फ़्रांस में एक 17 साल के लड़के की पुलिस की गोली से हुई मौत के बाद भड़की भीषण हिंसा अभी शांत नहीं हो सकी है। इस बीच भारत में एक ट्वीट को लेकर सोशल मीडिया पर जंग छिड़ी है। प्रोफ़ेसर एन जॉन कैम नाम के वेरिफ़ाइड ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया गया, जिसमें फ़्रांस में दंगों को रोकने के लिए उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को वहां भेजने की मांग की गई।
इस ट्वीट में कहा गया कि भारत को फ़्रांस में दंगों जैसी स्थिति पर काबू पाने के लिए योगी आदित्यनाथ को वहां भेजना चाहिए और वो ये (स्थिति नियंत्रित) 24 घंटे में कर देंगे।
लेकिन ये ट्वीट चर्चा में तब आया जब यूपी के मुख्यमंत्री के कार्यालय ने इस पर जवाब दिया।
योगी आदित्यनाथ ऑफ़िस ने इस ट्वीट पर लिखा- जब भी दुनिया के किसी भी हिस्से में दंगा भड़कता है, अराजकता फैलती है और कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होती है, तो दुनिया उत्तरप्रदेश में महाराजजी की स्थापित की हुई कानून-व्यवस्था के परिवर्तनकारी मॉडल की ओर देखती है।
प्रोफ़ेसर एन जॉन कैम ने ट्विटर अकाउंट पर खुद को एक सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट बताया है, जो जर्मनी नें रहते हैं।
इसके बाद से ही सोशल मीडिया का दो धड़ों में बंट गया है। एक तबके का कहना है कि प्रोफ़ेसर एन जॉन कैम नाम का ये अकाउंट फर्ज़ी है, लेकिन कुछ लोगों ने अकाउंट के सही होने का भी दावा किया है।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) चीफ़ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने योगी आदित्यनाथ की आलोचना करते हुए लिखा, 'फिरंगियों की तारीफ़ के इतने भूखे हैं कि किसी फ़र्ज़ी अकाउंट के ट्वीट से खुश हो रहे हैं। झूठे एनकाउंटर, ग़ैर-क़ानूनी बुलडोज़र कार्रवाई और कमज़ोरों को निशाना बनाना कोई परिवर्तनकारी नीति नहीं है, ये जम्हूरियत का विनाश है। योगी मॉडल का सच तो हमने लखीमपुर खीरी और हाथरस में देखा था।'
पेशे से पत्रकार अभिषेक उपाध्याय लिखते हैं, "ग़ज़ब डिमांड है यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की। मांग उठी है कि फ़्रांस में दंगे को क़ाबू में करने के लिए भारत को चाहिए कि योगी आदित्यनाथ को भेज दो। 24 घंटे में दंगा कंट्रोल हो जाएगा। मांग उठाई है एक मशहूर हस्ती ने। यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन से जुड़े प्रोफ़ेसर, कार्डियोलॉजी की दुनिया के बेहद मशहूर नाम और यूरोपियन सोसायटी ऑफ़ कार्डियोलॉजी का अभिन्न हिस्सा एन जॉन कैम ने।'
कुछ मीडिया हाउसों ने भी इस ट्वीट को यूरोप के लेखक का मानकर न्यूज़ बुलेटिन में जगह दी।
क्या प्रोफ़ेसर जॉन कैम हैं नरेंद्र विक्रमादित्य?
ट्विटर के नए नियमों के अनुसार अब कोई भी अकाउंट कुछ पैसों का भुगतान करके ब्लू टिक खरीद सकता है, इसलिए ये अकाउंट वाक़ई असली प्रोफ़ेसर जॉन कैम का है या नहीं ये कह पाना मुश्किल है।
फ़ैक्ट चेकर मोहम्मद ज़ुबैर ने दावा किया है कि जिस ट्विटर अकाउंट से योगी आदित्यनाथ को फ़्रांस भेजने की बात कही गई है वो असल में नरेंद्र विक्रमादित्य यादव नाम के शख़्स का है।
उन्होंने यह भी कहा है कि नरेंद्र विक्रमादित्य यादव को अपने कर्मचारियों से धोखाधड़ी के मामले में एक बार हैदराबाद पुलिस गिरफ़्तार भी कर चुकी है।
उन्होंने इस दावे के साथ रचाकोंडा पुलिस की ओर से ट्वीट किए गए एक प्रेस नोट का स्क्रीनशॉट भी शेयर किया है। इसके मुताबिक ये गिरफ़्तारी मार्च 2019 में हुई थी।
वहीं, ज़ाकिर अली त्यागी नाम के यूज़र ने योगी आदित्यनाथ के साथ एक शख्स की तस्वीर साझा की और कहा है कि जिस अकाउंट को यूरोपियन डॉक्टर का बताया गया है, दरअसल वह भारतीय है और "उसका नाम नरेंद्र विक्रमादित्य है, जो आपसे कुछ समय पहले मुलाक़ात भी कर चुका है।"
इस बीच मेडलाइफड क्राइसिस (रोहिन) नाम के एक यूज़र का ट्वीट थ्रेड भी तेज़ी से वायरल हो रहा है।
ये ट्वीट यूज़र ने 10 मार्च 2023 को किए थे। यूज़र ने दावा किया है कि ये अकाउंट ट्विटर के पुराने नियमों के अनुसार कभी वेरिफ़ाइड नहीं था बल्कि इसे ब्लू टिक सिर्फ़ इसलिए मिला क्योंकि यूज़र ने उसके लिए पैसे दिए।
इस यूज़र ने अपना नाम रोहिन फ्रांसिस बताया है, जो कंसलटिंग कार्डियोलॉजिस्ट हैं और ब्रिटेन में ही रहते हैं।
यूज़र ने दावा किया है कि अभी शक के घेरे में घिरा ट्विटर अकाउंट दरअसल, जॉन कैम नाम का फ़ायदा उठा रहा है, जो लंदन की सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी में क्लिनिकल कार्डियोलॉजी के प्रोफ़ेसर हैं।
जब हमने इंटरनेट पर इस नाम को खंगाला तो ब्रिटेन के सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल की वेबसाइट पर प्रोफ़ेसर जॉन कैम की एक प्रोफ़ाइल मिली।
ये प्रोफ़ेसर जॉन कैम भी पेशे से कॉर्डियोलॉजिस्ट ही हैं। हालांकि, वेबसाइट पर दी गई उनकी तस्वीर, ट्विटर अकाउंट की प्रोफ़ाइल पिक्चर से मेल खाती नहीं दिखती।
रोहिन फ्रांसिस नाम के यूज़र ने विवादों में घिरे ट्विटर यूज़र की बिहार के सीएम नीतीश कुमार और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ तस्वीरें भी शेयर की हैं और इन्हें फ़ोटोशॉप्ड बताया है।
अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू ने रोहिन फ़्रांसिस नाम के इस यूज़र से ही संपर्क करने की कोशिश की, ताकि इनके प्रोफ़ाइल की सच्चाई स्थापित हो सके।
अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि रोहिन फ़्रांसिस ने अपने पहचान के लिए दस्तावेज़ के तौर पर केवल शिकागो की रोज़ालिंड फ़्रैंकलिन यूनिवर्सिटी ऑफ़ मेडिसिन एंड साइंसेज़ से की गई फ़ेलोशिप का सर्टिफ़िकेट शेयर किया।
इसी यूज़र ने यह भी दावा किया है कि प्रोफ़ेसर एन जॉन कैम के ट्विटर अकाउंट के बैनर में जो तस्वीर लगाई गई है वो असल में राजस्थान में इसी नाम से खुलने जा रहे इंस्टिट्यूट की है। ये इंस्टिट्यूट साल 2027 में खुलना है।
रोहिन फ़्रांसिस ने के इस ट्वीट थ्रेड में एन जॉन कैम का पूरा नाम भी नरेंद्र जॉन कैम बताया है। उन्होंने कहा है कि इस नाम को सर्च करने पर उन्हें कई यूके की बंद हो चुकी कंपनियों के बारे में जानकारी मिली, जहां नरेंद्र जॉन कैम का नाम डायरेक्टर के तौर पर लिखा गया है।
इनमें से दो कंपनियां 'ब्रॉनवल्ड' के नाम पर हैं। यूजीन ब्रॉनवल्ड को मॉर्डन कार्डियोलॉजी के जनक के तौर पर जाना जाता है।
यूज़र ने कहा है कि असली प्रोफ़ेसर जॉन कैम और यूजीन ब्रॉनवल्ड कार्डियोलॉजी के मामले में जाने-माने नाम हैं।
जबकि नरेंद्र विक्रमादित्य यादव नाम के कार्डियोलॉजिस्ट को साल 2019 में हैदराबाद पुलिस ने गिरफ़्तार किया था।
इंटरनेट पर हमें भी ऐसी कई रिपोर्ट मिलीं जिनमें ब्रॉनवल्ड हेल्थकेयर की को-फ़ाउंडर और उनके पति के ख़िलाफ़ रचाकोंडा पुलिस ने केस दर्ज किया।
डॉक्टर यादव को 100 कर्मचारियों का वेतन न देने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था और साल 2014 में मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया ने इस नाम के शख्स पर पांच साल के लिए प्रैक्टिस पर रोक लगाई थी। हालांकि, इन ख़बरों में किसी भी जगह अभियुक्तों की तस्वीर नहीं थी।
प्रोफ़ेसर एन जॉन कैम का ज़ुबैर को नोटिस
सोमवार को विवादों में घिरे ट्विटर अकाउंट जॉन कैम ने एक ट्वीट में ये बताया कि उन्होंने डॉक्टर एन जॉन कैम के ख़िलाफ़ अपमानजनक सामग्री शेयर करने के कारण मोहम्मद ज़ुबैर को लीगल नोटिस भेजा है।
इसके जवाब में फ़ैक्ट चेकर मोहम्मद ज़ुबैर ने कई और दावे किए।
उन्होंने कुछ दस्तावेज़ों के स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए ये बताया कि नरेंद्र विक्रमादित्य यादव भारत में रजिस्टर्ड 'ब्रॉनवल्ड हॉस्पिटल्स प्राइवेट लिमिटेड' कंपनी के निदेशक थे। इसी कंपनी का नाम पुलिस के प्रेसनोट में भी है, जो ज़ुबैर पहले ही शेयर कर चुके हैं।
ज़ुबैर ने यह भी बताया है कि ब्रिटेन में ब्रॉनवल्ड लाइफ़केयर लिमिटेड नाम की एक और कंपनी रजिस्टर्ड हुई। इसकी निदेशक दिव्या रावत थीं, लेकिन साल 2018 में इस ब्रितानी कंपनी के नए निदेशक के तौर पर नरेंद्र यादव को नियुक्त किया गया। साल 2019 में डायरेक्टर का नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव से बदलकर 'नरेंद्र जॉन कैम' कर दिया गया। इसी साल कंपनी का नाम भी बदलकर 'जॉन कैम लाइफ़केयर लिमिटेड' किया गया।
ये कंपनी आख़िरकार साल 2020 में बंद हो गई। ज़ुबैर ने नरेंद्र विक्रमादित्य यादव और ब्रॉनवल्ड हेल्थकेयर लिमिटेड पर छपे कुछ आर्टिकल्स के स्क्रीनशॉट भी शेयर किए, जिनमें नरेंद्र विक्रमादित्य यादव की तस्वीरें होने का दावा किया गया है। Edited By : Sudhir Sharma