सलमान खान क्या बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं? वे पेंटिंग भी बनाते हैं, बदन भी बनाते हैं, एक्टिंग भी करते हैं और इन दिनों उनका नया शौक सामने आया है कि वे फिल्मों के लिए कहानी भी लिखते हैं। क्या वाकई सितारा व्यक्तित्व में सारे गुण होते हैं? या सितारों की खुशामद करके उसे हर क्षेत्र में निष्णात और कामयाब बताया जाता है। यूँ तो हर बच्चा छुटपन में रंगों से खेलता है, पर इससे वह पिकासो साबित नहीं होता।
सलमान खान की पेंटिंग में कितना दम है, यह तब पता चले कि पेंटिंग के माहिर लोग देखें और राय दें। जहाँ तक फिल्मी कहानी का सवाल है, वो "हंस" या "ज्ञानोदय" में छपने वाली साहित्यिक कहानी नहीं होती कि जिसकी भाषा, शिल्प, संप्रेष्णीयता और सरोकारों के बारे में बात की जाए। यह फिल्मी कहानी लिखी नहीं सोची जाती है।
तो खबर यह है कि सलमान खान ने कहानी सोची है और उस पर फिल्म बना रहे हैं "गदर" वाले अनिल शर्मा। कहानी राजा-महाराजाओं की है। पीरियड फिल्म है, पर इसके पीरियड का कुछ अता-पता नहीं है। सलमान खान से यह उम्मीद आप मत रखिए कि वे इतिहास का अध्ययन करके कोई कहानी लिखेंगे।
उन्होंने सोचा एक राजा था, तो था। दूसरा राजा उसका दुश्मन था... बेशक था। राजा लोग और करते क्या थे। दुश्मनियाँ ही तो करते रहते थे। फिर इस अनोखी कहानी में एक युवराज है (जो जाहिर है सलमान खान हैं)। युवराज प्यार कर बैठते हैं दुश्मन राजा की बेटी से (नई तारिका जर्रीन)। अपने पाठकों को आगे की कहानी सुनाना, उनका अपमान करना है। इस फिल्म में सुहैल खान, मिथुन चक्रवर्ती, जैकी श्राफ हैं और विनोद खन्ना मेहमान कलाकार हैं। फिल्म का नाम है "वीर"। मुंबई के बाद अब इसकी शूटिंग जयपुर में की जा रही है।
सलमान की इस सनक पर प्रोड्यूसर पानी की तरह पैसा खर्च कर रहे हैं। जब इतिहास को खंगालने के बाद वास्तविक राजा-महाराजाओं पर बनी फिल्में नाकाम हो रही हैं तो सलमान खान की आसमानी-सुल्तानी फिल्म क्या कामयाब होगी? मगर यह मुंबई की मायानगरी है। फिल्म बनाना जुआ नहीं सट्टा है। "पत्ता" लग गया तो सबके वारे-न्यारे वरना माल हवा हो जाता है।
सलीम खान ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि वे अपने बेटों पर अपने फैसले नहीं थोपते (बुजुर्गों के लिए यह पॉलिसी वैसे भी बढ़िया है) पर उन्हें सलमान को समझाना चाहिए कि वे पूरा ध्यान फिल्मों पर दें, यानी अभिनय पर। कहानी लिखना किसी और का काम है।