अमेरिका-ईरान तनाव: खाड़ी में युद्धपोत और मिसाइलों की तैनाती
सांकेतिक चित्र
ईरान के साथ बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका, मध्यपूर्व में पैट्रियट मिसाइल रक्षा प्रणाली भेज रहा है। युद्धपोत 'यूएसएस आर्लिंगटन' को खाड़ी में यूएसएस अब्राहम लिंकन लड़ाकू समूह में शामिल किया जाएगा। इसमें तैनात विमान ज़मीन और पानी दोनों पर दुश्मन के ठिकानों को निशाना बना सकते हैं।
अमेरिका रक्षा विभाग पेंटागन का कहना है कि कतर के एक सैन्य ठिकाने पर बम बरसाने वाले US B-52 विमान भी भेजे जा चुके हैं। विभाग का कहना है कि मध्यपूर्व में मौजूद अमेरिकी सेना को ईरान के संभावित ख़तरों से बचाने के लिए यह कदम उठाया गया है। हालांकि ख़तरे क्या हैं, इस बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा गया है।
ईरान ने इन सब को बकवास बताया है। ईरान ने अमेरिका की इस तैनाती को "मनोवैज्ञानिक युद्ध" बताया है, जिसका मकसद उनके देश को डराना है।
कैसे हैं अमेरिका और ईरान के रिश्ते?
इससे पहले, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने अपने यूरोप दौरे पर पत्रकारों से कहा था, "हमने ईरान की तरफ़ से उकसाने वाले कदम निश्चित तौर पर देखे हैं और हम ख़ुद पर होने वाले किसी भी तरह के हमले के लिए उन्हें ज़िम्मेदार ठहराएंगे।"
हालांकि पोम्पियो ने ये स्पष्ट नहीं किया कि वो किन 'उकसाने वाली कदमों' के बारे में बात कर रहे थे। एक तरफ़ जहां अमेरिकी अपने सहयोगी देशों को ईरान से तेल न खरीदने पर मजबूर करके ईरान की अर्थव्यवस्था को धराशायी करना चाहता है वहीं ईरान का कहना है कि वो किसी भी हालत में झुकने वाला नहीं है।
अमेरिका पिछले साल ईरान समेत छह देशों के बीच हुई परमाणु संधि से बाहर हो गया था। राष्ट्रपति ट्रंप के इस समझौते को रद्द करने के पीछे ये वजह बताई जा रही थी कि वो साल 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय ईरान से हुई संधि से ख़ुश नहीं थे। इसके साथ ही अमेरिका ने यमन और सीरिया युद्ध में ईरान की भूमिका की आलोचना भी की थी।
ट्रंप प्रशासन को उम्मीद है कि वो ईरान सरकार को नया समझौता करने के लिए मजबूर कर लेंगे और इसके दायरे में सिर्फ़ ईरान का परमाणु कार्यक्रम ही नहीं बल्कि बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम भी होगा। अमेरिका का ये भी कहना है कि इससे मध्य पूर्व में ईरान का "अशिष्ट व्यवहार" भी नियंत्रित होगा।
वहीं, ईरान ने अमेरिकी पाबंदियों को ग़ैरक़ानूनी बताया है। ईरानी मीडिया के मुताबिक़, अमेरिका के ऐलान के जवाब में ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने कहा है कि उनके पास अमरीकी प्रतिबन्धों का जवाब देने के लिए कई विकल्प हैं।
जवाद जरीफ़ ने कहा कि ईरान कई विकल्पों पर विचार कर रहा है और इनमें 'परमाणु अप्रसार संधि' से अलग होना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि अगर ईरान को उसका तेल बेचने से रोका गया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।