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Last Updated : शुक्रवार, 23 मई 2025 (13:23 IST)

भूल चूक माफ रिव्यू: राजकुमार राव की ये नई फिल्म आपको बोरियत के टाइम लूप में फंसा देगी

Bhool Chuk Maaf Review in Hindi
निर्देशक करण शर्मा की हालिया फिल्म 'भूल चूक माफ' इस बात की मिसाल है कि अच्छा विचार और बेहतरीन कलाकार भी तब काम नहीं आते जब स्क्रिप्ट और निर्देशन दोनों कमजोर हों।
 
करण शर्मा ने इस फिल्म को लिखा और निर्देशित किया है, लेकिन उनके पास कहने को महज़ 45 मिनट का मसाला था, जिसे उन्होंने दो घंटे की फिल्म में खींच दिया। फिल्म की शुरुआत में जो रोमांस और कॉमेडी के दृश्य गढ़े गए हैं, वे इतने सपाट और बासी लगते हैं कि न रोमांस दिल को छूता है और न हास्य चेहरे पर मुस्कान ला पाता है।
 
कहानी उत्तर प्रदेश के बनारस में सेट है, लेकिन बनारसी माहौल दिखाने के नाम पर जो सेट रचे गए हैं, वे नकली लगते हैं। बीते वर्षों में बॉलीवुड में यूपी-बेस्ड कहानियां इतनी बार दोहराई गई हैं कि अब किरदार टाइप्ड और संवाद उबाऊ हो चले हैं। ये किरदार बहुत बक-बक करते हैं। 
 
'भूल चूक माफ' में भी ऐसे ही किरदार हैं जो बेमतलब की बातें करते रहते हैं। संवादों का स्तर इस कदर गिरा हुआ है कि “तेरे को समोसे में डाल कर तल दूंगा” जैसे बचकाने डायलॉग्स दर्शकों की सहनशीलता की परीक्षा लेने लगते हैं।
 
रघुवीर यादव, सीमा पाहवा और ज़ाकिर हुसैन जैसे मंजे हुए कलाकार इस फिल्म का हिस्सा हैं, लेकिन उनके लिए एक भी असरदार सीन नहीं लिखा गया। नतीजा ये कि ये कलाकार स्क्रीन पर संघर्ष करते नजर आते हैं, और दर्शक अफसोस करते हैं कि इतना टैलेंट यूं ही जाया हो गया।

Bhool Chuk Maaf Review in Hindi
 
फिल्म का दिलचस्प पहलू टाइम लूप का कॉन्सेप्ट है, जिसकी झलक ट्रेलर में दिखाई गई है, जहां नायक रंजन (राजकुमार राव) हर सुबह उठता है और पाता है कि आज फिर 29 तारीख ही है, जबकि उसकी शादी 30 को होनी है। यह हिस्सा फिल्म की एकमात्र रोचक कड़ी है, लेकिन अफसोस, यह भी उधार का आइडिया लगता है जो हॉलीवुड फिल्मों से प्रेरित है।
 
इस रहस्य के पीछे जो कारण फिल्म में बताया गया है, वह बहुत ही सतही और साधारण है। लेखक ने इसे भावनात्मक और दार्शनिक बनाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन स्क्रिप्ट कमजोर होने के कारण दर्शक कनेक्ट नहीं कर पाते। जब तक टाइम लूप वाली कहानी आती है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। दर्शक फिल्म में रूचि खो बैठते हैं और इस बात का इंतजार करते हैं कि कब फिल्म खत्म हो और वे थिएटर से बाहर निकले। दो घंटे की फिल्म चार घंटे सी लंबी लगती है। 
 
होना ये चाहिए था कि टाइम लूप वाला ट्रैक कहानी में जल्दी लाया जाता और इस पर बेहतरीन कॉमेडी वाले सीन दिखाए जाते, लेकिन करण शर्मा लेखक के रूप में चूक गए। 
 
राजकुमार राव जैसे दमदार कलाकार को कुछ अच्छे सीन तो मिले, लेकिन वो भी स्क्रिप्ट की कमजोरी के चलते रंग नहीं जमा पाए। वहीं वामीका गब्बी को लगभग पूरे समय एक जैसे एक्सप्रेशन्स देने पड़े, जो उनके अभिनय की सीमा नहीं बल्कि लेखक की चूक को दर्शाता है।

Bhool Chuk Maaf Review in Hindi
 
फिल्म में बेरोजगारी, सरकारी नौकरी की लालसा और लड़की के पिता की दामाद के रूप में सरकारी नौकर पाने मानसिकता जैसे सामाजिक मुद्दों को छूने की कोशिश की गई है, लेकिन ये मुद्दे स्क्रिप्ट में इतने सतही ढंग से रखे गए हैं कि इनमें कोई गहराई नहीं आ पाती।
 
इश्तियाक खान थोड़े बहुत प्रभाव छोड़ते हैं, लेकिन उनका किरदार भी सीमित दायरे में सिमटा रहता है।
 
फिल्म के गाने जबरदस्ती डाले गए लगते हैं और केवल ब्रेक का बहाना भर हैं। सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग भी औसत दर्जे की है, जिससे फिल्म तकनीकी रूप से भी फीकी लगती है।
 
‘भूल चूक माफ’ की स्क्रिप्ट, निर्देशन और किरदारों की प्रस्तुति इतनी कमज़ोर है कि टाइम लूप जैसा दिलचस्प कॉन्सेप्ट भी फिल्म को डूबने से नहीं बचा पाता।
 
  • निर्देशक: करण शर्मा 
  • फिल्म : Bhool Chuk Maaf (2025)
  • गीतकार: इरशाद कामिल
  • संगीतकार: तनिष्क बागची
  • कलाकार: राजकुमार राव, वामीका गब्बी, ज़ाकिर हुसैन, रघुबीर यादव, सीमा पाहवा, इश्तियाक खान, संजय मिश्रा 
  • सेंसर सर्टिफिकेट: यूए * 2 घंटे 1 मिनट  
  • रेटिंग : 1.5/5