जो घिसते हैं कलम, उन्हें घिसना पड़ता है कम
फ्रांस के प्रसिद्ध लेखक विक्टर ह्यूगो एक बार सेलून में बैठकर दाढ़ी बनवा रहे थे। अचानक वे नाई को रोकते हुए बोले- थोड़ी देर ठहरो। इसके बाद उन्होंने सामने टेबल पर रखे एक कागज को उठाया। उस पर कुछ लिखा हुआ था। उन्होंने कागज के दूसरी ओर लिखना शुरू कर दिया। जब काफी समय बीत गया तो नाई बोला- श्रीमान, जल्दी कीजिए। आज मेरे पास बहुत काम है। फ्रांस के प्रसिद्ध लेखक विक्टर ह्यूगो एक बार सेलून में बैठकर दाढ़ी बनवा रहे थे। अचानक वे नाई को रोकते हुए बोले- थोड़ी देर ठहरो। इसके बाद उन्होंने सामने टेबल पर रखे एक कागज को उठाया। उस पर कुछ लिखा हुआ था। |
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उसकी बात सुनकर ह्यूगो बोले- तो छोड़ो, आज मुझे भी बहुत काम है। और ऐसा कहकर वे बिना दाढ़ी बनवाए चले गए। वे अपने साथ वह कागज भी ले गए। दरअसल उस कागज पर नाई ने अपने ग्राहकों पर बकाया राशि का हिसाब लिख रखा था। इससे नाई को तो जरूर घाटा हुआ, लेकिन फ्रांस और साहित्य को बहुत फायदा हुआ, क्योंकि उस कागज पर ह्यूगो ने जो कविता लिखी, उसे फ्रांसीसी साहित्य की अमर कृति माना जाता है।दोस्तो, अधिकतर महान कृतियों का सृजन ऐसे ही हुआ है। क्योंकि ऐसा सृजन निर्भर करता है मस्तिष्क में उठने वाले विचारों पर और विचार कब उत्पन्न हो जाए, यह कहा नहीं जा सकता। वह नाई की दुकान में भी उठ सकता है, पूजाघर में भी, शौचालय में भी या देर रात को सोते हुए भी। तब अचानक आपकी नींद खुलती है और पता चलता है कि आपके मस्तिष्क में एक अद्भुत विचार आया है। तब एक समझदार व्यक्ति तो उस विचार पर विचार करके उसे तुरंत कागज पर लिख लेता है, लेकिन एक नासमझ यह सोचकर दोबारा सो जाता है कि बाद में, सुबह सोचेंगे। ऐसे में 'बाद में' कभी नहीं आता, सुबह कभी नहीं होती, क्योंकि तब तक तो वह विचार आपके दिमाग से रफूचक्कर हो चुका होता है। वह दोबारा आपके दिमाग में नहीं आता। और यदि आता भी है तो उस रूप में नहीं, जिसमें वह कालजयी बन सकता था। इसलिए हमेशा अपने साथ कागज-पेन रखो ताकि वक्त-बेवक्त अपने दिमाग में आने वाले विचारों को, आइडिया को लिख सको। यदि आपने यह आदत डाल ली तो आप कई परेशानियों से बच जाएँगे। यहाँ हम उन काम की बातों को भी लिखने की बात कर रहे हैं जो आपको सौंपे गए हों। यदि आप उन्हें लिख लेंगे तो कभी नहीं भूलेंगे फिर चाहे आप कितने ही व्यस्त क्यों न हों या हो जाएँ। इसलिए लिखने से जी न चुराएँ।
कहते भी हैं कि जो कलम घिसते हैं, उन्हें कम घिसना पड़ता है। वैसे भी कहा गया है कि जहाँ पढ़ने से व्यक्ति अच्छा इंसान बनता है, वहीं विचारों के आदान-प्रदान से वह व्यावहारिक बनता है, लेकिन लेखन से उसके व्यक्तित्व में संपूर्णता आती है। इसलिए आपके मन में जो भी, जैसे भी विचार आएँ, आप जो भी अच्छा पढ़ें या सुनें तो उसे लिखकर रखने की आदत डाल लें। साथ ही यदि आप तनाव के दौरान उसके कारणों को कागज पर उतार दें तो वह भी कम हो जाता है क्योंकि इससे आपके अंदर की उथल-पुथल शांत हो जाती है।दूसरी ओर जो लेखक हैं वे तो यह सब करते ही हैं। अब उन्हें लिखने की सलाह देना तो मूर्खता ही हुई ना। लेकिन हाँ, इतना तो कहा ही जा सकता है कि एक अच्छा लेखक वही है जिसका लिखा हुआ पाठक की समझ में आ जाए। क्लिष्ट, कठिन या पांडित्यपूर्ण भाषा में लिखी गई अच्छी से अच्छी बात भी वह प्रभाव नहीं छोड़ पाती, क्योंकि उसके पाठक सीमित होते हैं। इसलिए लिखते समय पाठक वर्ग का ध्यान रखें। तभी आप अपने मन की बात उस तक पहुँचा सकेंगे, क्योंकि वह उसकी भाषा में जो होगी। मैकाले ने कहा भी है कि महान लेखक अपने पाठक का मित्र और शुभचिंतक होता है। आप अपने मित्र से जैसे बातें करते हो, वैसे ही लिखोगे तभी तो वह आपके लिखे को समझेगा। इसलिए दिल से ऐसा लिखो कि कलम टूट जाए यानी बिना लाग-लपेट के लिखो। कलम से झूठ मत बुलवाओ। तभी लोग आपकी कलम को चूमेंगे यानी आपके लेखन को सराहेंगे। और अंत में, आज है 'आई लव टू राइट डे।' यदि लेखन से अब तक आपकी दूरी बनी हुई है तो आज जो मन में आए, उसे लिखें। और यदि आपको लगता है कि आपने कुछ अच्छा लिख लिया है तो उसे हमें भेज दें। क्या पता आप भी कुछ ऐसा लिख गए हों जो ह्यूगो की कृति की तरह अमर हो जाए। अब बस, बाकी कल लिखेंगे।