शुक्रवार, 15 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. आने वाली फिल्म
  4. 3 इडियट्स की कहानी
Written By संदीपसिंह सिसोदिया

3 इडियट्स की कहानी

3 Idiots Movie Preview | 3 इडियट्स की कहानी
बैनर : विधु विनोद चोपड़ा प्रोडक्शन्स
निर्माता : विधु विनोद चोपड़ा
निर्देशक : राजकुमार हीरानी
लेखक : विधु विनोद चोपड़ा, राजकुमार हीरानी, अभिजीत जोशी
गीत : स्वानंद किरकिरे
संगीत :शांतनु मोइत्रा
कलाकार : आमिर खान, करीना कपूर, आर. माधवन, शरमन जोशी, बोमन ईरानी, मोना सिंह, परीक्षित साहनी, जावेद जाफरी

आमिर खान जैसा चुनिंदा फिल्म करने वाला कलाकार और राजकुमार हीरानी जैसा शानदार फिल्म बनाने वाला निर्देशक मिल जाए तो कैसी फिल्म सामने आएँगी, इसकी सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है। ‘3 इडियट्स’ के जरिये ये कल्पना साकार होने जा रही है। विधु विनोद चोपड़ा ने इन दोनों महारथियों को अपने बैनर तले एकत्रित किया है। 25 दिसंबर को क्रिसमस के अवसर पर वर्ष 2009 की सबसे चर्चित फिल्म का प्रदर्शन होगा।

3 इडियट्स की कहानी है दो दोस्तों (माधवन और शरमन जोशी) द्वारा अपने एक खोए दोस्त को खोजने की यात्रा की। इस यात्रा में उन्हे लंबे समय से विस्मृत हो चुकी बातें याद आती हैं। इस यात्रा में उन्हें हर हाल में एक शादी को रोकना है और शामिल होना पड़ता है एक अंतिम संस्कार में।

जैसे-जैसे वे इस यात्रा में आगे बढ़ते हैं, उन्हें याद आती है अपने सबसे प्यारे दोस्त रांचों (आमिर खान) की; अदम्य ऊर्जा से भरा एक मुक्त विचारक रांचो जो अपने अद्वितीय तरीकों से मन को छू लेता है और किस तरह अपने दोस्तों का जीवन बदलता है।

उन्हें याद आते हैं अपने होस्टल के दिन। रांचों और पिया (करीना कपूर) का प्यार और तकरार। कॉलेज के एक दमनकारी संरक्षक प्रो. वीरू शास्त्रबुद्धे के साथ संघर्ष। एक दिन रांचो बिना किसी को कुछ बताए एकाएक गायब हो जाता है। आखिर कहाँ गया रांचों? वह कहाँ से आया था? क्यों बिना बताए चला गया?

IFM
जब सारी दुनिया उन्हे इडियट बुलाती थी, एक दोस्त ने उन्हें एक अलग ही तरह से सोचना सिखाया था, जीना सिखाया था। पर आखिर वो असली इडियट है कहाँ? उस इडियट की खोज में एक और यात्रा शुरू होती है। अपने भीतर की यात्रा। जो ले जाती है खूबसूरत पहाड़ों की ओर जहाँ उन्हें मिलती है उनके दोस्त की कहानी और सवालों के जवाब।

3 इडियट्स इन्ही विचारों पर आधारित एक कॉमेडी है, जो कहीं उत्तेजक है, तो कहीं बेतहाशा मनोरंजक है। कभी यह व्यावहारिक है तो कभी हँसी का खजाना है। इस हल्की-फुल्की फिल्म में जिंदगी के सबसे महत्वपूर्ण भाग 'खुद' को खोजने की कोशिश की गई है।