राधे योअर मोस्ट वांटेड भाई मूवी रिव्यू : सलमान खान ने ईद पर अपने फैंस को नई फिल्म देने का वादा निभाया, भले ही कोविड-19 के कारण उन्हें अपनी यह फिल्म हाइब्रिड रिलीज करना पड़ी। पिछले कई वर्षों से सलमान खान अपने फैंस की पसंद के अनुरूप फिल्में बनवा रहे हैं। इन फिल्मों में उसी तरह के सीन रचे जाते हैं जिसको देख सिनेमाहॉल में तालियां और सीटियां बजती हैं। सलमान कुछ अलग करने जाते हैं तो उनके फैंस को पसंद नहीं आता। और वहीं अदाएं दोहराते हैं तो भी उनकी आलोचना की जाती है। सलमान को समझ नहीं आता कि वे करें तो क्या करें?
बहरहाल, उनकी ताजा फिल्म राधे का निर्माण उसी शैली में किया गया है जिसके लिए सलमान जाने जाते हैं। स्टाइलिश एक्शन, जोरदार वन लाइनर, विलेन का भुर्ता बना देने वाला हीरो, कूल रोमांस और मारामारी के बाद सुखांत। राधे में कमी रह गई तो बस एक अच्छी कहानी की। पता नहीं कहानी को लेकर सलमान की मसाला फिल्मों में मेहनत क्यों नहीं की जाती। यह एक मसालेदार ग्रेवी है, जिसमें सब्जी या चिकन बहुत कम है।
राणा (रणदीप हुड्डा) मुंबई आकर इस शहर को ड्रग्स की गिरफ्त में ले लेता है। युवा ड्रग्स की लत का शिकार होकर बरबाद हो रहे हैं। इस गंदगी को साफ करने में पुलिस नाकाम है। मांग उठती है कि राधे (सलमान खान) के बस का ही यह काम है। 10 साल में राधे के 23 ट्रांसफर हो चुके हैं और वह 97 एनकाउंटर कर चुका है। इस परिचय के साथ राधे की एंट्री होती है। राधे मुंबई के दो गैंगस्टर्स में समझौता कराता है और फिर वह राणा के पीछे लग जाता है। राणा और राधे की लुकाछिपी का अंत क्लाइमैक्स में होता है।
2017 में बनी कोरियन फिल्म द आउटलॉज़ का यह हिंदी रीमेक है जिसमें भारतीय दर्शकों की पसंद के अनुसार परिवर्तन किए गए हैं। सीधे-सीधे यह अच्छाई बनाम बुराई या चोर-पुलिस की कहानी है जिसकी पहली फ्रेम से ही पता चल जाता है कि आखिरी फ्रेम में क्या होगा। बात इस पर आ टिकती है कि यह कैसे होगा?
राधे की शुरुआत बेहतरीन है। 15 मिनट में ही हीरो, हीरोइन और विलेन की एंट्री हो जाती है। रोमांस थोड़ा कॉमेडी का पुट लिए हुए है और कुछ मनोरंजक दृश्य देखने को मिलते हैं। भले ही हीरोइन दीया (दिशा पटानी) को राधे की असलियत नहीं पता है जबकि पूरे शहर में राधे के चर्चे हैं। लेकिन सलमान की फिल्मों में इतनी डिटेलिंग पर ध्यान दिया ही नहीं जाता और न ही उन्हें पसंद करने वाले इन बातों पर ध्यान देते हैं।
फिल्म में सलमान शर्ट भी उतार देते हैं। आप सवाल करेंगे कि इसमें नई बात क्या है? नई बात है। मारामारी करते समय वे शर्ट नहीं उतारते बल्कि हल्के-फुल्के दृश्य में ही वे शर्ट उतार कर बॉडी के दर्शन करा देते हैं और उनकी बॉडी देख गुंडे नहीं भागते बल्कि लड़कियां आहें भरती हैं।
निर्देशक प्रभुदेवा भी जानते थे कि कहानी में नयापन नहीं है इसलिए उन्होंने फिल्म को तेज गति से दौड़ाया है ताकि दर्शक ज्यादा सोच-विचार नहीं करे। सलमान की सुपरस्टार छवि को ध्यान में रखते हुए उन्होंने फिल्म निर्देशित की है। राधे के किरदार में सलमान की झलक देखने को मिलती है। सलमान की सॉफ्ट साइड को हाइलाइट करते हुए दर्शाया गया है कि वे युवाओं के लिए सोचते हैं, ड्रग्स के खिलाफ हैं, लड़कियां बहादुर बने, उनके दिल में समाज के कमजोर वर्ग के लिए कुछ करने की ललक है। दूसरी ओर सुपरस्टार की छवि को ध्यान में रखते हुए सलमान के फाइट सीन डिजाइन किए गए हैं जिसमें वे लगेज की तरह गुंडों को उठा लेते हैं और बिजली की गति से उनका दम निकाल देते हैं।
शुरुआती घंटे के बाद फिल्म लड़खड़ाती है, ऐसा लगता है कि अब कहने को कुछ नहीं रह गया है, फिर क्लाइमैक्स में रफ्तार पकड़ती है। रोमांटिक, फाइटिंग और कॉमिक सीन पूरी फिल्म में लूप में चलते रहते हैं। बीच-बीच में गानों का भी डोज़ है। प्रमोशन के बिना गाने ज्यादा हिट तो नहीं हुए हैं, लेकिन इनकी कोरियोग्राफी और पिक्चराइजेशन आंखों को सुकून देने वाला है।
फिल्म में कई फाइट सीन हैं, लेकिन ये ज्यादा प्रभावित इसलिए नहीं करते क्योंकि सलमान सब कुछ बेहद आसानी से करते नजर आते हैं, उन्हें किसी किस्म की परेशानी नहीं होती। विलेन के रूप में रणदीप के किरदार को प्रस्तुत करने में गड़बड़ी हुई है। कभी वे आम गुंडे लगते हैं तो कभी अंतरराष्ट्रीय स्तर के, इससे फिल्म कहीं-कहीं कमजोर लगती है।
राधे के रूप में सलमान पूरी फिल्म में अपना दबदबा बनाए रखते हैं। वे हैंडसम लगे हैं, रिलैक्स और कूल नजर आए हैं, और उसी अंदाज में राधे के किरदार को पेश किया है जैसा कि उनके फैंस चाहते हैं। एक्शन सीन में वे अच्छे लगे हैं। साथ ही रोमांटिक और कॉमिक सीन में भी उनका अभिनय अच्छा है।
दीया के रूप में दिशा पाटनी अपना असर छोड़ती हैं। पहले घंटे में उन्हें अच्छे सीन मिले हैं, लेकिन दूसरे घंटे में भूला दिया गया है। जैकी श्रॉफ का किरदार कॉमिक टच लिए है और इसे थोड़े और फुटेज दिए जा सकते थे। विलेन के रूप में रणदीप हुड्डा असरदार रहे हैं। उनका लुक, डॉयलॉग डिलेवरी और एक्टिंग उन्हें खतरनाक बनाती है।
अयानंका बोस ने फिल्म को बेहतरीन तरीके से शूट किया है। उनका काम इंटरनेशनल लेवल का है और यह भी एक बड़ी वजह है कि फिल्म से आप जुड़े रहते हैं। फिल्म की एडिटिंग शॉर्प है और दो घंटे से भी कम समय की राधे सलमान के करियर की अवधि के रूप में सबसे छोटी फिल्म है।
पिछले सवा साल से हम इस तरह की मसाला फिल्म से दूर हैं इसलिए राधे को देख यह भूख मिटाई जा सकती है और कोरोनावायरस के दर्द को भुलाया जा सकता है। हालांकि राधे ओटीटी प्लेटफॉर्म भी रिलीज हुई है, लेकिन इसका निर्माण ओटीटी कंटेंट के अनुरूप नहीं बल्कि सिनेमाघर में फिल्म देखने वाले दर्शकों की पसंद के अनुरूप हुआ है।
राधे देखते समय सबसे ज्यादा यह बात अखरती है कि इसे घर पर देखना पड़ा है। सलमान की फिल्म को उनके फैंस के बीच बड़े परदे पर सीटियों और तालियों के बीच देखने से जो माहौल पैदा होता है उसे मिस करना अखरता है।
निर्माता : सलमा खान, सोहेल खान, रील लाइफ प्रा.लि.
निर्देशक : प्रभुदेवा
संगीत : साजिद-वाजिद, देवी श्री प्रसाद, हिमेश रेशमिया
कलाकार : सलमान खान, दिशा पाटनी, रणदीप हुड्डा, जैकी श्रॉफ, जैकलीन फर्नांडीज
• 1 घंटा 49 मिनट 33 सेकंड
रेटिंग : 2.5/5