प्रभाकर मणि तिवारी, कोलकाता से, बीबीसी हिंदी के लिए
इस साल होने वाले अहम विधानसभा चुनावों से पहले लगातार गरमाती राजनीति के बीच पश्चिम बंगाल में अब कोयले पर तूफ़ान खड़ा हो गया है।
झारखंड से सटे राज्य के कोयला खदान वाले इलाकों में कोयले के अवैध खनन के मामले की आंच अब मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के घर तक पहुंचने लगी है।
इस मामले की जांच कर रही सीबीआई ने रविवार को ममता के भतीजे सांसद अभिषेक बनर्जी के घर पहुंचकर उनकी पत्नी रुजिरा बनर्जी और साली मेनका गंभीर को इस मामले में पूछताछ का नोटिस दिया।
उसके बाद इस मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। तमाम दल इस कोयले की आंच पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में जुट गए हैं।
टीएमसी ने जहां इसे बदले की राजनीति के तहत की गई कार्रवाई करार दिया है, वहीं बीजेपी का कहना है कि इस मामले में कानून अपना काम करेगा।
दूसरी ओर, लेफ्ट और कांग्रेस ने इसे टीएमसी और बीजेपी की गोपनीय सांठ-गांठ बताया है। इस बीच, रुजिरा ने सीबीआई टीम को उसके सवालों का जवाब देने के लिए मंगलवार को अपने घर बुलाया है।
आखिर क्या है मामला
पश्चिम बंगाल में बर्दवान ज़िले का आसनसोल और रानीगंज इलाका कोयलांचल के नाम से मशहूर है। बीते साल मई में ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) के विजिलेंस विभाग के अधिकारियों को पता चला था कि कुछ गिरोह बड़े पैमाने पर अवैध रूप से कोयले की खुदाई कर उसे बाज़ार में बेच रहे हैं।
यह खुदाई मुख्यरूप से उन खदानों में होती थी जिनको असुरक्षित मानकर बंद कर दिया गया था। उसके बाद विश्वसनीय सूत्रों से मिली सूचना के आधार पर सीबीआई ने बीते साल नवंबर में इस मामले में एक एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की तो चौंकाने वाले कई तथ्य सामने आए।
सीबीआई की एफआईआर में इस मामले के मुख्य अभियुक्त अनूप मांझी उर्फ लाला, विनय मिश्र, ईसीएल के दो महाप्रबंधकों और सुरक्षा अधिकारियों समेत छह लोगों के नाम शामिल थे। इस मामले में सीबीआई अब तक कई राज्यों के दर्जनों ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है। छापेमारी के दौरान ईसीएल के एक सुरक्षा इंस्पेक्टर की दिल का दौरा पड़ने से मौत भी हो चुकी है।
अनूप मांझी उर्फ लाला को कोयलांचल में कोयला तस्करी गिरोह का सरगना कहा जाता है। लाला के ठिकानों पर पिछले कई महीनों में सीबीआई ने कई छापे मारे हैं। लेकिन अभी तक लाला सीबीआई की पकड़ से बाहर हैं। इस मामले के दूसरे प्रमुख अभियुक्त विनय मिश्र को अभिषेक बनर्जी का करीबी माना जाता है।
वह टीएमसी की युवा शाखा में अभिषेक की टीम का सदस्य भी था। फिलहाल लाला और मिश्र दोनों फरार हैं। अब सीबीआई की तलाश अभिषेक की पत्नी तक पहुंच गई है। सीबीआई को शक है कि कोयला घोटाले से जुड़े कुछ संदिग्ध लेन-देन अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजिरा और उनकी बहन के खाते से किए गए हो सकते हैं।
अवैध खदानों की भरमार
रानीगंज और आसनसोल इलाके में ऐसी सैकड़ों खदानें हैं जिन पर कोयला माफिया का कथित राज है। यह कोयला माफिया पड़ोसी झारखंड से सस्ते मजदूरों को लाकर खदानों के आस-पास बसाता है। उनसे अवैध खदानों से कोयला निकलवाया जाता है।
कोयला यहां से ट्रकों के जरिए बनारस और कानपुर तक भेजा जाता है। इस इलाके की खदानें ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) की हैं। अवैध खुदाई वहीं होती है जिन खदानों से ईसीएल कोयला निकालना बंद कर चुका है।
इस कारोबार से जुड़ें लोगों की मानें तो आसनसोल-रानीगंज क्षेत्र में लगभग साढ़े तीन हजार अवैध कोयला खदानों में कम से कम पैंतीस हजार लोग प्रत्यक्ष रूप से काम करते हैं। उनके अलावा लगभग चालीस हजार लोगों को परोक्ष रूप से रोज़गार मिला हुआ है। अवैध कोयले की खुदाई और बिक्री के इस कारोबार का सालाना टर्नओवर अरबों का माना जाता है।
रानीगंज के स्थानीय पत्रकार विमल देव बताते हैं, "इलाके में लगभग पांच सौ अवैध खदानें हैं और वहां कोई 20 हजार मजदूर काम करते हैं। इन खदानों में अक्सर मिट्टी से दबकर या पानी में डूबकर लोग मरते रहते हैं। लेकिन यह खबर भी उनके साथ ही वहीं दब जाती है। माफिया के हाथ बहुत लंबे हैं।"
कोयले की इस अवैध खुदाई से आसपास की कई बस्तियों में जमीन धंस गई है और मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं।
कोयला उद्योग से जुड़े लोग बताते हैं कि इलाके में अवैध खनन एक समानांतर उद्योग है। रोजाना हजारों टन कोयला इसके जरिए निकलता है। कम समय में ज्यादा कोयला निकालने की होड़ ही हादसों को न्योता देती है। इन मजदूरों को न तो किसी तरह का प्रशिक्षण हासिल होता है और न ही वे किसी वैज्ञानिक तरीके का इस्तेमाल करते हैं। यह धंधा दशकों से चल रहा है। लेकिन स्थानीय प्रशासन और सरकार आंखें मूंदे रहती है।
ईसीएल के एक अधिकारी कहते हैं, "बड़े पैमाने पर होने वाली इस अवैध खुदाई पर अंकुश लगाना मुश्किल है। इसके लिए राज्य सरकार और पुलिस को ही कार्रवाई करनी होगी।"
लेकिन दूसरी ओर, प्रशासन की पुरानी दलील रही है कि ईसीएल को अपनी बंद खदानों को ठीक से सील कर देना चाहिए ताकि उनको दोबारा नहीं खोला जा सके।
आरोप-प्रत्यारोप
टीएमसी से नाता तोड़ बीजेपी में शामिल होने वाले पूर्व मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने बीती दो फरवरी को 'मैडम नरूला' यानी अभिषेक की पत्नी पर आरोप लगाते हुए उनके थाईलैंड के बैंक खाते की चर्चा की थी।
उसके चार दिनों बाद अभिषेक ने कहा था, "बीजेपी मुझसे मुकाबले करने में सक्षम नहीं है। इसलिए अब मेरी पत्नी को निशाना बनाया जा रहा है। लेकिन मेरी पत्नी का बैंक खाता सिर्फ कोलकाता में है।"
अब सीबीआई की ओर से रुजिरा को नोटिस देने के बाद इस मामले पर चौतरफा घमासान शुरू हो गया है। अभिषेक कहते हैं, "ऐसा कर मुझे दबाया नहीं जा सकता। हम ऐसी तरकीबों से घुटने टेकने वालों में से नहीं है। मुझे कानून पर पूरा भरोसा है।"
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इसके लिए बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व पर जमकर हमला किया है। ममता का कहना है, "बाघ का बच्चा बिल्लियों से नहीं डरता। दिल्ली हमेशा बंगाल की रीढ़ की हड्डी तोड़ने का प्रयास करती है और यह मामला भी ऐसा ही है। हम धमकियों से डरने वाले नहीं हैं।"
टीएमसी के प्रवक्ता, सांसद सौगत राय कहते हैं, "बीते कुछ दिनों से बीजेपी नेता जिस तरह अभिषेक को निशाना बना रहे थे, यह नोटिस भी इसी रणनीति का हिस्सा है। यह बात शीशे की तरह साफ है कि बदले की राजनीति के तहत ही यह कार्रवाई की गई है। ईडी और सीबीआई बीजेपी का प्रमुख हथियार बन गई हैं।"
टीएमसी नेताओं का कहना है कि अभिषेक की ओर से दायर मानहानि के एक मामले में अमित शाह को अदालती समन के बाद ही यह कार्रवाई की गई है।
बीजेपी नेता शुभेंदु कहते हैं, "बंगाल के तमाम लोग जानते हैं कि लाला (मुख्य अभियुक्त) का पैसा किसके पास जाता था। वह रकम उगाहीबाज भतीजे के घर जाती रही है।"
प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता शमीक भट्टाचार्य कहते हैं, "सीबीआई एक मामले की जांच कर रही है। अगर वह जांच नहीं करे तो मोदी-ममता में मिलीभगत के आरोप लगते हैं और जांच करने पर राजनीतिक बदले का। इस मामले का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। इसमें कानून अपना काम करेगा।"
प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, "इस मामले में राजनीतिक बदले का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता। सीबीआई कानून के दायरे में काम कर रही है। लेकिन नोटिस से घबराने की कोई बात नहीं है। सारदा और नारदा मामले में मुकुल राय और शुभेंदु जैसे बीजेपी नेताओं के खिलाफ भी जांच चल रही है।"
दूसरी ओर, लेफ्ट और कांग्रेस के नेताओं ने इसे टीएमसी और बीजेपी के गोपनीय तालमेल का नतीजा बताया है। लेफ्ट विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती कहते हैं, "राज्य पुलिस को बहुत पहले इस कोयला खनन मामले की जांच करनी चाहिए थी। लेकिन नोटिस की टाइमिंग पर सवाल जरूर उठ रहे हैं। चुनावों के ठीक पहले ही नोटिस क्यों भेजा गया है?"
सीपीएम के प्रदेश सचिव सूर्यकांत मिश्र कहते हैं, "यह सब बीजेपी और टीएमसी की मिलीभगत है। हम जानते थे कि ऐसा कुछ होने वाला है। लेकिन कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त के खिलाफ सीबीआई जांच वाले मामले की तरह यह मामला भी निपट जाएगा। लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन को सत्ता में आने से रोकने के लिए टीएमसी और बीजेपी के बीच गोपनीय समझौता हो चुका है और यह कार्रवाई उसी समझौते का हिस्सा है।"
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अब्दुल मन्नान भी यही आरोप लगाते हैं। वह कहते हैं, "भतीजे के घर सीबीआई टीम का जाना गॉटअप गेम है। चुनावों से पहले अभिषेक के घर पर सीबीआई टीम भेजकर केंद्र सरकार यह दिखाना चाहती है कि वह टीएमसी की विरोधी है। राज्य में अवैध कोयला खनन का मामला कोई नया नहीं है।"
आखिर रुजिरा के खिलाफ आरोप क्या हैं
सीबीआई के एक अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं, "जांच से यह बात सामने आई है कि टीएमसी के युवा नेता विनय मिश्र और मुख्य अभियुक्त अनूप मांझी उर्फ लाला समेत इस कारोबार से जुड़े कई लोगों के पैसे विदेश भेजे गए हैं। इस बात के सबूत मिले हैं कि उसमें से कुछ रकम रुजिरा नरूला के खाते में जमा हुई है। वही रुजिरा जो अभिषेक की पत्नी हैं।"
यहां इस बात का जिक्र प्रासंगिक है कि बीते साल बैंकॉक से लौटते समय रुजिरा के खिलाफ तय मात्रा से ज्यादा सोना लाने के आरोप में कस्टम विभाग ने उनके खिलाफ एक एफआईआर दर्ज कराई थी। वह मामला फिलहाल अदालत में लंबित है।