- सरोज सिंह (बीबीसी संवाददाता)
रुपाली, अमृतपाल और अमनप्रीत, तीनों पंजाब के अलग-अलग शहरों की रहने वाली है. लेकिन तीनों का दर्द एक है। तीनों के पति शादी के बाद उन्हें छोड़कर विदेश चले गए। तीनों ने पुलिस थाना, महिला आयोग, एनआरआई कमीशन और कोर्ट के इतने चक्कर काटे कि अब क़ानून की किस धारा के तहत किसको कितनी सज़ा हो सकती है, ये सब मुंह ज़बानी याद है।
इसी साल जनवरी के महीने में तीनों की मुलाक़ात चंडीगढ़ के आरपीओ दफ़्तर में हुई और तीनों ने अपने-अपने केस में अपने पति और रिश्तेदारों के पासपोर्ट ज़ब्त करवाए। चंड़ीगढ़ के पासपोर्ट अधिकारी सिबाश कविराज ने बीबीसी को बताया, "इतने बड़े पैमाने पर धोखेबाज़ एनआरआई पतियों पर कार्रवाई इतनी सख़्ती से कभी नहीं की गई है। हमने चंडीगढ़ ऑफिस में ऐसे केस को हैंडल करने के लिए अलग से सेल बनाया है।"
कैसे काम करता है ये सेल?
इस सवाल के जवाब में सिबाश कहते हैं, "ऐसी शादियों से पीड़ित चार लड़कियां और विदेश मंत्रालय के दो कर्मचारियों के साथ मिलकर हम ये सेल चला रहे हैं। एनआरआई शादियों के पीड़ितों के जितने मामले हमारे सामने आते हैं, उसमें काग़जात पूरे नहीं होते। मंत्रालय चाह कर भी विदेश में उन पर शिकंजा नहीं कस सकता है। ये सेल क़ानूनी बारीकियों को समझाते हुए उनके साथ मिलकर काम करता है।"
इस सेल के साथ अपनी मर्ज़ी से जुड़ी चार लड़कियों में से तीन ने बीबीसी से बात की।
रुपाली की कहानी
इसी साल जनवरी में सर्दी के दिन थे। रुपाली भठिंडा से चंढीगड़ पहुंची। साल 2017 के सितबंर में उनकी शादी हुई। उनके पति कनाडा में रहते हैं। शादी के दूसरे दिन से ही ससुराल वालों ने उनको सताना शुरू कर दिया।
बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, "मैं केवल एक महीने ही ससुराल में रही। लेकिन उस एक महीने में मुझे पता चला कि मेरे पति की पहले से शादी हो चुकी है। इस बीच मैं गर्भवती हो गई, डिप्रेशन में चली गई और मेरा गर्भपात हो गया।"
एक महीने बाद मेरे पति मुझे छोड़ कर कनाडा चले गए। वहां जाते ही न तो उन्होंने कोई फोन किया और न ही मेरे मैसेज का कोई जवाब दिया। रुपाली ने अपने मायके वालों के साथ मिल कर अपने ससुराल वालों पर एफआईआर दर्ज़ कराई। लेकिन रुपाली के ससुराल वालों ने ये कहकर ध्यान नहीं दिया कि "बेटा तो विदेश में है तुम क्या कर लोगी।"
एनआरआई से शादी के मामले में दो तरह की शिकायतें हैं। कई औरतों के पति शादी कर उन्हें भारत में छोड़ कर चले गए। कई ऐसी हैं जिन्हें साथ तो ले गए, लेकिन वहां प्रताड़ित किया जा रहा है। विदेश में उनकी मदद करने वाला कोई नहीं।
रुपाली के मामले में उनके पति उन्हें छोड़ कर कनाडा चले गए। कोर्ट में हर बार नई तारीख़ मिलती रही लेकिन उनके पति और ससुराल वाले किसी तारीख़ पर पेश ही नहीं हुए।
रुपाली वैसे तो इंजीनियर हैं लेकिन अब उन्हें नौकरी से छुट्टी लेकर कोर्ट कचहरी के धक्के खाने पड़ रहे हैं। इसी साल जून में उन्हें सफलता मिली और उनके पति का पासपोर्ट ज़ब्त कर लिया गया है।
अब उनके पति को भारत वापस आना ही पड़ेगा। लेकिन अब उन्होंने ठान लिया है कि अपने जैसी तमाम लड़कियों की मदद करेंगी। चंडीगढ़ के आरपीओ सिबाश के मुताबिक़ पासपोर्ट ज़ब्त करने के बाद इस बात की सूचना विदेश में उस संस्था को भी दी जाती है, जहां वो एनआरआई पति काम करते हैं।
इससे संस्थान की तरफ से भी ऐसे कर्मचारियों पर दबाव बनाने में कामयाबी मिलती है। पासपोर्ट ज़ब्त करने के बाद वीज़ा अपने आप ख़त्म हो जाता है और विदेश में काम करने की इजाज़त नहीं मिल सकती।
सिबाश का कहना है, "पासपोर्ट ज़ब्त होने के बाद ऐसे पतियों के पास भारत वापस लौटना ही एकमात्र चारा बचता है। इसके लिए उस देश में स्थित भारतीय दूतावास की मदद ली जाती है। स्वदेश लौटने के बाद उन्हें आरपीओ दफ़्तर आकर उनके नाम पर चल रहे मामलों की जानकारी दी जाती है। वो चाहें तो सुलह कर सकते हैं। सुलह न होने की सूरत में क़ानूनी तौर पर जो कार्रवाई होनी चाहिए वो की जाती है। एक मामले में तो हमने एक एनआरआई पति को अभी जेल भी भेजा है।"
विदेश मंत्रालय के मुताबिक़ एनआरआई पतियों से परेशान पत्नियों में से सबसे ज्यादा पंजाब की हैं। दूसरे और तीसरे नंबर पर तेलंगाना और कर्नाटक की महिलाएं हैं।
सिबाश के मुताबिक, "पंजाब हरियाणा मिला कर तकरीबन 25000 महिलाएं इस तरह की शादियों से परेशान है।"
अमृतपाल के मुताबिक़ शादी के एक साल बाद उनके पति भारत लौटे। लेकिन उनसे मिलने के लिए नहीं बल्कि उनसे तलाक़ लेने के लिए। अमृतपाल के मुताबिक़ वो समन उन्हें चार महीने बाद मिला। वे बताती हैं, "मैंने फोन पर तलाक़ देने के पीछे का कारण पूछा तो उन्होंने मेरे सामने दहेज की मांग रख दी।"
फिलहाल अमृतपाल की सास का पासपोर्ट ज़ब्त कर लिया गया है लेकिन उनके पति का नहीं हो पाया।
दरअसल अमृतपाल के पति ऑस्ट्रेलिया के नागरिक है। शादी के वक़्त उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी। अब अमृतपाल चाहती हैं कि उनके पति को वापस भारत लाने के लिए केंद्र सरकार कदम उठाए। अमृतपाल पोस्ट ग्रेजुएट हैं। लेकिन कोर्ट कचहरी के चक्कर में वो नौकरी नहीं कर पा रही। वो पंजाब के मांसा ज़िले से हैं।
अमनप्रीत की कहानी
अमृतपाल और रुपाली का साथ कब दोस्ती में बदल गया उन्हें पता ही नहीं चला। दोनों साथ रहने लगी। फिर एक दिन उनकी इस लड़ाई में उन्हें एक और नई दोस्त मिली -अमनप्रीत। अमनप्रीत की कहानी भी इन दोनों जैसे थी। 2017 में फरवरी में शादी हुई। दहेज की डिमांड तो शादी वाले दिन से शुरू हो गई थी।
अमनप्रीत के मुताबिक़, एक महीने बाद ही पति इटली चले गए जहां वो काम करते थे। शादी में उन्हें और गहने चाहिए थे। अमनप्रीत को ये तक नहीं पता था कि उनके पति पहले से शादीशुदा हैं लेकिन फ़ेसबुक पर उन्होंने अपने पति और एक बच्चे की फोटो कई बार देखी है। अमनप्रीत के पति का भी पासपोर्ट ज़ब्त हो चुका है लेकिन सास-ससुर का पासपोर्ट ज़ब्त होना बाकी है। अमनप्रीत पंजाब के गोविंदगढ़ की रहने वाली हैं।
शिकायत कैसे और कहां करें?
क़ानून के मुताबिक एनआरआई शादियों से जुड़े मामलों की शिकायत कोई भी लड़की राष्ट्रीय महिला आयोग से कर सकती है। आयोग शिकायत की एक कॉपी विदेश मंत्रालय और एक कॉपी पुलिस को भेजती है। आयोग स्थानीय पुलिस की मदद से दोनों पक्षों से बात करती है।
अगर लड़के के ख़िलाफ़ रेड अलर्ट नोटिस जारी करना है तो पुलिस का इसमें अहम रोल होता है। फिर विदेश मंत्रालय उस देश से संपर्क करता है जहां लड़का रहता है। लड़की के पास जो भी सबूत हों वो पेश कर सकती है। जैसे कि पति के पासपोर्ट की कॉपी, कोई और जानकारी।
अगर लड़के की कंपनी का पता हो तो राष्ट्रीय महिला आयोग कंपनी से भी संपर्क करता है। इस तरीक़े से लड़के पर ज़्यादा दबाव बन सकता है। जब लड़के की नौकरी पर बात आती है तो वो मामले को सुलझाने की जल्दी कोशिश करता है।
राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन रेखा शर्मा बताती हैं कि कई मामले काफ़ी पेचीदा होते हैं। अगर एनआरआई पति भारत का नागरिक ना रहा हो और उसका पासपोर्ट किसी और देश का हो तो केस मुश्किल होता है, क्योंकि इसमें दो से तीन देश शामिल हो जाते हैं।
इसके आलावा ऐसी भी कई शिकायतें आती है जहां एनआरआई लड़के पत्नियों को विदेश ले जाकर वहां शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित करते हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक़ इन मामलों में महिलाएं उस देश में भारतीय दूतावास को संपर्क कर सकती हैं। जिसके बाद वहां का भारतीय दूतावास, भारत के विदेश मंत्रालय से संपर्क कर महिला की मदद करता है।
एनआरआई पतियों की ऐसी पत्नियों की विदेश मंत्रालय कुछ चुनिंदा एनजीओ के ज़रिए आर्थिक और क़ानूनी मदद भी करता है।