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Written By अनिल जैन
Last Modified: पटना , बुधवार, 28 अक्टूबर 2015 (23:36 IST)

बिहार में मुकाबले से बाहर हैं मुलायम और ओवैसी

बिहार में मुकाबले से बाहर हैं मुलायम और ओवैसी - Bihar assembly elections
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में तीसरे चरण का मतदान समाप्त होने के बाद कुछ चीजें साफ होती दिख रही हैं। जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूरी ताकत झोंक देने और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव द्वारा हर मुद्दे पर उन्हें घेरने से पूरी लड़ाई मोदी और लालू-नीतीश के बीच सिमटती दिख रही है। 
दोनों गठबंधन अलग-अलग दावों और वादों से मतदाताओं को अपनी ओर करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। दो गठबंधनों की इस जोरदार भिड़ंत का बड़ा खामियाजा उठाना पड़ रहा है तीसरे मोर्चे को, जिसकी शुरुआत में कई दलों ने मिलकर दोनों गठबंधनों को टक्कर देने का मंसूबा बांधा था। 
 
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की सरपरस्ती में बने इस गठबंधन की कमान राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता तारिक अनवर को सौंपी गई थी, लेकिन राकांपा ने भी जल्द ही इस मोर्चे से नाता तोड़ लिया। बिहार के पूर्व मंत्री नागमणि भी अपनी क्षेत्रीय पार्टी के साथ मोर्चे को बाय-बाय कहते हुए जनता दल (यू) में जा मिले। 
 
इसके बावजूद भी इस चुनाव को नाक का सवाल बना चुके मुलायम सिंह ने यहां पूरी ताकत झोंकने की बात कही थी। मुलायम की सपा के अलावा इसमें पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी भी शामिल थी, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ता जा रहा है, पूरी लड़ाई भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और जद (यू), राजद और कांग्रेस के महागठबंधन के बीच ही सिमट गई है।
 
सपा और उसका गठबंधन कहीं भी लड़ाई में नहीं दिख रहा है। इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि मुलायम सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की एक-दो रैलियों के अलावा भी किसी बड़े सपा नेता की बिहार में अभी तक कोई सभा नहीं हुई है। नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार और लालू यादव की तरह बड़े सपा नेताओं के होर्डिंग-बैनर भी कहीं दिखाई नहीं देते हैं। 
 
बिहार में कुछ ऐसी ही स्थिति हो गई है वाम दलों की। कई सीटों पर अच्छा असर रखने वाले वाम दल भी इस लड़ाई से बाहर दिख रहे हैं। यही हाल कमोबेश हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की एमआईएम का हुआ है। चुनाव की घोषणा के तुरंत बाद औवेसी ने बिहार में 40 सीटें लड़ने का ऐलान किया था लेकिन राज्य के मुस्लिम समुदाय का अपने प्रति नकारात्मक रुख देखने के बाद अब उनकी पार्टी सीमांचल की मात्र छह सीटों पर ही जोर आजमाइश कर रही है।