकड़ा गई है। वह चुपचाप चला गया।
  कई बार लोग ये सोचते हैं कि टाइम पास और मौज-मस्ती के लिए तो ऑफिस ही सबसे बढ़िया जगह है। जहाँ जेब का भी कुछ नहीं जाएगा और वे ऑफिस में बैठकर सुविधाओं का दुरुपयोग करते रहते हैं। यदि आप भी बिना काम के ऑफिस में टाइम पास करते हैं।      


दोस्तो, उस मजदूर की तरह बहुत से लोग काम के समय यानी वर्किंग ऑवर को इधर-उधर की बातों में बर्बाद करते हैं और तय समय के बाद काम शुरू करते हैं ताकि बॉस या वरिष्ठों को लगे कि दूसरों की अपेक्षा ये अधिक मेहनती हैं। ये काम करते वक्त घड़ी को देखते तक नहीं। इन्हें घर जाने की जल्दी भी नहीं रहती। कई बॉस इनके झाँसे में आ भी जाते हैं।

इसलिए आप भी अपने ऑफिस के ऐसे लोगों के बारे में कोई राय बनाने से पहले यह पता लगा लें आप जिसे घड़ी पर नजर न रखने वाला समझ रहे हैं, वह वास्तव में कहीं घड़ी पर नजर रखकर ही तो काम शुरू नहीं करता।

ऐसा होने पर बाकी लोगों को भी लगने लगेगा कि बॉस को देर तक ऑफिस में बैठने वाले पसंद हैं तो सभी बिना काम के वहाँ रुके रहेंगे। इससे ऑफिस की कार्य संस्कृति या वर्क कल्चर ही बिगड़ेगा, बिगड़ता है। इसलिए जरूरी है कि बिना काम के देर तक रुकने वालों को हतोत्साहित किया जाए ताकि वाकई काम करने वाले प्रोत्साहित हों।

इसके साथ ही ओवर टाइम की व्यवस्था वाली संस्थाओं में लोग अपने दैनंदिन कामों को भी लंबा खींचते हैं ताकि ओवर टाइम बन जाए। यह प्रवृत्ति भी ठीक नहीं। ऐसा करके आप अपना ही नुकसान करते हैं, क्योंकि हकीकत सामने आने पर आपकी छवि धूमिल हो जाती है।

इस छोटी सी राशि के चक्कर में आप उस बड़ी राशि से वंचित हो जाते हैं जो सही समय पर काम पूरा करने के कारण पदोन्नति के बाद वेतनवृद्धि के रूप में आपको मिलती। इसलिए ओवर स्मार्ट न बनकर अपना काम ईमानदारी से टाइम पर पूरा करते रहेंगे तो आपको उसका प्रतिफल भी ओवर यानी आपकी अपेक्षा से ज्यादा मिलता रहेगा।

दूसरी ओर, आगे बढ़ने के लिए आज यह जरूरी हो गया है कि घड़ी को घड़ी करके रख दिया जाए यानी घड़ी देखकर काम न किया जाए, लेकिन यह भी जरूरी है कि देर तक रुकने, बैठने और देर तक काम करने के अंतर को समझा जाए। बिना काम के देर तक रुकने का मतलब है संस्था पर बिजली, एसी, कम्प्यूटर, इंटरनेट, फोन, चाय-कॉफी, नाश्ता आदि का अतिरिक्त खर्च।

कई बार लोग ये सोचते हैं कि टाइम पास और मौज-मस्ती के लिए तो ऑफिस ही सबसे बढ़िया जगह है। जहाँ जेब का भी कुछ नहीं जाएगा और वे ऑफिस में बैठकर सुविधाओं का दुरुपयोग करते रहते हैं।

यदि आप भी बिना काम के ऑफिस में टाइम पास करते हैं तो इसकी वजह से टाइम तो पास होता जाता है यानी समय बीतता जाता है और आप वहीं के वहीं रह जाते हैं क्योंकि आप कॅरियर पर ध्यान देने की बजाय छोटी-मोटी सुविधाओं का लाभ लेने में लगे रह जाते हैं और आपके पास के यानी समकक्ष साथी काम करके आगे बढ़ते चले जाते हैं। इसलिए काम होने पर ही देर तक ऑफिस में रुकें।

और अंत में, आज 'फन एट वर्क डे' है। इसका मतलब यह नहीं कि ऑफिस को पिकनिक स्पॉट या कॉफी सेंटर समझकर उसे मजा लेने की जगह बना दिया जाए। बल्कि इसका मतलब है कि ऑफिस का माहौल ऐसा रखें कि सभी को काम करने में मजा आए। कोई ठगा हुआ महसूस न करे। अब बस, वर्ना घर वाले कहेंगे कि घर को ही दफ्तर बना लिया है।