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Last Modified: शनिवार, 4 जनवरी 2020 (14:32 IST)

घोस्ट स्टोरीज़ (नेटफ्लिक्स) : मूवी रिव्यू

घोस्ट स्टोरीज़ (नेटफ्लिक्स) : मूवी रिव्यू - Ghost Stories, Karan Johar, Anurag Kashyap, Zoya Akhtar, Dibakar Banerji, Netflix, Samay Tamrakar, Jhanvi Kapoor
ज़ोया अख्तर, अनुराग कश्यप, दिबाकर बैनर्जी और करण जौहर इस समय हिंदी फिल्मों के सशक्त निर्देशकों में से हैं। अपने कंफर्ट ज़ोन को तोड़ कर इन्होंने लस्ट स्टोरीज़ बनाई थी। अब ये चारों 'घोस्ट स्टोरीज़' लेकर आए हैं।
 
इस फिल्म में चारों निर्देशकों की शॉट फिल्में हैं जो डराने और चौंकाने का काम करती हैं। घोस्ट स्टोरीज़ को देखने का सबसे बड़ा आकर्षण ही यही है कि इन्होंने क्या अलग करने का प्रयास किया है। 
 
ज़ोया अख्तर की फिल्म से बात शुरू होती है। इसमें जाह्नवी कपूर, सुरेखा सीकरी और विजय वर्मा हैं। जाह्नवी एक नर्स हैं जिनको एक बूढ़ी और अमीर महिला की उसके घर में देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। उस घर में कोई नहीं है और इसे देख नर्स अपने बॉयफ्रेंड को भी बुला लेती है। उस घर में कुछ ऐसी गतिविधियां होती हैं जो चौंका देती है। 
 
ज़ोया ने इस फिल्म में माहौल बहुत ही अच्छा बनाया है और केवल माहौल के बूते पर ही यह फिल्म अच्छी लगती है। पुराना घर, कम रोशनी, सुरेखा सीकरी का लुक इसमें भय का माहौल बनाता है। जाह्नवी ने तो इतना अच्छा अभिनय किया है कि उन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है। फिल्म का अंत चौंकाता है, हालांकि सभी दर्शक इससे संतुष्ट हो, यह जरूरी नहीं है। 
 
इसके बाद आती है अनुराग कश्यप की फिल्म। ये एक्सपरिमेंटल और डार्क मूवी है। तनाव पैदा करने के लिए फिल्म में रंगों का बहुत कम इस्तेमाल किया गया है और यह ब्लैक एंड व्हाइट जैसी ही लगती है। 
 
यह ऐसी गर्भवती महिला (शोभिता धुलिपाला) की कहानी है तो अपनी बहन के 5-6 साल के बेटे की भी देखभाल कर रही है क्योंकि बहन की मौत हो चुकी है। बच्चा इस बात से चिढ़ता है कि मौसी के गर्भ में एक बच्चा है। उसे भय है कि मौसी को बच्चा होने के बाद वह उस पर ध्यान नहीं देगी। इस गर्भवती महिला का अतीत भी है जिसमें वह चिड़ियां के अंडे फोड़ देती है और इसी बात को लेकर वह परेशान भी है।
 
फिल्म में कुछ डिस्टर्बिंग सीन हैं। साथ ही यह एक जटिल फिल्म है और इसे हॉरर की बजाय साइकोलॉजिकल थ्रिलर कहना ज्यादा उचित होगा। फिल्म में बहुत कम संवाद हैं और इसे बेहतरीन तरीके से शूट किया गया है। 
 
तीसरी फिल्म दिबाकर बैनर्जी की है और यह इस फिल्म की सबसे बेहतरीन कड़ी है। यह फिल्म ने केवल अपने ट्रीटमेंट के जरिये बांध कर रखती है बल्कि प्रतीकात्मक रूप से कई बातें भी कहती हैं। 
 
सुकांत गोयल एक गांव पहुंचता है जहां उसे दो बच्चे मिलते हैं। वे बच्चे बताते हैं कि गांव के लोग एक-दूसरे को मार कर खा रहे हैं। उनसे बचने के कुछ तरीके हैं। 
 
फिल्म में कुछ डरावने सीन हैं और अंत में क्या होगा इसकी कोई भी हिंट देखते समय नहीं मिलती। यही उत्सुकता आपको पूरी फिल्म देखने पर मजबूर करती है। 
 
प्रतीकात्मक रूप से फिल्म दर्शाती है कि शक्तिशाली समाज या लोग नियम बना रहे हैं और कमजोर लोग शोषित हो रहे हैं और उनके हालात लगातार खराब हो रहे हैं। लोग जॉम्बी बन एक-दूसरे को खा रहे हैं। फिल्म का अंत कई बातें छोड़ देता है और सभी अपने हिसाब से इसका मतलब निकाल सकते हैं। 
 
रोमांटिक और पारिवारिक फिल्म बनाने के लिए मशहूर करण जौहर ने यहां डराने की कोशिश की है। उनकी फिल्म सबसे कमजोर कड़ी है। यह एक ऐसे लड़के की कहानी है जिसकी दादी को गुजरे वर्षों हो गए हैं, लेकिन वह अभी भी दादी को देख सकता है और बात कर सकता है। उसकी हाल ही में शादी हुई है और इस बात से पत्नी बहुत परेशान है। 
 
करण आदत से बाज नहीं आए। भव्य सेट, शादी और रोमांस दिखाना नहीं चूके जो कि कहानी में मिसफिट लगता है। कहानी भी ज्यादा दमदार नहीं है। 
 
कुल मिलाकर घोस्ट स्टोरीज़ डराती कम है और एक्सपरिमेंटल ज्यादा है, लेकिन ज्यादातर समय यह दर्शकों को एंगेज कर रखती है और यही इसकी सबसे बड़ी सफलता है। 
 
निर्देशक : जोया अख्तर, अनुराग कश्यप, दिबाकर बैनर्जी, करण जौहर
कलाकार : जाह्नवी कपूर, विजय वर्मा, सुरेखा सिकरी, शोभिता धुलिपाला, सुकांत गोयल, मृणाल ठाकुर
स्ट्रीमिंग ऑन : नेटफ्लिक्स * 18 वर्ष से अधिक उम्र वालों के लिए 
रेटिंग : 3/5 
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