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Written By BBC Hindi
Last Updated : शुक्रवार, 25 अगस्त 2023 (08:15 IST)

रूस के खिलाफ यूक्रेन को F-16 लड़ाकू विमान मिलना क्यों है गेम चेंजर

F-16 fighter plane
F-16 fighter plane : रूसी हमले के शुरुआती दिनों से ही यूक्रेन अपने विदेशी सहयोगियों से लड़ाकू विमान देने का अग्रह करता रहा है। अब अमेरिका ने अपने कुछ एफ़-16 लड़ाकू विमानों को डेनमार्क और नीदरलैंड्स के ज़रिए यूक्रेन को दिए जाने को मंज़ूरी दे दी है जिससे लगता है कि रूस के ख़िलाफ़ लड़े जा रहे युद्ध में गुणात्मक बदलाव आएगा।
 
पिछले दिनों यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदीमीर ज़ेलेंस्की ने इन दोनों यूरोपीय देशों का दौरा किया था और इसी दौरान उसे 61 लड़ाकू विमान देने पर सहमति बनी। इनमें से 42 विमान नीदरलैंड्स और 19 विमान डेनमार्क देगा।
 
ज़ेलेंस्की ने यूक्रेन को समर्थन जारी रखने के लिए दोनों देशों और अमेरिका का आभार व्यक्त किया और इसे 'बहुत सफल दिन बताया।' लियोपार्ड टैंक्स और उससे पहले पैट्रियॉट एयर डिफ़ेंस सिस्टम की तरह ही अमेरिकी एफ़-16 लड़ाकू विमान को सौंपने पर सहमति एक लंबी बातचीत के बाद बनी है।
 
रूस की प्रतिक्रिया
पश्चिमी ताक़तें, ख़ासकर अमेरिका एफ़-16 को यूक्रेन को सौंपने को लेकर अब तक अनिच्छुक रहा था। उन्हें इस बात का डर था कि इससे रूस के साथ सीधा टकराव बढ़ सकता है।
 
इससे पहले रूस के उप विदेश मंत्री अलेक्जेंडर ग्रुशको ने चेतावनी दी थी कि अगर वे यूक्रेन को लड़ाकू विमान देते हैं ते उन्हें भारी खतरे का सामना करना पड़ेगा।
 
डेनमार्क में रूस के राजदूत व्बादिमीर बार्बिन ने सोमवार को एक डैनिश न्यूज़ एजेंसी से कहा, "डेनमार्क ने 19 एफ़-16 लड़ाकू विमान यूक्रेन को देने का फैसला किया है और इससे संकट और बढ़ेगा।"
 
कब तक मिलेगा F-16 लड़ाकू विमान?
यूक्रेन और विदेश में इसके समर्थक पिछले कई महीनों से इन लड़ाकू विमानों को सौंपे जाने के लिए अभियान चला रहे थे।
 
उनका तर्क था कि यूक्रेन के कब्ज़े किए गए इलाक़ों को वापस लिए जाने के अभियान में तभी गति आएगी जब रूस पर हवाई दबदबा कायम किया जाएगा।
 
यूक्रेन की वायु सेने का प्रवक्ता यूरी इहनात ने मई में कहा था, "जब हमारे पास एफ़-16 आ जाएंगे, इस युद्ध को हम जीत लेंगे।"
 
यही बात पश्चिम के कई अन्य लोगों ने भी कही थी। मिलिटरी एक्सपर्ट्स के अनुसार, बिना असरदार हवाई सपोर्ट का मतलब है कि अधिक से अधिक सैनिकों की क्षति, जिससे बचा जा सकता था।
 
लड़ाकू विमानों की डिलीवरी
डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेट फ्रेडरिक्सेन ने एफ़-16 सौंपने की योजना के पीछे की मंशा बताते हुए कहा, "इस डिलीवरी का मतलब है यूक्रेन को बचाना। हमने ये जेट नए साल तक देना शुरू कर देंगे। पहले छह, इसके बाद अगले साल आठ और फिर बाकी पांच लड़ाकू जेट।"
 
हालांकि इस फैसले से अभी यूक्रेन के हौसले में एक नई जान आई है लेकिन इन लड़ाकू विमानों की डिलीवरी में कुछ महीने लगेंगे। इसका मतलब है कि यूक्रेन अभी इन विमानों का इस्तेमाल नहीं करने जा रहा है।
 
इस समझौते के तहत डेनमार्क अंतिम पांच विमान 2025 में देगा, जिसका मतलब है कि यूक्रेन के यूरोपीय साझेदार एक लंबी रणनीतिक साझेदारी योजना पर काम कर रहे हैं।
 
इस तरह का समझौता होना महत्वपूर्ण है लेकिन इसका पता लगाना मुश्किल है कि अगले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में इसका क्या असर होगा।
 
लड़ाकू विमान एफ़-16 की विशेषताएं
एफ़-16 को दुनिया में सबसे अधिक सक्षम लड़ाकू विमान माना जाता है। अमेरिकी एयर फ़ोर्स के अनुसार, इसे कई तरह के कामों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, इसमें प्रीसीज़न गाइडेड मिसाइल और बमों से लैस किया जा सकता है और यह 2400 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से उड़ सकता है।
 
अचूक निशाना साधने की F-16 की क्षमता, यूक्रेन को रूसी सेना पर सभी मौसमों में और रात के समय सटीकता के साथ हमला करने की काबिलियत प्रदान करेगी।
 
माना जाता है कि यूक्रेन के पास कई तरह के लड़ाकू विमान हैं जिसमें अधिकांश एमआईजी हैं, जो सभी सोवियत युग के हैं।
 
जबकि दूसरी तरफ़ रूस अत्याधुनिक विमानों का इस्तेमाल करता है जो ज़्यादा ऊंचाई पर उड़ सकते हैं और बहुत दूर से ही दूसरे विमानों की टोह लगा सकते हैं।
 
यूक्रेन एयर फ़डोर्स कमांड के प्रवक्ता यूरी इनहत ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया, "हमारे विमानों के मुकाबले रूसी लड़ाकू विमान अपने रडार से दो से तीन गुना दूर हालात का आकलन कर सकते हैं। हमारे लड़ाकू विमान कुछ भी नहीं देख सकते।"
 
लगातार होने वाले रूसी मिसाइलों और ड्रोन हमलों से अपने आसमान की रक्षा करने और दक्षिण और पूर्वी यूक्रेन में काउंटर आफ़ेंसिव को सपोर्ट करने के लिए कीएव को अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों की ज़रूरत है। इन दोनों मोर्चों पर यूक्रेन को बहुत मामूली सफलता मिली है।
 
इस विमान को बनाने वाली अमेरिकी सैन्य उपकरण निर्माता कंपनी लॉकहीड मार्टिन के अनुसार, मौजूदा समय में पूरी दुनिया के 25 देशों में 3000 एफ़-16 लड़ाकू विमान इस्तेमाल में हैं।
 
वॉशिंगटन ने क्यों दी मंजूरी?
इन विमानों के निर्यात या किसी अन्य को दिए जाने का मामला संवेदनशील है और इसे अमेरिकी प्रशासन की मंज़ूरी ज़रूरी है क्योंकि वे अमेरिका में ही बने हैं।
 
इसके साथ ही इसमें एक राजनीतिक कारक भी है क्योंकि अमेरिका नेटो का सबसे ताक़तवर सदस्य है। यूक्रेन को लेकर इस स्तर पर नीतिगत बदलाव बिना उसकी मज़ूरी के संभव नहीं है।
 
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने डेनमार्क और नीदरलैंड्स के विदेश मंत्रियों को विमान सौंपने के बावत मंज़ूरी की एक चिट्ठी भेजी थी।
 
इसमें उन्होंने लिखा, "ये अभी भी अहम बना हुआ है कि यूक्रेन मौजूदा रूसी आक्रमण और अपनी संप्रभुता पर हमले के ख़िलाफ़ खुद की रक्षा करने में सक्षम है।"
 
यूक्रेन के लिए ये और महत्वपूर्ण बात है कि यह मंज़ूरी कीएव को दूसरे गैर अमेरिकी लड़ाकू विमानों के मिलने का दरवाजा भी खोलता है।
 
सबसे पहले ट्रेनिंग
डेनमार्क और नीदरलैंड्स से एफ़-16 का समझौता पक्का करने से पहले व्लोदोमीर ज़ेलेंस्की स्वीडन भी गए थे, जहां उन्होंने एलान किया कि स्वीडन के लड़ाकू विमान जैस 39 ग्रिपेन पर यूक्रेनी पायटलों की ट्रेनिंग शुरू हो चुकी है, जिससे संकेत मिलता है कि और लड़ाकू विमानों पर भी बात चल रही है।
 
लेकिन एफ़-16 लड़ाकू विमानों को उड़ाने की ट्रेनिंग, उन्हें संचालित करना और रख रखाव करना बहुत अहम होगा। पश्चिमी देशों के एक गठबंधन ने यूक्रेन के चुनिंदा सैन्य पायलटों को डेनमार्क में ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है।
 
डेनमार्क के कार्यकारी रक्षा मंत्री ट्रोएल्स पॉलसेन को उम्मीद है कि इस ट्रेनिंग के नतीजे 2024 में दिखेंगे।
 
इसके साथ ही सपोर्ट स्टाफ़ को भी ट्रेनिंग देना ज़रूरी है, जबकि लड़ाकू विमानों के रख रखाव की व्यापक योजना बनानी होगी।
 
यूक्रेन के एयरफ़ोर्स कमांडर ले। जनरल मायकोला ओलेशचुक ने राष्ट्रीय टेलीविज़न पर भरोसा दिलाया कि विमानों की रक्षा करने में यूक्रेन सक्षम है।
 
सैन्य आधुनिकीकरण एजेंडे पर
एफ़-16 लड़ाकू विमान की ट्रेनिंग लेने वाले मूनफ़िश कोड नाम के एक यूक्रेनी फ़ाइटर पायलट ने टेलीविज़न चैनल को बताया कि लड़ाई का अनुभव और अंग्रेज़ी भाषा में पकड़ चुनाव के लिए बहुत ही अहम हैं।
 
उन्होंने कहा कि मौजूदा ग्रुप में टेक्निकल स्टाफ़ और पायलट अंग्रेज़ी में पारंगत हैं। नए लड़ाकू विमानों को लेकर इस पायलट का कहना था, "जो हम लोग अभी तक उड़ा रहे हैं, वो एफ़-16 लड़ाकू विमान की तुलना में वैसा है जैसे स्मार्टफ़ोन के सामने बटन वाला मोबाइल फ़ोन।"
 
यूक्रेनी पायलटों के लिए एक लंबी अवधि वाले ट्रेनिंग प्रोग्रास को डेनमार्क से रोमानिया में लाने की योजना है। रोमानिया ने हाल ही में नॉर्वे से 41.8 करोड़ डॉलर के 32 इस्तेमाल किए हुए एफ़-16 लड़ाकू विमान ख़रीदे हैं। रोमानिया ने पुर्तगाल से 17 अन्य विमान भी खरीदे हैं।
 
रोमानिया अपने एयरफ़ोर्स का आधुनिकीकरण कर रहा है और पुराने सोवियत ज़माने के मिग-21 लड़ाकू विमानों को हटा रहा है। डेनमार्क और नीदरलैंड भी अपनी एयरफ़ोर्स को अपग्रेड कर रहे हैं।
 
चूंकि वे अपने पुराने विमान यूक्रेन को डोनेट कर रहे हैं, इसलिए वे और अत्याधुनिक विमान खरीदने की ओर जाएंगे।
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