भारतीय समाज आधुनिकता और रूढ़िवादिता के बीच से गुजर रहा है। कुछ लोग लिव इन रिलेशनशिप को बुरा नहीं मानते तो कुछ लोग अभी भी 'संस्कार' के नाम पर लड़के-लड़कियों को मिलने नहीं देते। कुछ लोग शादी ही इसलिए करते हैं कि घर पर खाना बनाने और काम करने वाली आ जाएगी, जो सिंदूर और मंगलसूत्र पहने रहेगी। समाज के इन दो विपरित छोर पर खड़े लोगों की कहानी को 'लुका छुपी' में दिखाया गया है।
मथुरा में रहने वाला गुड्डू (कार्तिक आर्यन) और रश्मि (कृति सेनन) लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं। अपने शहर से दूर ग्वालियर जाकर वे रहने लगते हैं और यह बात किसी को बताते नहीं। गुड्डू के घरवालों को पता लगता है कि गुड्डू और रश्मि ने भाग कर शादी कर ली है और वे ग्वालियर पहुंच जाते हैं।
गुड्डू और रश्मि में सच बोलने की हिम्मत नहीं है क्योंकि रश्मि के पिता 'संस्कृति के रक्षक' हैं और उनके लोग आए दिन लड़के-लड़कियों के मुंह काले करते हैं। गुड्डू और रश्मि को शादीशुदा मान कर उनके घरवाले स्वीकार लेते हैं, लेकिन कहीं ना कहीं इन दोनों को लगता है कि वे घर वालों को धोखा दे रहे हैं और घर वालों के बीच लिव इन में हैं।
रोशन शंकर द्वारा लिखी कहानी का आइडिया तो अच्छा है, लेकिन कहानी को खत्म करना उन्हें ठीक से नहीं आया। इसलिए कॉमेडी का जामा पहना कर उन्होंने किसी तरह बात खत्म की, लेकिन कॉमेडी इतनी जोरदार बन पड़ी कि दर्शकों के दिमाग में यह बात नहीं आती और उनका भरपूर मनोरंजन होता है। कहानी जिस तरीके से बोल्ड अंदाज में शुरू की गई वो बोल्डनेस फिल्म के अंत में नजर नहीं आती।
फिल्म के कई सीन बहुत लंबे हो गए हैं, खासतौर पर पहले हाफ में। कार्तिक और रश्मि का चैनल के ऑफिस में वाला सीन, दोनों का बाहर मिलने वाला सीन जैसे कुछ सीन हैं जो बेवजह खींचे गए हैं। इसी तरह कुछ सीन दोहराव के शिकार हैं, मसलन पड़ोसी महिला का बार-बार रश्मि-गुड्डू के घर में तांकझांक करना, रश्मि और गुड्डू का शादी के लिए प्रयास करना। रश्मि और गुड्डू पलक झपकते ही एक-दूसरे को पसंद करने लगते हैं और यहां पर फिल्म थोड़ा ठहराव मांगती है।
अच्छी बात यह है कि फिल्म की कमजोरी पर इसकी खूबियां भारी पड़ती हैं। फिल्म में कई मजेदार सीन हैं जो आपको ठहाका लगाने पर मजबूर करते हैं। गुड्डू के बड़े भाई की शादी को लेकर चिंता, गुड्डू के दोस्त अब्बास के हास्य सीन, गुड्डू के बड़े भाई के दो साले, ये जिन दृश्यों में आते हैं वे सीन बेहतरीन बन पड़े हैं। इनके जरिये मनोरंजन भरपूर होता है। दूसरे हाफ में फिल्म बढ़िया है और लगातार हंसाती है। खासतौर पर अंतिम कुछ मिनटों में फिल्म का स्तर ऊंचा उठ जाता है।
निर्देशक लक्ष्मण उतेकर ने अपने कलाकारों से अच्छा काम करवाया है। फर्स्ट हाफ में वे कमियों को ठीक से छिपा नहीं पाए, लेकिन दूसरे हाफ में वे दर्शकों को हंसाने और बांधने में सफल रहे हैं।
फिल्म के लीड एक्टर्स पर सपोर्टिंग कास्ट भारी पड़ी है। कार्तिक आर्यन को अपनी एक्टिंग रेंज को बढ़ाना होगा।उनमें अक्षय कुमार की भी झलक दिखती है। यही बात कृति सेनन के लिए भी कही जा सकती है। उन पर दीपिका पादुकोण का हैंगओवर है। अपारशक्ति खुराना ने ऐसे चेहरे बनाए हैं कि हंसी रोकना मुश्किल है। लम्पट पुरुष के रूप में पंकज त्रिपाठी भी दर्शकों को हंसाते हैं। विनय पाठक सहित अन्य सारे कलाकारों का अभिनय बेहतरीन है। फिल्म के कुछ गाने ठीक हैं और कुछ गाने फास्ट फॉरवर्ड के लायक।
कमियों के बावजूद लुका छुपी दर्शकों का मनोरंजन करती है।