रात बाकी है: फिल्म समीक्षा
ओटीटी प्लेटफॉर्म पर क्राइम थ्रिलर सबसे ज्यादा पसंद की जाती है, लिहाजा इस तरह की फिल्में/वेबसीरिज लगातार आ रही हैं। हाल ही में ज़ी5 पर रात बाकी है रिलीज हुई है जो पिछले साल रिलीज नवाजुद्दीन सिद्दीकी की रात अकेली है की याद दिलाती है, लेकिन उसके मुकाबले बेहद कमजोर फिल्म है। कमजोर आंच (कहानी) पर इस फिल्म को पकाया है, लिहाजा फिल्म बहुत ही कच्ची बनी है। नींव कमजोर होने के कारण फिल्म भरभरा कर गिर जाती है। कहानी पर फिल्म में काम करने वाले ही यकीन नहीं कर पाए तो दर्शकों का क्या कहें?
राजस्थान के एक होटल में मंगनी के तुरंत बाद एक हीरोइन मृत पाई जाती है और उसका मंगेतर गायब है। वह भाग कर एक हवेली में मदद के लिए पहुंचता है जहां उसकी मुलाकात अपनी एक पुरानी दोस्त से होती है। इसके बाद एक-एक कर कुछ बातें सामने आती हैं और आप सिर पकड़कर बैठ जाते हैं।
फिल्म के लेखकों ने पूरी सहूलियत लेकर कहानी लिखी है। उतार-चढ़ाव पैदा करने की कोशिश की है, लेकिन फिल्म पकड़ ही नहीं बना पाती। जिसने हत्या की है उसे देख तो लगता ही नहीं कि वह चींटी भी मार सकता है। हर किरदार के कदम को जस्टिफाई करने की कोशिश की गई है, लेकिन सिर्फ जस्टिफिकेशन से ही अच्छी थ्रिलर फिल्म नहीं बन जाती। हत्यारे के लिए सब कुछ इतना आसान रहता है मानो वह मक्खन की टिकिया पर छुरी चला रहा हो।
निर्देशक के रूप में अविनाश दास फिल्म को संभाल नहीं पाए। उनका प्रस्तुतिकरण सपाट है और कलाकारों से एक्टिंग भी नहीं करवा पाए। किरदारों के भावों को वे प्रस्तुत करने में भी असफल रहे हैं।
एक्टिंग डिपार्टमेंट भी निराशाजनक है। पाओली दाम का अभिनय औसत रहा। अनूप सोनी बिलकुल भी नहीं जमे। राहुल देव और अन्य कलाकारों ने ओवरएक्टिंग की। दीपान्निता शर्मा कोई प्रभाव नहीं पैदा कर पाई।
रात बाकी है कि एक ही बात अच्छी है कि यह डेढ़ घंटे की है। जल्दी छुटकारा मिल जाता है।
निर्देशक: अविनाश दास
कलाकार : पाओली दाम, अनूप सोनी, दीपान्निता शर्मा, राहुल देव
ज़ी 5 पर उपलब्ध * 18 वर्ष से ऊपर के लिए
रेटिंग : 1.5/5