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Written By समय ताम्रकर

रेस 2 : फिल्म समीक्षा

Race 2 Movie Review | रेस 2 : फिल्म समीक्षा
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बैनर : यूटीवी मोशन पिक्चर्स, टिप्स म्युजिक फिल्म्स
निर्माता : कुमार एस. तौरानी, रमेश एस. तौरानी, रॉनी स्क्रूवाला
निर्देशक : अब्बास-मस्तान
संगीत : प्रीतम चक्रवर्ती
कलाकार : सैफ अली खान, दीपिका पादुकोण, जॉन अब्राहम, जैकलीन फर्नांडिस, अनिल कपूर, अमीषा पटेल, मेहमान कलाकार : बिपाशा बसु
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 26 मिनट

रेस का ब्रांड और निर्देशक के रूप में अब्बास-मस्तान का नाम हो तो एक ऐसी फिल्म की उम्मीद की जाती है जिसमें आलीशान मकान, चमचमाती कारें, स्टाइलिश लुक वाले कलाकार, विदेशी लोकेशन, करोड़ों की बातें और पल-पल रंग बदलते किरदार हो। इस कसौटी पर रेस 2 को परखा जाए तो यह फिल्म उम्मीद पूरी करती है। हर फ्रेम में नजर आता है कि पैसा खर्च किया गया है और फिल्म को भव्य बनाने की कोशिश की गई है। हर सीन को स्टाइलिश लुक दिया गया है और पूरी फिल्म चमचमाती नजर आती है, कहीं कोई दाग-या धब्बा नहीं है।

लेकिन सबसे अहम सवाल कि क्या इसकी कहानी में ‘बाजीगर’ या खिलाड़ी जैसा थ्रिल है? क्या स्क्रिप्ट इतनी मजबूत है कि कही कोई कमी नहीं दिखाई दे? इन प्रश्नों का जवाब नहीं है। दरअसल अब्बास-मस्तान की फिल्मों में घटनाएं घट जाती हैं और फिर किरदार एक-दूसरे से बात कर बताते हैं कि यह सब कैसे हुआ? ये स्क्रिप्ट की कमजोरी को दिखाता है।

ये कमजोरी ‘रेस 2’ की भी है, लेकिन फिल्म देखते समय बोरियत इसलिए नहीं फटकती क्योंकि अब्बास-मस्तान का प्रस्तुतिकरण उम्दा है, घटनाक्रम बेहद तेज हैं, हर दस-पन्द्रह मिनट में एक नया ट्विस्ट आता है। साथ ही अब्बास-मस्तान ने अपनी पिछली कुछ फिल्मों की तरह बेवजह कहानी को ज्यादा उलझाया नहीं है। क्लाइमेक्स को जरूर लंबा खींचा गया है, लेकिन सगम्र रूप से यह फिल्म तभी मनोरंजन करती है जब लॉजिक की बात नहीं की जाए।

रेस और रेस 2 में रणबीर (सैफ अली खान) की प्रेमिका सोनिया का लिंक जोड़ा गया है। नए किरदारों के रूप में कई केसिनों के मालिक अरमान मलिक (जॉन अब्राहम), उसकी मंगेतर ओमिषा (जैकलीन फर्नांडिस) और उसकी हॉफ सिस्टर एलीना (दीपिका पादुकोण) नजर आते हैं। अरमान से रणबीर बदला लेना चाहता है? क्यों? इसका जवाब फिल्म में दिया गया है।

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यह एक रिवेंज स्टोरी है, जिसे बड़ी चालाकी के साथ प्रस्तुत किया गया है। अरमान को यह पता है कि रणबीर उसे बरबाद करना चाहता है और उसके हर कदम से वाकिफ है, दूसरी ओर रणबीर को भी उसकी चालें पता हैं। दोनों अपने हित कैसे साधते है और कौन रेस में जीतता है, यह फिल्म का सार है।

इस फिल्म को कमजोर करते हैं इसके कुछ पात्र और घटनाक्रम। कई अरबपति-खरबपति इतने बेवकूफ दिखाए गए हैं कि शक होता है उनकी दिमागी हालत पर। केसिनो मालिक विक्रम थापर को जब रणबीर 1500 मिलियन यूरो देता है तो वह उन रुपयों को चेक करने की तकलीफ भी नहीं उठाता। रणबीर बड़े मजे से उसे बेवकूफ बना देता है। इसी तरह क्लाइमेक्स में तेज-तर्रार अरमान को जिस तरह से रणबीर बेवकूफ बनाता है वो इस बात को दर्शाता है कि लेखकों ने अपनी सहूलियत के हिसाब से स्क्रिप्ट को लिखा है।

कहानी का सबसे बड़ा आधार है श्राउड ऑफ ट्यूरिन की चोरी। इस चोरी को बेहद हल्के से लिया गया है मानो कोई ज्वैलरी शॉप से गहने चुराने की बात हो। यहां पर फिल्म की विश्वसनीयता बहुत कमजोर हो जाती है। तमाम सुरक्षा के बीच बड़ी ही आसानी से रणबीर अपना काम कर दिखाता है।

साथ ही हत्या और चोरी कर ये किरदार एक देश से दूसरे देश बड़ी ही आसानी से आते-जाते रहते हैं। कहीं कोई रोक-टोक नहीं, डर नहीं। दरअसल स्टाइलिश लुक देने के चक्कर में कई बार फिल्म का नुकसान हो जाता है और ये रेस 2 में भी हुआ है।

उम्दा दृश्यों की बात की जाए तो सैफ और शूटर के बीच चेजि़ग सीन, जॉन की टाइफून के साथ कॉम्बेट, ‘बेइंतहा’, ‘लत लग गई’ और ‘पार्टी ऑन माय माइंड’ गानों का पिक्चराइजेशन बेहतरीन है।

रेस 2 जैसी फिल्मों में कलाकार के अभिनय की बजाय उसका लुक ज्यादा मायने रखता है। इस कसौटी पर सारे कलाकार खरे उतरते हैं। बाजी मार ले जाती हैं दीपिका पादुकोण। एक्टिंग के लिए उनके पास कोई स्कोप नहीं था, लेकिन ग्लैमर की बात की जाए तो वे इस फिल्म की आई कैंडी है। वे स्टाइलिश और सेक्सी नजर आईं।

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जैकलीन ने भी ग्लैमर को बढ़ाया। सैफ और जॉन मॉडल्स की तरह दिखाई दिए। उनके चेहरे पर एक जैसे भाव पूरी फिल्म में नजर आए। अनिल कपूर को इस तरह के फालतू रोल में देखना दु:खद है। उनके और अमीषा पटेल के बीच सारे संवाद द्विअर्थी हैं।

कुल मिलाकर ‘रेस 2’ में स्टाइल का जोर है। स्टाइलिश फिल्म पसंद करने वालों को यह अच्छी लगेगी जबकि लॉजिक ढूंढने वालों कलिमहटाइपाहै।


रेटिंग : 2.5/5
1-बेकार, 2-औसत, 3-अच्छी, 4-बहुत अच्छी, 5-अद्भुत