अमेरिकन सेंटर में अमेरिका-भारत रिश्तों के 70 वर्ष पर उत्सव
नई दिल्ली। भारत एवं अमेरिका के राजनयिक संबंधों की स्थापना के 70 साल पूरे होने के मौके पर अमेरिकी दूतावास के राजधानी स्थित अमेरिकन सेंटर ने नवीनतम प्रदर्शनी 'सेलेब्रेटिंग 70 ईयर्स ऑफ यूएस इंडिया रिलेशंस' लगाई है।
प्रदर्शनी के शुभारंभ के मौके पर कार्यक्रम में इंडियाना यूनिवर्सिटी की न्यामा मैक्कार्थी-ब्राउन, असिस्टेंट प्रोफेसर ऑफ कांटेम्पोरेरी डांस और भरतनाट्यम नर्तकी तान्या सक्सेना द्वारा 'डांसिंग स्टोरीज फ्रॉम द ईस्ट एंड वेस्ट' नृत्य प्रदर्शन भी किया गया।
स्वतंत्रता दिवस तक चलने वाली इस कला प्रदर्शनी में अमेरिकी दूतावास आर्काइव्स से छवियों और तस्वीरों को प्रदर्शित किया गया है, जो 1950 के दशक तक के अमेरिका-भारत रिश्तों की प्रमाण हैं। यह शो उन विषयों में विभाजित है, जो दोनों देशों के सहयोग की गहराई और व्यापकता को प्रतिबिम्बित करते हैं जिसमें सुरक्षा और आर्थिक साझेदारी से लेकर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नवान्वेषण और प्रदर्शन कला, सृजन जैसे क्षेत्रों में प्रतिभा एवं संस्कृति को साझा करने के लिए शामिल किया गया है।
प्रदर्शनी के उद्घाटन अवसर पर अमेरिकी दूतावास की क्षेत्रीय जनसहभागिता विशेषज्ञ साराह जिबेल ने कहा कि प्रदर्शनी में आप हमारे चारों तरफ अतीत और वर्तमान की प्रेरक छवियों को देखेंगे जो रणनीतिक साझेदारी और मजबूत दोस्ती को प्रतिबिंबित करती हैं जिसका लाभ अमेरिका-भारत ने 70 वर्षों तक उठाया है। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी के आयोजन की मेहनत में भी खुशी प्राप्त हुई है। हमें अमेरिका-भारत दोस्ती के इस प्रतिबिंब पर गर्व है।
'डांसिंग स्टोरीज फ्रॉम द ईस्ट एंड वेस्ट' प्रोफेसर मैक्कार्थी-ब्राउन, समकालीन अमेरिकन डांसर और भारतीय शास्त्रीय नर्तकी तान्या सक्सेना ने अपनी एकल रचनाओं के अतिरिक्त सांस्कृतिक मिश्रण की रचना प्रस्तुत की। अपनी रचनाओं के प्रदर्शन से पूर्व नर्तकियों ने उपस्थित लोगों से अपनी कला के स्वरूप के बारे में बातचीत की, उन्होंने बताया कि अपनी रचनाओं को कैसे विकसित किया और दर्शकों के साथ आदान-प्रदान सत्र के माध्यम से मूवमेंट सीक्वेंस को प्रदर्शित किया।
अमेरिकी नर्तकी न्यामा मैककार्थी-ब्राउन ने कहा कि सहयोग ने 2 अलग-अलग संस्कृतियों की नृत्य परंपराओं को सुसज्जित किया और उनकी पूर्णता का अतिक्रमण किए बिना उन्हें सद्भावनापूर्ण रूप से एकसाथ जोड़े रखा। यह सुनिश्चित करने के लिए प्रस्तुति में प्रत्येक स्वरूप का विस्तार किया गया, दूसरे के साथ मिलाया गया। यह रचना हर मायने में एक सहयोग एवं साझा संस्कृति का प्रदर्शन थी। (वार्ता)