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मैंने खुद अपनी फिल्म 'स्त्री' मुंह छुपाकर देखी है : श्रद्धा कपूर

मैंने खुद अपनी फिल्म 'स्त्री' मुंह छुपाकर देखी है : श्रद्धा कपूर - Shraddha Kapoor, Stree, Batti Gul Meter Chalu, Interview of Shraddha Kapoor
हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'स्त्री' को लोगों की बहुत सराहना मिली है। एक हॉरर कॉमेडी के जॉनर में यह बॉक्स ऑफिस पर लगभग 115 करोड़ का कलेक्शन कर चुकी है। फिल्म की हीरोइन श्रद्धा कपूर की अगली फिल्म 'बत्ती गुल मीटर चालू' भी रिलीज हो गई है। उनसे बातचीत की 'वेबदुनिया' संवाददाता रूना आशीष ने। 
 
श्रद्धा कपूर कहती हैं कि मेरी फिल्म 'स्त्री' सबको डरा रही है। सब लोगों को ये फिल्म बहुत पसंद आई और मैं तो इसी बात से बहुत खुश हो जाती हूं। सब लोगों से मुझे अच्छी बातें सुननी मिल रही हैं। लेकिन सच ये है कि मुझे हॉरर फिल्में देखना बिलकुल नहीं पसंद। मैं अपने हाथों को आंखों पर रखकर, मुंह छिपाकर फिल्में देखती हूं। मैंने अपनी फिल्म 'स्त्री' भी ऐसे ही मुंह छुपाकर देखी। मुझे तो इतना डर लगता है कि मैं तो नाइट लैंप लगाकर सोती हूं। अंधेरे में नहीं सो सकती मैं।
 
श्रद्धा आगे बताती हैं कि 'मुझे अपनी शुरुआती फिल्मों ने बहुत कुछ सिखाया है और वो है तटस्थ रहना। मुझे इस बात से फर्क नहीं पड़ना चाहिए कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छी परफॉर्म कर पाई या कर रही है या नहीं? मुझे बस अपने काम से मतलब रखना चाहिए। मैं किसी भी एक तरह की फिल्मों को नहीं करना चाहती। जिस फिल्म के बारे में जानकर या स्क्रिप्ट पढ़कर मुझे लगे कि मैं इस फिल्म पर दिन-रात मेहनत कर सकती हूं या इसमें मुझे मजा आने वाला है तो वो फिल्म मैं कर लेती हूं। अगर कहानी से मेरा कनेक्ट हो जाता है, तो मैं वो फिल्म कर लेती हूं।'
 
आप तो मुंबई में पली-बढ़ी हैं, यहां तो बिजली की समस्या नहीं होती है?
नहीं, पहले बहुत होती थी। जब मैं छोटी थी या स्कूल में थी तब की बात है ये। वैसे जब बत्ती हमारे घर या मुहल्ले की गुल होती थी, तो बड़ा मजा आता था। मैं और मेरा भाई हम अंधेरे में खेलते थे, फिर वो परछाई बनाते थे (इस मौके पर उन्होंने अपने हाथों से खरगोश की परछाई बनाकर भी बताई)।
 
'बत्ती गुल...' हो या 'स्त्री' दोनों छोटे शहरों की कहानियां हैं। कैसे तैयारी करती हैं छोटे शहर वाली बनने में?
ऐसे में मेरे लेखकों सिद्धार्थ और गरिमा दोनों ने मुझे बैठकर इस विषय के बारे में पूरा बताया कि कैसे मुंबई के अलावा दूसरे शहरों में बिजली की परेशानी बहुत ज्यादा होती है। हमने कई बार लंबे सेशंस भी किए। मुझे इस बात का हमेशा गर्व भी रहेगा कि मैं ऐसे सामाजिक मुद्दे पर बात करने वाली फिल्म का हिस्सा बनी।
 
आप खुद बिजली बचाने में कितना यकीन करती हैं?
इस मामले में मैं अपने पापा को सैल्यूट करती हूं। वे हमेशा कहते थे कि घर में जब भी किसी कमरे से निकल रहे हो, तो बाहर आते समय सिर्फ यह देख लो कि कहीं लाइट जला तो नहीं रह गया। अगर रह गया हो तो बुझा दो। ऐसा उन्होंने दो-चार बार समझाया, तो हमारी आदत में आ गया है वो।
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