बचपन से कभी स्टेज फियर नहीं रहा, बिंदास होकर गाता था : हिमेश रेशमिया
मैं बचपन में रियलिटी शोज तो नहीं, लेकिन लाइव शोज बहुत करता रहा हूं। मेरे बचपन में लाइव शोज ही होते थे। मैं उसमें कुछ गाता था तो मुझे इनाम जरूर मिलता था। हर साल मिलता था और 15-16 की उम्र तक आते-आते तो मेरे पास बहुत सारे प्राइज हो गए थे। मुझे बचपन से कभी भी स्टेज फियर नहीं था। मैं बिंदास होकर स्टेज पर गाता था।
हिमेश रेशमिया के पिताजी विपिन रेशमिया अपने समय के जाने माने म्यूजिक अरेंजर रह चुके हैं। फिल्मी संगीत का दुनिया में हिमेश का नाम कभी भी अनजान नहीं रहा है। जिसकी मदद हिमेश को संगीतकार बनते समय मिली। जाहिर है, उनकी मेहनत ने उन्हें अपने पिता से भी ज्यादा नाम दिलाया।
सोनी टीवी के रियलिटी सुपरस्टार सिंगर में जज की भूमिका निभाने वाले हिमेश रेशमिया ने 'वेबदुनिया' से बातचीत की।
हिमेश आगे बताते हैं कि मैं जब भी अपने संगीत या संगीत के सफर रोल को देखता हूं, तो मुझे हमेशा लगता है कि मेरे गानों में मैंने हमेशा फ्रेशनेस देने की कोशिश की है और वो फ्रेशनेस मेरे बचपन ने मुझे सिखाई है। मैं जब भी ऐसे रियलिटी शोज करता हूं, तो मुझे ये बच्चे हमेशा नया बने रहना सिखाते हैं। बच्चे कब क्या कमाल कर जाएं, ये किसी को नहीं पता। बस वही बात कि मैं इन बच्चों से सीखने की कोशिश करता हूं। एक कलाकार जब तक अपने आप को फ्रेश रखेगा और री-इन्वेंट करता रहेगा, तो वो आगे बढ़ता रहेगा।
आपको आपके पापा से पहली बार शाबाशी कब मिली?
शायद तब मैं 4 या 5 साल का रहा था। स्कूल के किसी फंक्शन में मैं 'नसीब' का गाना गा रहा था। 'जॉन जॉनी जनार्दन...' गाना था और जब उसमें 'दे दनादन...' बोल आए तो मैं पीछे मुड़कर गया और एक साजिंदे के पास जाकर बिलकुल अमिताभ बच्चन जैसे एक्ट करते हुए अपने हाथों को वैसे ही झटका दिया। इस बात पर पापा ने मुझे शाबाशी दी थी।
ऐसे में जब आप पर एक समय में आरोप लगते थे कि आप रिक्शा वालों के लिए गाने बनाते हैं, तो कैसा लगता था?
क्या बुरा है अगर रिक्शा वालों को मेरे गाने पसंद आते हैं। मैं आम और उन लोगों में पॉपुलर हूं तो क्या परेशानी है? लेकिन मेरे गाने डिस्कोथेक, शादियों और फंक्शंस में भी उतने ही बजाए जाते रहे हैं। लंदन के वेंबली स्टेडियम में जहां दुनियाभर की बहुत मशहूर हस्तियां भी आई थीं, वहां भी मेरे गाने बहुत सुने गए। 'तेरा फितूर हो या खींच मेरी फोटो' ये गाना हो या 'रानी मैं तू राजा' या 'लॉन्ग ड्राइव' हो सभी को पसंद किया गया। बस, मुझे इस बात के लिए सोचना पड़ता है कि इन लोगों ने मुझसे जो उम्मीदें लगाई हैं, उन पर मैं खरा उतरता रहूं।
बॉलीवुड में आप पहले गायक नहीं हैं जिनकी नेजल वॉइस रही है। बुरा लगा था तब?
एक बार जब मैंने आरडी बर्मनजी के लिए कुछ कह दिया था तो तब आशाजी को अच्छा नहीं लगा था। मैं सिर्फ इतना कह रहा था कि जब साल के 36 गाने सुपरहिट हो गए हैं या कई अवॉर्ड भी मिल गए हैं। लेकिन आज जब उस बारे में सोचता हूं तो लगता है कि आप अपना जिंदगी के उस मुकाम पर होते हैं, जहां आपको लगता है कि कोई क्यों आपको ऐसे बोल रहा है?
उन्होंने आगे कहा कि उस समय आप अपने बारे में बोली गई बातों को खुले मन से स्वीकार नहीं कर पाते। आप हैंडल नहीं कर पाते हैं। लेकिन अब लगता है कि किसी की सोच को भी सही तरीके से अपनाना चाहिए। घर में भी तो ऐसा ही होता है। अब उनका कोई अपना स्वार्थ तो था नहीं। उन्होंने ऐसा कहा है, तो मुझे उन्हें जीतने की कोशिश करनी चाहिए। मेरा वो समय था अपने आपको साबित करने का, जो मैंने कर दिया।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय का कहना है कि बच्चों के रियलिटी शोज में कुछ बातों पर ध्यान देना चाहिए, खासकर कैसे बोला जाए या कैसे गानों को परफॉर्म करने के लिए चुना जाए?
हमारे शो में इस बात का ध्यान रखा जाएगा। वैसे भी अगर सूचना और प्रसारण मंत्रालय का कहना है तो इस बात को गंभीरता से लेना ही होगा। 'लॉ ऑफ द लैंड' जो हो, उसका पालन होना ही चाहिए।