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Written By Author अनिल जैन

भाजपा की निगाहें पूर्वी बिहार में नीतीश के गढ़ पर

भाजपा की निगाहें पूर्वी बिहार में नीतीश के गढ़ पर - Bihar election 2015
भागलपुर। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 12 अक्टूबर को पहले चरण में जिन 49 सीटों पर मतदान होना है वे भागलपुर समेत दस जिलों में बंटी हुई हैं। प्राचीन काल में अंग प्रदेश के नाम से पहचाना जाने वाला पूर्वी बिहार का यह इलाका जनता दल (यू) का गढ़ माना जाता है।
 
मौजूदा विधानसभा में यहां की 49 में से 29 सीटें जनता दल (यू) के पास है। चार सीटों पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और एक सीट पर कांग्रेस काबिज है। एक-एक सीट भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास है। शेष तेरह सीटों में 12 सीटें भाजपा और एक सीट निर्दलीय के पास है।
पिछले विधानसभा चुनाव में जद (यू) और भाजपा साथ-साथ थे और उनके गठबंधन का सीधा मुकाबला लालू प्रसाद यादव के राजद से था। इस बार स्थिति बिल्कुल उलट है। अब जद (यू) का राजद और कांग्रेस से गठबंधन है और उसका मुकाबला भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से है। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कंधे पर सवार होकर पहली बार सत्ता पर काबिज होने की हसरत पाले भाजपा के नेतृत्व वाले राजग का पूरा जोर जद (यू) के इस किले में सेंध लगाने पर है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 8 अक्टूबर को इस इलाके में चार रैलियां आयोजित की गईं। मोदी ने गुरुवार को समस्तीपुर, बेगूसराय, मुंगेर और नवादा में चुनाव रैलियों को संबोधित किया। भागलपुर में वे चुनाव की तारीखें घोषित होने से पहले ही एक रैली कर चुके हैं।
 
दूसरी ओर जद (यू) सामने भी अपने इस सबसे मजबूत किले को बचाने की चुनौती है। हालांकि गठबंधन की वजह से उसे अपने कई विधायकों के टिकट काटकर उनकी सीटें राजद और कांग्रेस को देनी पड़ी है, इसलिए उसे कुछ सीटों पर बगावत का भी सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सर्वाधिक उम्मीदें अपने इसी गढ़ से है, लिहाजा इसे बचाने के लिए उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। पिछले तीन दिनों में वे इस इलाके में लगभग डेढ़ दर्जन सभाओं को संबोधित कर चुके हैं।
 
अपनी सभाओं में जुटी भारी भीड़ से उनका आत्मविश्वास बड़ा है। राजद सुप्रीमो लालू यादव और कांग्रेस नेता गुलामनबी आजाद और जयराम रमेश भी इस इलाके में सघन दौरा कर अपने महागठबंधन के उम्मीदवारों के पक्ष में सभाएं कर रहे हैं, लोगों में मुख्य आकर्षण नीतीश कुमार का ही है और वे मानते हैं कि नीतीश काम करने वाले नेता हैं। 
 
इस इलाके में खगड़िया जिला लोजपा सुप्रीमो और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का गृह जिला है, जबकि समस्तीपुर जिला रालोसपा के नेता और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा का गृह जिला है। पिछले चुनाव में दोनों जिलों की दस सीटों पर जद (यू) ने कब्जा जमाया था। इस बार भाजपा अपने इन दोनों सहयोगी नेताओं की मदद से यहां ज्यादा से ज्यादा सीटें जद (यू) से हथियाने की उम्मीद पाले हुए है। इस सिलसिले में उसे भी इन जिलों में अपने प्रभाव वाली कुछ सीटें अपने सहयोगियों के लिए छोड़नी पड़ी है। हालांकि इस वजह से उसे अपनी पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना भी करना पड़ रहा है और उनकी यह नाराजगी सहयोगी दलों के उम्मीदवारों के लिए भी भारी पड़ सकती है।  
 
शेष बिहार की तरह इस इलाके में भी चुनाव नतीजों को जातीय समीकरण प्रभावित करते रहे हैं और इस बार भी स्थिति भिन्न नहीं है। दोनों प्रमुख गठबंधनों ने अपने उम्मीदवारों के चयन में जातीय समीकरणों का पूरा ध्यान रखा है। मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी की अगुवाई में बने मोर्चे का यहां कोई असर दिखाई नहीं देता है।