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Last Modified: नई दिल्ली , शनिवार, 16 अगस्त 2025 (21:15 IST)

इस बार मैं अपना आपा नहीं खोने वाला हूं, जस्टिस पारदीवाला ने क्यों कही यह बात

Why did Justice JB Pardiwala give such a statement
Justice JB Pardiwala News : प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई के हस्तक्षेप और आदेश पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करने के बाद न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ अपनी टिप्पणियां हटा दी हैं। इस बीच, न्यायमूर्ति पारदीवाला की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने एक दंपति को अग्रिम जमानत देते समय शांत रवैया दिखाया। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एक मौखिक टिप्पणी में कहा, इस बार मैं अपना आपा नहीं खोने वाला हूं। इस मामले में एक दंपति के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आपराधिक षड्यंत्र के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
 
इसी तरह के एक मामले (जिसमें राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक दीवानी विवाद मामले में दंपति को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था) की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने 13 अगस्त को कहा था कि समस्या स्थापित कानून का पालन न करने से उत्पन्न हुई है।
न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एक मौखिक टिप्पणी में कहा, इस बार मैं अपना आपा नहीं खोने वाला हूं। इस मामले में एक दंपति के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आपराधिक षड्यंत्र के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। शिकायतकर्ता के अनुसार दंपति ने प्लाईवुड की बिक्री के लिए 3,50,000 रुपए का भुगतान किया था।
 
हालांकि दंपति शेष 12,59,393 रुपए का भुगतान करने में विफल रहे, जिसके बाद विक्रेता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एक बार बिक्री लेनदेन हो जाने पर कोई आपराधिक विश्वासघात नहीं हो सकता। उच्चतम न्यायालय की पीठ ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि राजस्थान उच्च न्यायालय ने दंपति को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि यदि उन्हें सुरक्षा दी जाती है तो राशि की वसूली नहीं हो सकेगी।
पीठ ने कहा, उपरोक्त से हम यह समझ पाए हैं कि राज्य के अनुसार, शेष राशि की वसूली के लिए पुलिस तंत्र की आवश्यकता है। उच्च न्यायालय ने राज्य की ओर से प्रस्तुत इस दलील को सहर्ष स्वीकार कर लिया। पीठ ने कहा, हमें इस मामले में और कुछ कहने की जरूरत नहीं है। आमतौर पर जमानत देते समय, हम जमानत देने से इनकार करने वाले उच्च न्यायालयों के आदेशों को रद्द नहीं करते, लेकिन यह एक ऐसा आदेश है जिसे हम रद्द करना उचित समझते हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour
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